स्टेट ऑफ फारेस्ट रिपोर्ट (एसओएफआर) 2023 के मुताबिक हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में जंगल में लगने वाली आग की घटनाओं में 1,339 फीसदी की वृद्धि हुई है। इसी तरह जम्मू कश्मीर में भी पिछले सीजन की तुलना में ये घटनाएं 2,822 फीसदी बढ़ गई।
पर्यावरण मंत्रालय द्वारा इस्तेमाल किए गए विजिबल इन्फ्रारेड इमेजिंग रेडियोमीटर सूट (वीआईआईआरएस) के आंकड़ों से पता चला है उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की घटनाओं में 293 फीसदी की वृद्धि हुई है।
हालांकि विश्लेषण से पता चला है कि कुल मिलाकर देश के जंगलों में लगने वाली आग की घटनाओं में कमी आई है, लेकिन कई राज्यों में पिछले सीजन की तुलना में नवंबर 2023 से जून 2024 के बीच आग की इन घटनाओं में अच्छी-खासी वृद्धि देखी गई है।
भारत सरकार ने जंगल में आग की निगरानी और मानचित्रण के लिए उपग्रह से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग किया है। रिपोर्ट से पता चला है कि 2021-22 में आग के सीजन के दौरान, दो उपग्रहों ने ऐसी घटनाओं के 253,008 हॉटस्पॉट का पता लगाया था। गौरतलब है जंगल में आग की घटनाएं नवंबर से जून के बीच दर्ज की जाती हैं।
वहीं अगले साल इन हॉटस्पॉट्स की संख्या 243,394 दर्ज की गई, जबकि 2023-24 में यह आंकड़ा घटकर 229,934 रह गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर 2023 से जून 2024 के बीच आग ने कुल 2,434,562.33 वर्ग किलोमीटर में फैले जंगलों को अपनी चपेट में लिया था।
आग से सर्वाधिक प्रभावित वन क्षेत्र आंध्र प्रदेश में दर्ज किया गया, जो 5,287 वर्ग किलोमीटर में फैला था। इसके बाद महाराष्ट्र में 4,095 वर्ग किलोमीटर और तेलंगाना 3,983 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र प्रभावित हुआ था।
विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी के वरिष्ठ रेजिडेंट फेलो और जलवायु एवं पारिस्थितिकी तंत्र टीम के प्रमुख देबादित्यो सिन्हा का कहना है कि विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में आग की घटनाओं में वृद्धि चिंताजनक है।
उनका आगे कहना है कि, "नैनीताल, पौड़ी गढ़वाल और शिमला जैसे जिले जंगल में लगने वाली आग की घटनाओं के मामले में 20 प्रमुख जिलों में शामिल हैं।" उनके मुताबिक हिमालयी क्षेत्र में आग लगने की घटनाओं में अचानक भारी वृद्धि इसके पीछे के कारणों को लेकर चिंता पैदा करती है।
गोवा के जंगलों में आग की घटनाओं में आई है 75 फीसदी की कमी
रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब के जंगलों में आग की घटनाओं में 400 फीसदी की वृद्धि हुई है, वहीं दिल्ली में 128 फीसदी, राजस्थान में 111 फीसदी, हरियाणा में 102 फीसदी और सिक्किम में 106 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।
इसी तरह तमिलनाडु में आग की घटनाओं में 69 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। वहीं उत्तर प्रदेश में 36 फीसदी, गुजरात में 35 फीसदी, मिजोरम में 14 फीसदी और तेलंगाना में 2.8 फीसदी की वृद्धि रिकॉर्ड की गई।
यदि केंद्र शासित प्रदेशों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो लद्दाख में 60 फीसदी की वृद्धि देखी गई, जबकि अंडमान निकोबार द्वीप समूह में इन घटनाओं में पांच फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया।
सिन्हा का कहना है कि, “क्या इसके लिए जलवायु परिवर्तन, खराब निगरानी या किसी अन्य कारण को जिम्मेवार ठहराया जा सकता है? रिपोर्ट में इसके कारणों का कोई उल्लेख नहीं किया गया है।“
दूसरी तरफ गोवा और कर्नाटक में जंगल में लगने वाली आग की घटनाओं में सबसे ज्यादा गिरावट देखी गई, इस दौरान जहां गोवा में 75 फीसदी की वहीं कर्नाटक में 57 फीसदी की कमी आई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कई प्रकार के जंगलों विशेषकर शुष्क पर्णपाती वनों में भीषण आग की घटनाएं आम हैं, जबकि सदाबहार, अर्ध-सदाबहार और पर्वतीय शीतोष्ण वन इससे कम प्रभावित होते हैं।