85 नए उपग्लेशियल झीलों की खोज: ईएसए के क्रायोसैट उपग्रह की मदद से अंटार्कटिका की बर्फ के नीचे 85 नए झीलों का पता चला, जिससे कुल ज्ञात सक्रिय झीलों की संख्या 231 हो गई।
झीलों के भरने और खाली होने के चक्र: इन झीलों के पानी भरने और सूखने के चक्रों को दशकों के उपग्रह के आंकड़ों से मापा गया, जिससे बर्फ की गतिशीलता और जल प्रवाह के बारे में नई जानकारी मिली।
जल प्रवाह के नए मार्गों का पता: शोध में पांच ऐसे आपस में जुड़े उपमौलिक झीलों के नेटवर्क भी खोजे गए, जो अंटार्कटिका के नीचे पानी के बहाव को दर्शाते हैं।
समुद्र स्तर वृद्धि पर प्रभाव: उपग्लेशियल झीलों के पानी के बहाव से बर्फ और चट्टान के बीच घर्षण कम होता है, जिससे ग्लेशियर तेजी से समुद्र की ओर बढ़ सकते हैं और समुद्र स्तर बढ़ सकता है।
जलवायु और आइस शीट मॉडलिंग में सुधार: ये नई खोजें उपग्लेशियल जलधारा को शामिल करके भविष्य में समुद्र स्तर वृद्धि के अधिक सटीक पूर्वानुमान बनाने में मदद करेंगी।
हाल ही में वैज्ञानिकों ने यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) के क्रायोसैट उपग्रह की मदद से अंटार्कटिका की बर्फ के नीचे 85 नए उप-ग्लेशियल झीलों की खोज की है। इससे पहले ज्ञात उप-ग्लेशियल झीलों की संख्या लगभग 146 थी, जो अब बढ़कर 231 हो गई है।
ये झीलें बर्फ के कई किलोमीटर नीचे छुपी हुई हैं और अंटार्कटिका की विशाल बर्फ की चादर के नीचे छिपे पानी के नेटवर्क का हिस्सा हैं। इस खोज से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि ये छुपे हुए पानी के स्रोत ग्लेशियरों की गति को कैसे प्रभावित करते हैं और दुनिया भर में समुद्र स्तर में वृद्धि पर क्या प्रभाव डालते हैं।
उपग्लेशियल झीलें क्या हैं?
उपग्लेशियल झीलें वे जलाशय हैं जो अंटार्कटिका के बर्फ की मोटी परत के नीचे मौजूद होते हैं। इन झीलों का पानी मुख्य रूप से पृथ्वी की गहरी गर्माहट (भूगर्भीय ऊष्मा) और बर्फ के नीचे के चट्टानों पर ग्लेशियर के घिसाव से उत्पन्न होता है।
यह पानी बर्फ की मोटी परत के नीचे जमा होकर झीलों का रूप ले लेता है। ये झीलें कभी-कभी भरती और कभी-कभी खाली होती हैं, जिससे बर्फ की सतह पर सूक्ष्म बदलाव दिखाई देते हैं।
क्या है क्रायोसैट उपग्रह का योगदान?
