ग्लेशियरों का हर साल एक क्रेडिट कार्ड की चौड़ाई के बराबर कटाव हो रहा है। प्रतीकात्मक छवि, फोटो साभार: आईस्टॉक
जलवायु

दुनिया के 99 फीसदी ग्लेशियर हर साल पतले हो रहे हैं, कटाव की रफ्तार क्रेडिट कार्ड जितनी

ग्लेशियरों के कटाव के पीछे तापमान, ग्लेशियर के नीचे पानी की मात्रा, उस क्षेत्र में किस प्रकार की चट्टानें हैं और पृथ्वी के अंदर से कितनी गर्मी आती है ये सभी शामिल हैं।

Dayanidhi

अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नए अध्ययन ने दुनिया भर में ग्लेशियरों के कटाव की दरों का नई सटीकता के साथ अनुमान लगाया है। अधिकांश ग्लेशियरों का कटाव अलास्का, कनाडाई आर्कटिक, ग्रीनलैंड, स्कैंडिनेविया और दक्षिणी एंडीज जैसे आधुनिक बर्फ आवरण वाले इलाकों में होता है।

ग्लेशियरों ने गहरी घाटियों को तराशा है, मिट्टी के कटाव को कम कर उपजाऊ मिट्टी को जमा किया है तथा ये पृथ्वी की सतह को बदलते रहे हैं। लेकिन ग्लेशियरों का कटाव कितनी तेजी से भूदृश्य को आकार देते हैं, इनका अनुमान लगाना जरूरी है।

एक नए शोध में, विक्टोरिया विश्वविद्यालय (यूवीआईसी) के शोधकर्ताओं ने इस बारे में सबसे बड़ी जानकारी दी है, जिसमें कहा गया है कि ग्लेशियर कितनी तेजी से नष्ट हो रहे हैं और इससे जमीन किस तरह बदलती है। सबसे अहम बात यह है कि उनका शोध दुनिया भर में 1,80,000 से अधिक ग्लेशियरों के भविष्य में होने वाले कटाव की दर का भी अनुमान प्रदान करता है।

मशीन लर्निंग पर आधारित वैश्विक विश्लेषण का उपयोग करते हुए, शोधकर्ताओं ने 85 फीसदी आधुनिक ग्लेशियरों के बर्फ के नुकसान होने का पूर्वानुमान लगाया है। उनके वापसी संबंधी समीकरणों का अनुमान है कि 99 फीसदी ग्लेशियरों का हर साल 0.02 से 2.68 मिलीमीटर के बीच क्षरण होता है, जो लगभग एक क्रेडिट कार्ड की चौड़ाई के बराबर है।

ग्लेशियरों के आधार पर कटाव की स्थिति जितनी पहले समझी जाती थी, उससे कहीं अधिक जटिल है। शोध के विश्लेषण में पाया गया कि कई कारण कटाव की दर को बहुत प्रभावित करते हैं, जिनमें तापमान, ग्लेशियर के नीचे पानी की मात्रा, उस क्षेत्र में किस प्रकार की चट्टानें हैं और पृथ्वी के अंदर से कितनी गर्मी आती है ये सभी शामिल हैं।

नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि सक्रिय ग्लेशियर वाले इलाकों में ग्लेशियरों के कटाव को मापना अत्यधिक कठिन होने के कारण, यह अध्ययन दुनिया भर के दूरस्थ स्थानों के लिए इस प्रक्रिया का अनुमान प्रदान करता है।

ग्लेशियरों के नीचे कटाव पैदा करने वाले जटिल कारणों को समझना, भू-दृश्य प्रबंधन, लंबे समय तक परमाणु अपशिष्ट भंडारण तथा दुनिया भर में तलछट और पोषक तत्वों की आवाजाही की निगरानी के लिए अहम जानकारी है।

शोधकर्ताओं ने मशीन लर्निंग एल्गोरिदम को प्रशिक्षित करने के लिए भू-वैज्ञानिक और जल-विज्ञान संबंधी आंकड़ों के साथ-साथ डिजिटल मॉडल और ग्लेशियर प्रवाह की गति सहित सुदूर संवेदी आंकड़ों का उपयोग किया गया।

सक्रिय ग्लेशियरों के आधार पर कटाव को मापने में आने वाली कठिनाई को देखते हुए, यह अध्ययन दुनिया भर के बहुत दूर के इलाकों के लिए अनुमान लगता है।

विश्लेषण ने दरों को प्रभावित करने वाले कई कारणों की पहचान की है, जिससे वैज्ञानिकों को यह निगरानी और पूर्वानुमान लगाने में मदद मिली। जिसमें गर्म होती दुनिया में ये चीजें कैसे विकसित हो सकती हैं और इससे संबंधित पर्यावरणीय परिणामों को कम करने की रणनीतियों के बारे में पता लगाया जा सकता है।