केरल उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगाए प्रतिबंध को बरकरार रखते हुए सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। यह फैसला 23 जुलाई 2025 जस्टिस विजू अब्राहम की बेंच ने सुनाया।
यह आदेश 27 नवंबर और 17 दिसंबर 2019 को राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए उन आदेशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आया, जिनमें सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया था।
याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि केंद्र सरकार द्वारा इस संबंध में कोई नियम न बनाए जाने तक राज्य को इस तरह का प्रतिबंध लगाने का अधिकार नहीं है। लेकिन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 12 अगस्त 2021 और 6 जुलाई 2022 को जारी अधिसूचनाओं को ध्यान में रखकर यह नियम बनाए गए हैं।
इसके साथ ही अदालत को यह भी बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने 20 अक्टूबर 2023 के एक फैसले में (तमिलनाडु एवं पुडुचेरी पेपर कप मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन बनाम राज्य तमिलनाडु व अन्य) राज्य सरकारों को सिंगल यूज प्लास्टिक के विभिन्न चरणों पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार दिया है।
इन सभी तथ्यों के आधार पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले को उचित माना और याचिकाओं को खारिज कर दिया।
क्या है सिंगल यूज प्लास्टिक?
सिंगल यूज प्लास्टिक का उत्पादन और निर्माण इस तरह से किया जाता है कि एक बार इस्तेमाल होने के बाद उसे फेंक दिया जाए। इस परिभाषा के हिसाब से प्लास्टिक के तमाम उत्पाद इसी श्रेणी में आते हैं।
इसमें डिस्पोजेबल स्ट्रा से लेकर डिस्पोजेबल सीरिंज तक सभी शामिल हैं। भारत में प्लास्टिक कचरा प्रबंधन संशोधित नियम 2021, में सिंगल यूज प्लास्टिक को ‘प्लास्टिक की ऐसी वस्तु बताया गया है, जिसे नष्ट करने या रिसाइकिल करने से पहले एक मकसद से केवल एक बार ही उपयोग में लाया जाता हो।
प्लास्टिक आज हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में पूरी तरह रच-बस गया है। बात चाहे खाने-पीने से जुड़ी चीजों की पैकिंग की हो या बच्चों के खिलौनों की, हमारे घरों, दफ्तरों तक हर जगह इसका उपयोग बेहद आम है। भले ही प्लास्टिक ने हमारी जिंदगी आसान कर दी है, लेकिन साथ ही स्वास्थ्य और पर्यावरण को होते नुकसान के रूप में इसकी भारी कीमत भी चुकानी पड़ रही है।