क्रायोसैट उपग्रह को 2010 में ईएसए द्वारा लॉन्च किया गया था। इसका मुख्य उपकरण एक रडार अल्टीमीटर है, जो बर्फ की सतह की ऊंचाई में सूक्ष्म बदलाव को माप सकता है। वैज्ञानिकों ने क्रायोसैट से एक दशक (2010-2020) तक प्राप्त आंकड़ों की मदद से उप-ग्लेशियल झीलों के भरण और क्षरण चक्रों का पता लगाया। जब उपग्लेशियल झीलें भरती हैं, तो बर्फ की सतह ऊपर उठती है, और जब झीलें खाली होती हैं, तो सतह नीचे आ जाती है। इस परिवर्तन को क्रायोसैट ने बड़े ही सटीक रूप से मापा।
नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि अब तक दुनिया भर में सिर्फ 36 पूरा भरण-क्षरण चक्र देखा गया था, जबकि इस शोध में 12 और चक्र देखे गए, जिससे कुल 48 हो गए। इससे वैज्ञानिकों को अंटार्कटिका के बर्फ की परत के नीचे होने वाली प्रक्रियाओं को समझने में महत्वपूर्ण मदद मिली है।
उपग्लेशियल झीलों का महत्व
ये झीलें अंटार्कटिका की बर्फ की गतिशीलता को प्रभावित करती हैं। जब झीलें भरती हैं, तो बर्फ और उसके नीचे की चट्टान के बीच घर्षण कम हो जाता है, जिससे बर्फ तेजी से समुद्र की ओर बहने लगती है। इससे समुद्र का जल स्तर बढ़ सकता है, जो वैश्विक जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में गंभीर चिंता का विषय है।
कई उपग्लेशियल झीलें सक्रिय होती हैं, यानी वे समय-समय पर भरती और खाली होती हैं, जबकि कुछ स्थिर मानी जाती हैं। सबसे बड़ी उपग्लेशियल झील, लेक वोस्तोख, पूर्वी अंटार्कटिका के नीचे स्थित है, जिसमें लगभग 5,000 से 65,000 घन किलोमीटर पानी भरा हुआ है। यह मात्रा इतनी विशाल है कि इसे ग्रैंड कैन्यन को भरने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, और इसके बाद भी 25 फीसदी पानी बच जाएगा।
जल प्रवाह के नए मार्गों की खोज
इस शोध में वैज्ञानिकों ने पांच नए आपस में जुड़े उपग्लेशियल झीलों की प्रणालियां भी खोजी हैं। ये जलमार्ग बर्फ की परत के नीचे पानी के बहाव के पैटर्न को समझने में मदद करते हैं। इससे पता चलता है कि अंटार्कटिका की उपग्लेशियल जलधारा अधिक जटिल और गतिशील है, जैसा कि पहले सोचा जाता था।
जलवायु मॉडलिंग में इसका योगदान
अभी तक के अधिकांश बर्फ की चादर मॉडल में उपग्लेशियल जलधारा को शामिल नहीं किया गया है। इन नए आंकड़ों से वैज्ञानिक अब बर्फ की गतिशीलता और पानी के प्रवाह के बीच के संबंधों को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे। इससे भविष्य में समुद्र स्तर वृद्धि की सटीक पूर्वानुमान लगाना संभव होगा।
शोध में कहा गया है कि उपग्लेशियल जलधारा हमारे मौजूदा मॉडल में एक महत्वपूर्ण और अभी तक कम समझा गया हिस्सा है। इन झीलों की स्थिति और उनके भरण-क्षरण चक्र को समझकर हम बर्फ की गतिशीलता पर उनके प्रभाव का आकलन कर सकते हैं।
शोध का महत्व और भविष्य की दिशा
ईएसए के पोलर साइंस क्लस्टर के शोधकर्ता ने कहा कि क्रायोसैट मिशन के आंकड़े हमें पोलर क्षेत्रों के बारे में गहरी समझ देते हैं, विशेष रूप से बर्फ की चादर की जटिल गतिशीलता के बारे में। यह जानकारी समुद्र स्तर में संभावित वृद्धि की भविष्यवाणी को और सटीक बनाएगी।
इस शोध से यह स्पष्ट होता है कि अंटार्कटिका की बर्फ के नीचे छिपे पानी के नेटवर्क को समझना अत्यंत आवश्यक है। यह न केवल ग्लेशियरों के व्यवहार को प्रभावित करता है, बल्कि समुद्री जीवन और वैश्विक जलवायु प्रणाली पर भी गहरा प्रभाव डालता है।
अंटार्कटिका के नीचे छुपी ये उपग्लेशियल झीलें पृथ्वी की जलवायु प्रणाली के जटिल पहलुओं में से एक हैं। क्रायोसैट उपग्रह के माध्यम से मिली इन खोजों से वैज्ञानिकों को बर्फ की गतिशीलता और समुद्र स्तर वृद्धि के बीच के संबंध को बेहतर समझने में मदद मिलेगी। इस जानकारी से भविष्य में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए बेहतर रणनीतियां बनाई जा सकेंगी।