अटलांटिक सैल्मन जैसी बड़ी-बड़ी प्रवासी प्रजातियां तेजी से बढ़ रही हैं क्योंकि तापमान बढ़ने से उनके लिए ध्रुव की ओर नए आवास खुल रहे हैं। फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी
जलवायु

तापमान बढ़ने से ध्रुवीय मछलियों की संख्या में इजाफा, भूमध्यरेखीय मछलियों की घट रही है आबादी

ध्रुवों के नजदीक रहने वाली ताजे पानी की मछलियां भूमध्यरेखीय मछलियों से बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं इस बात का पता लगाने के लिए मछलियों की 600 से अधिक प्रजातियों को अध्ययन में शामिल किया गया।

Dayanidhi

एक नए शोध में पाया गया कि ध्रुवों के नजदीक रहने वाली ताजे या मीठे पानी की मछलियां भूमध्यरेखीय मछलियों से बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। अटलांटिक सैल्मन जैसी बड़ी-बड़ी प्रवासी प्रजातियां तेजी से बढ़ रही हैं क्योंकि तापमान बढ़ने से उनके लिए ध्रुव की ओर नए आवास खुल रहे हैं।

पनास नामक पत्रिका में प्रकाशित "जलवायु के गर्म होने से ताजे पानी की मछलियों की आबादी बढ़ रही है" शीर्षक वाला अध्ययन 10,000 से ज्यादा समय श्रृंखलाओं के डेटासेट पर आधारित था और इसमें मछलियों की 600 से अधिक प्रजातियां शामिल थी।

जलवायु परिवर्तन जैव विविधता के लिए एक प्रमुख खतरा बनकर सामने आ रहा है, जिसके कारण समुद्री और स्थलीय प्रजातियों के वितरण में भारी बदलाव हो रहे हैं क्योंकि वे गर्मी के आधार पर उपयुक्त आवास का पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं। इसके बावजूद ताजे पानी की प्रजातियों की जलवायु प्रतिक्रियाएं तुलनात्मक रूप से अभी भी अज्ञात हैं।

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि समुद्री और स्थलीय आवासों में बढ़ते तापमान के लिए एक सामान्य जैविक प्रतिक्रिया यह है कि प्रजातियों की सीमाओं के ध्रुव की ओर आबादी बढ़ रही है, क्योंकि नए वातावरण खुल रहे हैं। जबकि प्रजातियों की सीमाओं के भूमध्य रेखा की ओर आबादी घट रही है, क्योंकि वहां परिस्थितियां बहुत गर्म हो रही हैं।

शोध के मुताबिक, शोधकर्ताओं की टीम ने 1958 से 2019 तक एकत्र की गई नदियों में रहने वाली मछलियों की आबादी की बहुतायत समय श्रृंखला के एक बहुमहाद्वीपीय डेटाबेस को उसी अवधि के तापमान के आंकड़ों से जोड़ा। जहां से नमूने लिए गए उन इलाकों में पानी हर दशक में 0.21 डिग्री सेल्सियस गर्म हुआ।

शोध में पाया कि देखी गई आबादी संबंधी प्रवृत्तियां जलवायु के गर्म होने के अपेक्षित पैटर्न के अनुरूप थीं और यह प्रवृत्तियां 30 वर्षों से अधिक की लंबी समयावधि को कवर करने वाली समय श्रृंखला में अधिक स्पष्ट थीं।

जलवायु परिवर्तन के अनुरूप प्रतिक्रियाएं शरीर के बड़े आकार, उच्च ट्रॉफिक स्तर, नदी-समुद्र प्रवासी व्यवहार और अधिक व्यापक वितरण वाली प्रजातियों में सबसे अधिक स्पष्ट थी। इस प्रवृत्ति को अपनाने वाली प्रजातियों में ब्राउन ट्राउट और मोटी मछली की प्रजातियां शामिल हैं जो कई मछुआरों के लिए परिचित हैं, जैसे कि यूरोपीय पर्च और उत्तरी पाईक। इसके अलावा, बढ़ते तापमान के लिए सकारात्मक बहुतायत प्रतिक्रियाएं अधिक ऊंचाई पर अधिक होने की संभावना थी जहां जलवायु ठंडी होती हैं।

शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि निष्कर्षों से पता चलता है कि भविष्य में बढ़ने वाले तापमान से नदी में रहने वाले जीवों की संरचना में भारी बदलाव आने के आसार हैं, जिसमें प्रजातियों के वितरण के अंतिम छोर पर बहुत बड़ी गिरावट आना शामिल है।

शोध में कहा गया है कि शोधकर्ताओं का लक्ष्य अन्य तनाव वाले कारणों, जैसे प्रदूषण की घटनाओं, आवास में बदलाव और मत्स्य पालन के सापेक्ष ताजे पानी की मछलियों की आबादी के आकार को प्रभावित करने में जलवायु में बदलाव के बारे में अधिक समझना है।

शोध के निष्कर्ष में कहा गया है कि गर्म होते पानी का ताजे पानी की नदियों की मछलियों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है, जो जैव विविधता में समृद्ध हैं और पारंपरिक रूप से दुनिया भर की संस्कृतियों के लिए महत्वपूर्ण हैं।

शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से उम्मीद जताई गई है कि जलवायु परिवर्तन ताजे या मीठे पानी की मछलियों को कैसे प्रभावित कर सकता है, इस पर प्रकाश डालने से उनके संरक्षण और सतत उपयोग को सक्षम करने में मदद मिलेगी।

शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि हमें इस बारे में और अधिक जानने की जरूरत है कि आवास बहाली जैसी संरक्षण रणनीतियों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कैसे कम किया जा सकता है।