कहीं सूखा तो कहीं डूबा, बेईमान रहा अगस्त; फोटो: आईस्टॉक 
जलवायु

तपती धरती: 2025 में दुनिया ने झेला तीसरा सबसे गर्म अगस्त

धरती-समुद्र के असामान्य रूप से गर्म होने से मौसम की चरम घटनाएं पहले से कहीं ज्यादा घातक होती जा रहीं हैं, जिसका असर भारत सहित पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है

Lalit Maurya

  • 2025 में दुनिया ने तीसरा सबसे गर्म अगस्त झेला, जो जलवायु परिवर्तन की गंभीर चेतावनी है।

  • यूरोपीय एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल अगस्त का तापमान औद्योगिक काल से पहले की तुलना में 1.29 डिग्री सेल्सियस अधिक था।

  • दक्षिण-पश्चिम यूरोप में लू और आगजनी की घटनाएं बढ़ीं, जबकि समुद्र का तापमान भी असामान्य रूप से उच्च रहा।

  • रिपोर्ट से पता चला है कि सितंबर 2024 से अगस्त 2025 के बीच पिछले 12 महीनों का औसत तापमान, औद्योगिक काल से पहले की तुलना में 1.52 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा

  • बढ़ते तापमान की वजह से अगस्त में समुद्र भी औसत से अधिक गर्म रहे। रुझानों से पता चला है कि पिछले महीने समुद्र की सतह का वैश्विक तापमान 20.82 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जो उसे अब तक का तीसरा सबसे गर्म अगस्त बनाता है।

इस साल मानवता ने जलवायु इतिहास के तीसरे सबसे गर्म अगस्त का सामना किया। यह इस बात की स्पष्ट चेतावनी है कि हमारी पृथ्वी बहुत तेजी से गर्म हो रही है। यूरोपीय एजेंसी कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) ने अपनी नई रिपोर्ट में पुष्टि की है कि इस साल अगस्त में तापमान औद्योगिक काल (1850-1900) से पहले की तुलना में 1.29 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा।

बता दें कि अब तक का सबसे गर्म अगस्त 2023 और 2024 में दर्ज किया गया था, जब तापमान औसत से 1.51 डिग्री सेल्सियस अधिक था। मतलब की इस साल अगस्त का महीना इतिहास के सबसे गर्म अगस्त से महज 0.22 डिग्री ठंडा था।

साझा आंकड़ों के मुताबिक इस साल अगस्त में सतह के पास हवा का औसत तापमान 16.6 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जो 1991-2020 के औसत से 0.49 डिग्री सेल्सियस अधिक है।

रिपोर्ट से पता चला है कि सितंबर 2024 से अगस्त 2025 के बीच पिछले 12 महीनों का औसत तापमान, औद्योगिक काल से पहले की तुलना में 1.52 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा, जो इस बात की ओर इशारा है कि हम डेढ़ डिग्री सेल्सियस की लक्ष्मण रेखा को पार कर चुके हैं।

लू की चपेट में रहा दक्षिण-पश्चिम यूरोप

एजेंसी ने 9 सितंबर को जारी रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया पर हावी रिकॉर्ड तोड़ गर्मी और उससे जुड़ी आपदाएं जलवायु परिवर्तन से निपटने की तत्काल जरूरत को रेखांकित करती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक जहां दक्षिण-पश्चिम यूरोप भीषण लू की चपेट में रहा। वहीं स्पेन और पुर्तगाल के जंगलों में आग भड़क उठी, जबकि एशिया के कई हिस्सों में सामान्य से ज्यादा गर्मी दर्ज की गई।

हालात इस कदर खराब हो गए कि स्पेन में 16 दिनों तक चली लू के चलते 1,100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। वहीं दूसरी ओर उत्तरी यूरोप (पोलैंड, बेलारूस, बाल्टिक देश) अपेक्षाकृत ठन्डे रहे।

इस दौरान यूरोप का औसत तापमान 19.46 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जो सामान्य से 0.30 डिग्री अधिक है।

