मिट्टी हमारे अस्तित्व के लिए जरूरी है क्योंकि यह पृथ्वी पर जीवन के लिए एक मूलभूत संसाधन है। यह कई परतों से बनी है जिसमें कार्बनिक परत, ऊपरी मिट्टी, उप-मिट्टी और आधारशिला शामिल हैं।  फोटो साभार: आईस्टॉक
पर्यावरण

विश्व मृदा दिवस: मिट्टी के टिकाऊ प्रबंधन से खाद्यान्न उत्पादन में 58 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि संभव

जंगलों के काटे जाने और खनन जैसे कारणों से पृथ्वी की 33 प्रतिशत मिट्टी का पहले ही क्षरण हो चुका है। यह भी अनुमान है कि 2050 तक 90 प्रतिशत तक मिट्टी क्षरित हो सकती है।

Dayanidhi

विश्व मृदा दिवस (डब्ल्यूएसडी) हर साल पांच दिसंबर को स्वस्थ मिट्टी के महत्व को सामने लाने के लिए मनाया जाता है। यह दिन हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में मिट्टी की महत्वपूर्ण भूमिका और भविष्य की पीढ़ियों के लिए इस अमूल्य संसाधन की रक्षा और संरक्षण की आवश्यकता की याद दिलाता है। इसका उद्देश्य मृदा क्षरण के बारे में जागरूकता बढ़ाना भी है। यह प्राकृतिक संसाधन खनिजों, कार्बनिक पदार्थों, गैसों, तरल पदार्थों और जीवों के मिश्रण से बना है।

दुनिया भर में मनाए जाने वाले विश्व मृदा दिवस के उपलक्ष में मिट्टी के संरक्षण और इसके सतत प्रबंधन के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम और गतिविधियां आयोजित की जाती हैं।

हमारी धरती का अस्तित्व मिट्टी के अनमोल संबंध पर निर्भर करता है। हमारे भोजन का 95 प्रतिशत से अधिक हिस्सा मिट्टी से आता है। इसके अलावा वे पौधों के लिए आवश्यक 18 प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले रासायनिक तत्वों में से 15 की आपूर्ति करते हैं।

हालांकि जलवायु परिवर्तन और मानवजनित गतिविधियों के कारण, हमारी मिट्टी का क्षरण हो रहा है। कटाव प्राकृतिक संतुलन को बिगड़ता है, जिससे पानी की घुसपैठ कम होती है, सभी प्रकार के जीवन के लिए उपलब्धता कम होती है और भोजन में विटामिन और पोषक तत्वों का स्तर कम होता है।

कम से कम जुताई, फसल चक्रण, जैविक पदार्थों को जोड़ना और कवर फसल जैसी संधारणीय मृदा प्रबंधन पद्धतियां मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार करती हैं।कटाव और प्रदूषण को कम करती हैं और पानी के रिसाव और भंडारण को बढ़ाती हैं। ये पद्धतियां मिट्टी की जैव विविधता को भी संरक्षित करती हैं, उर्वरता में सुधार करती हैं और कार्बन को अलग करने में योगदान देती हैं, जो जलवायु परिवर्तन के खिलाफ मुकाबले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

हर साल, विश्व मृदा दिवस को एक विशेष थीम दी जाती है जो मिट्टी के स्वास्थ्य और संरक्षण के एक विशेष पहलू पर आधारित होती है। वर्तमान मुद्दों को हल करने और संधारणीय प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए इन्हें चुना जाता है। इस साल, विश्व मृदा दिवस की थीम है "मृदा की देखभाल: माप, निगरानी, प्रबंधन।" यह संधारणीय मृदा प्रबंधन का समर्थन करने के लिए मिट्टी के सटीक आंकड़े और जानकारी की आवश्यकता पर जोर देता है।

इस दिन के इतिहास की बात करें तो इसकी सिफारिश सबसे पहले 2002 में अंतर्राष्ट्रीय मृदा विज्ञान संघ द्वारा की गई थी, जिसे खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा समर्थन दिया गया था। इसके बाद वैश्विक मृदा भागीदारी के ढांचे के भीतर थाईलैंड के नेतृत्व में इस दिन की स्थापना की गई।

बाद में 2013 में, खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) सम्मेलन ने इस दिन का समर्थन किया और आग्रह किया कि विश्व मृदा दिवस को 68वें संयुक्त राष्ट्र महासभा में औपचारिक रूप से अपनाया जाए। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पांच दिसंबर, 2014 को पहला विश्व मृदा दिवस घोषित किया।

क्या आपको इस बात की जानकारी है कि मात्र दो से तीन सेमी मिट्टी तैयार करने में 1000 सालों तक का समय लग सकता है। टिकाऊ मृदा प्रबंधन के माध्यम से 58 फीसदी तक अधिक खाद्यान्न उत्पादन किया जा सकता है।

साल 2050 में दुनिया भर में भोजन की मांग को पूरा करने के लिए कृषि उत्पादन में 60 फीसदी की वृद्धि करनी होगी।

हमारे भोजन का 95 फीसदी हिस्सा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मिट्टी से आता है। यह पौधों को बढ़ने और पनपने के लिए आवश्यक पोषक तत्व, पानी, ऑक्सीजन और जड़ों को सहारा प्रदान करती है।

खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार, जंगलों के काटे जाने और खनन जैसे कारणों से पृथ्वी की 33 प्रतिशत मिट्टी का पहले ही क्षरण हो चुका है। यह भी अनुमान है कि 2050 तक 90 प्रतिशत तक मिट्टी क्षरित हो सकती है।

मिट्टी हमारे अस्तित्व के लिए जरूरी है क्योंकि यह पृथ्वी पर जीवन के लिए एक मूलभूत संसाधन है। यह कई परतों से बनी है जिसमें कार्बनिक परत, ऊपरी मिट्टी, उप-मिट्टी और आधारशिला शामिल हैं। मिट्टी कई अलग-अलग रंगों मं। आती है, जिसमें लाल, भूरा, पीला, काला और ग्रे शामिल हैं।

जलवायु परिवर्तन के खिलाफ मुकाबले में मिट्टी हमारे सबसे महत्वपूर्ण हथियारों में से एक है, क्योंकि इसमें वायुमंडल और दुनिया के सभी पौधों और जंगलों की तुलना में अधिक कार्बन होता है।