तापमान और बारिश जैसे जलवायु कारण डेंगू के फैलने को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं।  फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स
जलवायु

जलवायु संकट: अनचाही बारिश व तापमान बढ़ा रहा है डेंगू के मामले, जानें किस तरह लग सकती है लगाम

यह अध्ययन यह समझने में अहम है कि जलवायु परिवर्तन न केवल डेंगू बुखार को फैलाने में मदद करता है, बल्कि मलेरिया, इन्फ्लूएंजा और जीका वायरस जैसी बीमारियों पर भी असर डालता है।

Dayanidhi

एक नए अध्ययन में तापमान और बारिश को दुनिया भर में डेंगू के मामलों में वृद्धि के मुख्य कारणों के रूप में पहचाना गया है। साथ ही शोधकर्ताओं ने बीमारी के प्रभाव को कम करने के लिए नई रणनीतियों का भी सुझाव दिया है।

मच्छरों से होने वाली बीमारी में डेंगू बुखार एक खतरनाक सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बन गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, केवल उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका में 2023 में डेंगू के मामलों की संख्या 41 लाख से बढ़कर 2024 में 1.06 करोड़ से अधिक हो गई है।

शोध के मुताबिक, दुनिया भर में यह संख्या अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। जबकि तापमान और बारिश जैसे जलवायु कारण इस प्रवृत्ति को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं। डेंगू के फैलने के साथ उनके जटिल संबंध को अभी भी ठीक से समझा नहीं गया है।

पिछले अध्ययनों ने परस्पर विरोधी निष्कर्षों को समेटने का काम किया है, कुछ सुझाव देते हैं कि बारिश डेंगू के फैलने को बढ़ाती है, जबकि अन्य कहते हैं कि यह इसे दबा देती है।

शोध में कहा गया है कि इंस्टीट्यूट फॉर बेसिक साइंस (आईबीएस) के शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि ये विसंगतियां पारंपरिक तरीकों की सीमाओं से उत्पन्न होती हैं जो खुले प्रभावों पर गौर करते हैं। इसे हल करने के लिए, शोधकर्ताओं ने जीओबी का उपयोग किया, जो अनुमान लगाने का एक नया उपकरण है जिसे आईबीएस की टीम ने 2023 में विकसित किया था।

यह विधि जलवायु के कारणों के प्रभावों को पकड़ती है, जिससे मौसम और डेंगू की घटनाओं के बीच संबंधों का अधिक गहराई से विश्लेषण कर पाना संभव हो पाता है।

अध्ययन में फिलीपींस के 16 क्षेत्रों पर गौर किया गया, जिन्हें उनकी विविध जलवायु परिस्थितियों के कारण चुना गया था, ताकि यह जांचा जा सके कि तापमान और बारिश मिलकर डेंगू के फैलने को किस तरह प्रभावित करते हैं।

तापमान और बारिश दोनों के प्रभावों से फिलीपींस में डेंगू फैलने के अलग-अलग पैटर्न सामने आए। बढ़ते तापमान लगातार सभी क्षेत्रों में डेंगू की घटनाओं में वृद्धि से जुड़े पाए गए। दूसरी ओर, बारिश ने इलाके के जगह के आधार पर विपरीत प्रभाव दिखाए। पूर्वी क्षेत्रों में बारिश ने डेंगू की घटनाओं को बढ़ा दिया, जबकि पश्चिमी क्षेत्रों में, बारिश ने इसे दबा दिया।

सबसे अहम कारण शुष्क मौसम की अवधि में भिन्नता थी, जिसे बारिश के विपरीत प्रभावों को समझाने के लिए जरूरी माना गया। शुष्क मौसम की अवधि में कम विविधता वाले क्षेत्रों में, बारिश ने स्थिर पानी को बाहर निकाल दिया, जिससे मच्छरों के प्रजनन स्थल कम हो गए और डेंगू संक्रमण कम हो गया।

