इंगलैंड के प्लायमाउथ विश्वविद्यालय और प्लायमाउथ समुद्री प्रयोगशाला के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नए शोध के अनुसार, दुनिया भर के महासागरों का पांचवां हिस्सा, यानी 7.5 करोड़ वर्ग किमी से अधिक इलाका पिछले दो दशकों में अंधकारमय हो गया है।
महासागर में अन्धकार तब होता है जब महासागर के प्रकाशीय गुणों में बदलाव के कारण इसके प्रकाशीय क्षेत्रों की गहराई कम हो जाती है, जहां 90 फीसदी समुद्री जीव रहते हैं और जहां सूर्य का प्रकाश और चांद की रोशनी पारिस्थितिकी संबंधों को चलाती है।
अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने पूरे ग्रह पर प्रकाशीय क्षेत्रों की गहराई में सालाना बदलावों का विश्लेषण करने के लिए उपग्रह के आंकड़ों और संख्यात्मक मॉडलिंग का उपयोग किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि 2003 से 2022 के बीच, दुनिया भर के महासागरों का 21 फीसदी हिस्सा, जिसमें तटीय क्षेत्र और खुले महासागर दोनों का बड़ा हिस्सा अंधकारमय हो गया है।
इसके अलावा महासागर के नौ फीसदी से अधिक भाग, यानी 3.2 करोड़ वर्ग किमी से अधिक का क्षेत्र, जो आकार में अफ्रीका महाद्वीप के समान है, में प्रकाश क्षेत्र की गहराई 50 मीटर से अधिक कम हो गई है, जबकि 2.6 फीसदी में प्रकाश क्षेत्र 100 मीटर से अधिक कम हो गया है।
हालांकि यह तस्वीर केवल समुद्र के अंधेरा पड़ने की नहीं है, बल्कि पिछले 20 सालों में समुद्र का लगभग 10 फीसदी हिस्सा, यानी 3.7 करोड़ वर्ग किमी से अधिक हल्का हो गया है।
बदलावों के सटीकता पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं, शोधकर्ताओं का कहना है कि यह ग्रह की समुद्री प्रजातियों की बड़ी संख्या और महासागर द्वारा प्रदान की जाने वाली पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को समग्र रूप से प्रभावित कर सकता है।
ग्लोबल चेंज बायोलॉजी में प्रकाशित शोध पत्र में शोधकर्ताओं का कहना है कि यह सीधे तौर पर समुद्र के अंधेरा होने से जुड़ा नहीं है, हालांकि यह बदलाव हो सकता है पोषक तत्वों, कार्बनिक पदार्थों और तटों के पास तलछट के भार के मिले-जुले कारणों से हो रहा है, जो कृषि अपवाह और भारी बारिश जैसे कारणों से होता है।
उनका मानना है कि खुले महासागर में इसका कारण शैवालों के खिलने की गति में बदलाव तथा समुद्री सतह के तापमान में परिवर्तन जैसे कारण होंगे, जिनके कारण सतही जल में प्रकाश का प्रवेश कम हो गया है।
शोध में कहा गया है कि यदि महासागर के बड़े हिस्से में प्रकाश क्षेत्र लगभग 50 मीटर तक कम हो रहा है, तो जिन जीवों को प्रकाश की आवश्यकता पड़ती है, वे सतह के करीब आ जाएंगे, जहां उन्हें भोजन और अन्य आवश्यक संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा करनी पड़ेगी। इससे पूरे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में भारी बदलाव आ सकते हैं।
महासागर के प्रकाशीय क्षेत्रों में बदलाव के आकलन से क्या पता चला?
प्रकाशीय क्षेत्र में बदलावों का आकलन करने के लिए, शोधकर्ताओं ने नासा के महासागर रंग वेब से आंकड़ों का उपयोग किया, जो दुनिया के महासागरों को नौ किमी पिक्सेल की श्रृंखला में विभाजित करता है।
उपग्रह से हासिल किए गए आंकड़ों ने उन्हें इनमें से प्रत्येक पिक्सेल के लिए महासागर की सतह पर बदलावों का निरीक्षण करने में सक्षम बनाया, जबकि समुद्री जल में प्रकाश को मापने के लिए विकसित एक एल्गोरिथ्म का उपयोग प्रत्येक जगह पर प्रकाशीय क्षेत्र की गहराई को परिभाषित करने के लिए किया गया था।
शोध पत्र में कहा गया है कि शोधकर्ताओं ने सौर और चंद्र विकिरण मॉडल का उपयोग करके विशेष तरह के बदलावों की जांच-पड़ताल की, जो दिन के उजाले और चांदनी की स्थिति के दौरान समुद्री प्रजातियों को प्रभावित कर सकते हैं, तथा यह दर्शाया कि रात में प्रकाश क्षेत्र की गहराई में बदलाव दिन की तुलना में छोटे थे, लेकिन पारिस्थितिक रूप से अहम थे।
दुनिया भर के महासागरों के बदलाव की कैसी होगी तस्वीर?
खुले महासागर में प्रकाश क्षेत्र की गहराई में सबसे अहम बदलाव गल्फ स्ट्रीम के शीर्ष पर और आर्कटिक और अंटार्कटिक दोनों के आसपास देखे गए, ग्रह के वे क्षेत्र जो जलवायु परिवर्तन के कारण सबसे अधिक स्पष्ट बदलावों का अनुभव किया जा रहा है।
तटीय क्षेत्रों और बंद समुद्रों में भी अंधेरा अधिक फैला है, जैसे बाल्टिक सागर जहां भूमि पर बारिश तलछट और पोषक तत्वों को समुद्र में लाती है, प्लवक के विकास को आगे बढ़ाती है और प्रकाश की उपलब्धता को कम करती है।
शोध से पता चला कि उत्तरी सागर और सेल्टिक सागर के क्षेत्र, इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के पूर्वी तट, वेल्स के तटरेखा और आयरिश सागर के उत्तरी तत्व पिछले दो दशकों में अंधकारमय हो गए हैं। हालांकि इंग्लिश चैनल का अधिकांश हिस्सा और स्कॉटलैंड के उत्तर से लेकर आर्किनी और शेटलैंड द्वीप तक फैले क्षेत्र हल्के हो गए हैं।