बढ़ते तापमान का ही प्रभाव है कि अक्टूबर के दौरान सर्दियों का असर सामने नहीं आया; फोटो: आईस्टॉक 
जलवायु

1901 के बाद से भारत ने अपने सबसे गर्म अक्टूबर का किया सामना, जानें क्या है वजह?

1951 के बाद से यह पहला मौका है जब दिल्ली में अक्टूबर इतना ज्यादा गर्म रहा। इस दौरान पूरे महीने दिल्ली में एक बूंद भी नहीं गिरी

Akshit Sangomla, Lalit Maurya

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक 1901 के बाद से औसत और न्यूनतम तापमान के लिहाज से इस साल अक्टूबर का महीना अब तक का सबसे गर्म अक्टूबर रहा, जिसके लिए कहीं न कहीं वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि भी जिम्मेवार है।

वहीं राजधानी दिल्ली की बात करें तो 1951 के बाद से यह पहला मौका है जब दिल्ली में अक्टूबर का महीना इतना गर्म रहा। हैरानी की बात है कि इस दौरान दिल्ली में बारिश की एक भी बूंद नहीं गिरी।

इसके कारणों पर नजर डालें तो उत्तर-पश्चिम जैसे कुछ क्षेत्रों में गर्म मौसम के लिए पश्चिमी विक्षोभ और बारिश की कमी जैसे कारण जिम्मेवार हो सकते हैं। लेकिन कुल मिलाकर देखें तो इसके लिए वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि भी जिम्मेवार है। गौरतलब है कि पिछल कुछ वर्षों में ग्लोबल वार्मिंग के चलते दुनिया भर में अक्टूबर के दौरान तापमान में इजाफा दर्ज किया गया है।

सर्दियों के महीनों में पश्चिमी विक्षोभ में आई कमी भी वातावरण और महासागरों के तापमान में वृद्धि से जुड़ी है, जो वैश्विक स्तर पर मौसम के पैटर्न को प्रभावित कर रही है। 

अक्टूबर 2024 में भारत के विभिन्न क्षेत्रों में औसत तापमान ने नए रिकॉर्ड स्थापित किए हैं। उदाहरण के लिए 1901 के बाद से मध्य भारत के लिए यह सबसे गर्म अक्टूबर था। वहीं उत्तर-पश्चिम भारत के लिए दूसरा सबसे गर्म और दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत के लिए तीसरा सबसे गर्म अक्टूबर रहा। वहीं न्यूनतम तापमान के मामले में देश के साथ-साथ सभी क्षेत्रों ने 1901 के बाद के अपने रिकॉर्ड तोड़ दिए।

अक्टूबर का महीना आमतौर पर देश के एक बड़े हिस्से के लिए ऐसा महीना होता है जब बारिश का मौसम सिमटना शुरू होने लगता है और गुलाबी सर्दियों की शुरूआत होती है। लेकिन कभी-कभी मानसून के पीछे हटने के कारण यह महीना सामान्य से अधिक तापमान के लिए भी जाना जाता है।

ऐसा मानसूनी हवाओं के वापस लौटने के बाद छोड़ी गई नमी की वजह से होता है। इसकी वजह से वातावरण में नमी का स्तर बढ़ जाता है। यह जल वाष्प ग्रीनहाउस गैस के रूप में कार्य करती है और गर्मी को रोक देती है। इसकी वजह से गर्मी वातावरण में फंस कर रह जाती है।

मौसम पर हावी होता जा रहा है बढ़ता तापमान

ऐसे में जब बारिश लाने के लिए कोई स्थानीय हवा या प्रमुख संवहन नहीं होता, तो वातावरण में गर्मी बढ़ती है, जिससे गर्म और उमस भरे हालात बनने लगते हैं। कयास है कि अक्टूबर 2024 के दौरान देश में कुछ ऐसा ही हुआ।

कम से कम उत्तर-पश्चिम भारत में, पश्चिमी विक्षोभ बनती गर्मी को बाधित करने में मदद करते हैं। ये अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय तूफान भूमध्य सागरीय क्षेत्र में उत्पन्न होते हैं और उत्तर-पश्चिम भारत में सर्दियों के दौरान होने वाली अधिकांश बारिश और पहाड़ों में बर्फबारी की वजह बनते हैं।

आईएमडी के मुताबिक अक्टूबर 2024 में उत्तर-पश्चिम भारत में कोई पश्चिमी विक्षोभ दर्ज नहीं किया गया। आंकड़ों के अनुसार इस क्षेत्र में एक अक्टूबर से 30 अक्टूबर 2024 के बीच सामान्य से 76 फीसदी कम बारिश हुई।

दुनिया में भारत ही एकमात्र ऐसा देश नहीं है जो बढ़ते तापमान से जूझ रहा है। जापान मौसम विज्ञान एजेंसी के अनुसार, जापान ने भी 1898 के बाद से अपना सबसे गर्म अक्टूबर दर्ज किया। जलवायु विज्ञानी एम हेरेरा के मुताबिक भारत, पाकिस्तान सहित पश्चिम एशिया से जापान तक रिकॉर्ड गर्मी नवंबर तक जारी रहने की आशंका है।

वैश्विक औसत तापमान में हर एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के साथ, नमी का स्तर सात फीसदी बढ़ जाता है। इससे वातावरण में ग्रीनहाउस गैसें बढ़ जाती हैं। इनकी वजह से ताप सूचकांक या महसूस किए जाने वाला तापमान (वेट बल्ब टेम्परेचर) बढ़ जाता है। बता दें कि ताप सूचकांक गर्मी और नमी के संयुक्त प्रभावों को मापता है।

अधिक तापमान और नमी के उच्च स्तर के मेल से गर्मी की आर्द्र लहरें या लू की स्थिति बन सकती है, जो पहले से अधिक आम होती जा रही हैं। ऐसे में जैसे-जैसे वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ने से दुनिया और अधिक गर्म हो रही है, उसके साथ-साथ निकट भविष्य में लू की इन घटनाओं में और अधिक वृद्धि हो सकती है।