मिट्टी में कार्बन तीन गुना अधिक है, इसे समझना और नियंत्रित करना जलवायु परिवर्तन से लड़ने में बेहद महत्वपूर्ण है। फोटो साभार: आईस्टॉक
जलवायु

जानिए कैसे मिट्टी कर सकती है जलवायु परिवर्तन से मुकाबला

मिट्टी में सूक्ष्मजीव और अणुओं की विविधता कार्बन भंडारण बढ़ाती है, सीओ2 उत्सर्जन कम करती है और जलवायु को सुरक्षित रखती है।

Dayanidhi

  • मिट्टी में कार्बन तीन गुना अधिक है, इसे समझना और नियंत्रित करना जलवायु परिवर्तन से लड़ने में बेहद महत्वपूर्ण है।

  • सूक्ष्मजीव मृत पौधों को अपघटित करते हैं, कभी सीओ2 छोड़ते हैं और कभी कार्बन मिट्टी में लंबे समय तक सुरक्षित रहता है।

  • शोध ने दिखाया कि पौधों के अपघटन से मिट्टी में मॉलिक्यूलर विविधता पहले बढ़ती है, फिर स्थिर और घटने लगती है।

  • 18O भारी पानी का प्रयोग सूक्ष्मजीव गतिविधि मापने में किया गया, जिससे प्राकृतिक अपघटन प्रक्रिया सही तरीके से समझी जा सके।

  • अधिक मॉलिक्यूलर और सूक्ष्मजीव विविधता मिट्टी में कार्बन भंडारण बढ़ा सकती है, कृषि और वन प्रबंधन में नए उपाय सुझाती है।

पृथ्वी की मिट्टी में मौजूद कार्बन की मात्रा वायुमंडल और सभी पौधों में मौजूद कार्बन से तीन गुना अधिक है। इसका अर्थ यह है कि मिट्टी में कार्बन को समझना और उसे नियंत्रित करना जलवायु परिवर्तन के मुकाबले में बेहद महत्वपूर्ण है। मिट्टी में रहने वाले सूक्ष्मजीव (माइक्रोब्स) मृत पौधों और अन्य जैविक पदार्थों को तोड़ते हैं। इस प्रक्रिया में कभी-कभी कार्बन सीओ2 के रूप में वायुमंडल में वापस चला जाता है, और कभी-कभी यह मिट्टी में लंबे समय तक सुरक्षित हो जाता है।

हाल ही में कॉर्नेल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया है कि जब सूक्ष्मजीव मृत पौधों को अपघटित करते हैं, तो मिट्टी में मॉलिक्यूलर विविधता (मॉलिक्यूल की विविधता) पहले बढ़ती है, फिर एक महीने के बाद स्थिर हो जाती है और उसके बाद घटने लगती है। यह शोध नेचर कम्युनिकेशन्स नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि यह सवाल बेहद महत्वपूर्ण है कि क्या हम मिट्टी से कार्बन का नुकसान कम कर सकते हैं या इसे बढ़ा सकते हैं, जिससे वायुमंडल में सीओ2 नियंत्रित रहेगा। क्योंकि मिट्टी में इतनी बड़ी मात्रा में कार्बन मौजूद है, छोटी-छोटी बदलाव भी वायुमंडल पर बड़ा असर डाल सकते हैं।

मिट्टी में कार्बन भंडारण के पुराने और नए सिद्धांत

दशकों तक वैज्ञानिकों का मानना था कि मिट्टी में कार्बन मुख्य रूप से ऐसे पौधों से जमा होता है जिनके अवयव कठिन अपघटन वाले होते हैं। लेकिन 2011 में शोधकर्ताओं ने नेचर पत्रिका में एक अहम शोध प्रकाशित किया जिसमें यह सिद्ध हुआ कि यह सच नहीं है। वास्तव में मिट्टी में कार्बन का भंडारण सूक्ष्मजीव, अणु और खनिजों के जटिल पारिस्थितिकी तंत्र पर निर्भर करता है।

2020 में शोधकर्ताओं ने एक नया सिद्धांत प्रस्तुत किया कि मिट्टी में मॉलिक्यूलर विविधता अधिक होने पर अपघटन धीमा होता है, जिससे कार्बन मिट्टी में अधिक समय तक सुरक्षित रहता है। इसका कारण यह है कि जब विविधता कम होती है, तो सूक्ष्मजीव आसानी से किसी विशेष पदार्थ को तोड़ सकते हैं और सीओ2 को वायुमंडल में छोड़ देते हैं। लेकिन जब विविधता अधिक होती है, तो अपघटन प्रक्रिया धीमी होती है और खनिजों के पास कार्बन को लंबे समय तक सुरक्षित करने का मौका होता है।

नए शोध के निष्कर्ष और विधियां

इस नए अध्ययन ने पहली बार प्रायोगिक सबूत प्रदान किए कि पौधों का अपघटन मिट्टी में मॉलिक्यूलर विविधता को बढ़ाता है, लेकिन यह वृद्धि केवल पहले महीने तक रहती है। शोध में यह भी पाया गया कि 32वें दिन विविधता अपने चरम पर होती है।

इस शोध में एक नई तकनीक का उपयोग किया गया: 18O भारी पानी। इसमें ऑक्सीजन परमाणु का भारी रूप इस्तेमाल किया गया ताकि सूक्ष्मजीव गतिविधियों का पता लगाया जा सके। पारंपरिक तरीकों में शोधकर्ता कार्बन या नाइट्रोजन के स्तर का इस्तेमाल करते थे, लेकिन इस नए तरीके से यह सुनिश्चित होता है कि सूक्ष्मजीव अपनी प्राकृतिक भोजन सामग्री का उपयोग कर रहे हैं, न कि प्रयोगशाला में दिए गए ग्लूकोज (साधारण शर्करा) का।

भविष्य की दिशा और संभावनाएं

शोध पत्र में कहा गया है कि इस शोध का अगला कदम यह पता लगाना है कि क्या मिट्टी में अणु, सूक्ष्मजीव और खनिजों की अधिक विविधता वास्तव में अधिक कार्बन भंडारण में मदद करती है। यदि ऐसा पाया जाता है, तो इसके आधार पर खेती और वन प्रबंधन में नई रणनीतियां बनाई जा सकती हैं। उदाहरण के लिए, मिट्टी की संरचना और जैविक विविधता को बढ़ावा देने वाले कृषि और वन्य प्रबंधन उपाय अपनाए जा सकते हैं।

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि इसे लेकर अभी और बहुत कुछ सीखना है, लेकिन यह अध्ययन मिट्टी में कार्बन भंडारण के बड़े रहस्य को समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

मिट्टी केवल पौधों का आधार नहीं है, बल्कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ हमारी पहली रक्षा भी है। सूक्ष्मजीव और अणुओं की विविधता मिट्टी में कार्बन को लंबे समय तक सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाती है। इस नए शोध से यह स्पष्ट होता है कि मिट्टी की संरचना और जैविक विविधता को बढ़ावा देकर हम वायुमंडल में सीओ2 की मात्रा कम कर सकते हैं और जलवायु संकट से निपट सकते हैं।

मिट्टी और उसके सूक्ष्मजीवों का सही ढंग से अध्ययन करना और उनका संरक्षण करना अब केवल विज्ञान नहीं, बल्कि भविष्य की स्थिरता के लिए एक जरूरी कदम बन गया है।