यदि जून से अगस्त 2025 की अवधि को देखें तो यह दुनिया के लिए अब तक की तीसरी सबसे गर्म अवधि रही। वहीं यूरोप में यह चौथा सबसे गर्म गर्मियों का मौसम रहा, जब तापमान सामान्य से 0.90 डिग्री सेल्सियस अधिक रिकॉर्ड किया गया। इस दौरान पश्चिमी, दक्षिण-पूर्वी यूरोप और तुर्की सबसे अधिक प्रभावित रहे।

ऐसा नहीं है कि बढ़ते तापमान का असर महज धरती तक सीमित रहा। बढ़ते तापमान की वजह से अगस्त में समुद्र भी औसत से अधिक गर्म रहे। रुझानों से पता चला है कि पिछले महीने समुद्र की सतह का वैश्विक तापमान 20.82 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जो उसे अब तक का तीसरा सबसे गर्म अगस्त बनाता है।

इस दौरान जहां उत्तर अटलांटिक में फ्रांस और ब्रिटेन के पास समुद्र का तापमान रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। वहीं उत्तरी प्रशांत महासागर भी असामान्य रूप से गर्म रहा। वहीं भूमध्यसागर में तापमान पिछले साल जितना चरम नहीं था। देखा जाए तो समुद्र का बढ़ता तापमान न केवल समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर असर डालता है, साथ ही इसका असर चरम मौसमी घटनाओं पर भी पड़ता है, जो पहले से कहीं ज्यादा विनाशकारी हो जाती हैं।

चरम मौसमी घटनाओं से त्रस्त रही धरती

पिछले महीने जहां यूरोप के पश्चिम और दक्षिण हिस्से सूखे से जूझते रहे। वहीं कई जगहों को भीषण आग का सामना करना पड़ा। स्पेन में लू का कहर पूरी तरह हावी रहा। वहीं उत्तरी इटली, पूर्वी स्पेन और स्कैंडेनेविया में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई।

दुनिया के अन्य हिस्सों को देखें तो जहां अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में सूखे की स्थिति रही। दूसरी तरफ चीन, जापान, पाकिस्तान, भारत और ब्राजील जैसे देशों में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज हुई। भारत में तो कई जगह बाढ़ और भूस्खलन से स्थिति बेहद खराब हो गई।

इस साल ब्रिटेन, जापान और दक्षिण कोरिया ने भी अपनी अब तक की सबसे गर्म गर्मियों का सामना किया। वैज्ञानिकों ने चेताया है कि इंसानों द्वारा बढ़ता उत्सर्जन जलवायु में आते बदलावों की वजह बन रहा है जो आग, लू, बारिश, बाढ़, सूखा आदि की वजह बन रहा है। यह चरम मौसमी घटनाएं पहले से कहीं ज्यादा हावी होती जा रही हैं।

ध्रुवों पर भी पड़ रहा असर

आर्कटिक में जमा बर्फ की बात करें तो अगस्त 2025 में समुद्री बर्फ औसत से 12 फीसदी कम रही, यह रिकॉर्ड में आठवां सबसे कम स्तर है। वहीं अंटार्कटिका में बर्फ का स्तर सामान्य से सात फीसदी कम रहा, जो अगस्त के लिए तीसरा सबसे निचला स्तर है।

देखा जाए तो अगस्त 2025 में तापमान का एक और नया रिकॉर्ड इस बात की चेतावनी है कि अगर बढ़ते उत्सर्जन को सीमित न किया गया तो आने वाले सालों में धरती और भी असहनीय गर्मी और तबाही के लिए तैयार रहना होगा।

कॉपरनिकस क्लाइमेट सर्विस की प्रमुख सामंथा बर्गेस का इस बारे में कहना है, “इस साल अगस्त धरती का तीसरा सबसे गर्म अगस्त रहा। दक्षिण-पश्चिम यूरोप में यह गर्मियों की तीसरी बड़ी लू और भीषण आगजनी लेकर आया। महासागर भी असामान्य रूप से गर्म रहे।“

उनके मुताबिक जब समुद्र भी असामान्य रूप से गर्म हो रहे हैं, तब यह केवल उत्सर्जन घटाने की ही नहीं बल्कि पहले से अधिक बार और विनाशकारी जलवायु आपदाओं के लिए तैयार रहने की भी चेतावनी है।