दूसरी ओर, शुष्क मौसम की लंबी अवधि में भारी विविधता वाले क्षेत्रों में, बारिश ने नए प्रजनन स्थल बनाए और पानी के बाहर निकलने को कमजोर कर दिया, जिससे मच्छरों की आबादी और डेंगू के मामलों में वृद्धि हुई।

शुष्क मौसम की लंबी अवधि की भूमिका को पिछले शोध में काफी हद तक नजरअंदाज किया गया है, लेकिन इस अध्ययन में यह एक निर्णायक कारण साबित हुआ। यह खोज बारिश और डेंगू के बढ़ते मामलों के बीच जटिल संबंधों पर एक नया नजरिया प्रदान करती है।

शोध के मुताबिक, निष्कर्षों को परखने के लिए, शोधकर्ताओं ने अपने विश्लेषण को प्यूर्टो रिको तक बढ़ाया, जो अलग-अलग जलवायु क्षेत्रों वाला इलाका है। सैन जुआन, एडजुंटास और पोंस सहित नगर पालिकाओं के आंकड़ों ने समान पैटर्न प्रदर्शित किए, जो परिणामों की समानता को सामने लाता है।

शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि शोध के निष्कर्ष इस बात के लिए अहम सबूत प्रदान करते हैं कि जलवायु कारक अलग-अलग वातावरण में डेंगू फैलने को कैसे प्रभावित करते हैं। यह समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है कि जलवायु परिवर्तन दुनिया भर में मच्छर जनित बीमारियों को कैसे फैला सकता है।

शोध के निष्कर्षों में डेंगू पर लगाम लगाने की रणनीतियों को अनुकूलित करने के लिए तत्काल उपयोग किया जा सकता हैं। कम विविधता वाले क्षेत्रों के लिए, बरसात के मौसम के दौरान प्राकृतिक तरीके से पानी के बाहर निकलने के प्रयासों को कम कर सकते हैं, जिससे अन्य जरूरतें संसाधन मुक्त हो सकती हैं।

विशेष रूप से, छिटपुट बारिश द्वारा बनाई गई प्रजनन-अनुकूल स्थितियों का मुकाबला करने के लिए विविधता वाले क्षेत्रों में लगातार और साल भर लगाम लगाने के प्रयास जरूरी हैं।

इसके अलावा अध्ययन डेंगू के प्रकोप के लिए एक पूर्वानुमान के रूप में शुष्क मौसम की लंबी अवधि तक की निगरानी के महत्व को उजागर करता है। विशिष्ट क्षेत्रीय जलवायु पैटर्न के लिए रणनीतियों को तैयार करके, सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसियां डेंगू के फैलने से निपटने के लिए संसाधनों को अधिक कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से आवंटित कर सकती हैं।

यह अध्ययन यह समझने में अहम है कि जलवायु परिवर्तन न केवल डेंगू बुखार को फैलाने में मदद करता है, बल्कि मलेरिया, इन्फ्लूएंजा और जीका वायरस जैसी अन्य जलवायु संचालित बीमारियों पर भी असर डालता है।

साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले कहा गया है कि यह शोध संबंधों का पता लगाने के लिए पारंपरिक तरीकों की सीमाओं को पार करता है। यह एक उन्नत अनुमान एल्गोरिथ्म के माध्यम से जलवायु के बदलाव और संक्रामक रोगों के बीच जटिल आंतरिक क्रियाओं को स्पष्ट करता है। इस नजरिए को जलवायु से जुड़ी विभिन्न बीमारियों के विश्लेषण पर भी लागू किया जा सकता है।

जबकि अध्ययन मजबूत नजरिया प्रदान करता है, शोधकर्ता कुछ सीमाओं को स्वीकार करते हैं, जिसमें मच्छरों की आबादी के आंकड़ों की कमी और स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच और लोगों की गतिविधि जैसे सामाजिक आर्थिक कारण शामिल हैं। साप्ताहिक डेंगू की घटनाओं और मच्छरों की गतिशीलता जैसे अधिक विस्तृत आंकड़ों तक पहुंच के साथ भविष्य के अध्ययन इन निष्कर्षों को और अधिक सुधार सकते हैं।