बर्नीहाट में बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सीपीसीबी ने एनजीटी को रिपोर्ट सौंपी है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि मेघालय और असम के इस औद्योगिक क्षेत्र में वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर है।
प्रदूषण रोकने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत कई कदम उठाए जा रहे हैं, जिनमें हरियाली बढ़ाना और सड़कों को पक्का करना शामिल है।
बर्नीहाट में तेजी से बढ़ते प्रदूषण के मामले में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने अपनी रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में असम-मेघालय सीमा पर बसे औद्योगिक कस्बे बर्नीहाट में प्रदूषण गंभीर स्थिति और उसे नियंत्रित करने के लिए अब तक उठाए कदमों का ब्योरा दिया गया है।
बर्नीहाट का औद्योगिक क्लस्टर असम और मेघालय, दोनों राज्यों में फैला है और करीब 6 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर करता है। मेघालय की ओर यह इलाका री-भोई जिले के उत्तरी हिस्से में आता है। यहां वायु गुणवत्ता की निगरानी मेघालय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और असम प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दोनों ही अपने-अपने क्षेत्र में करते हैं।
रिपोर्ट से पता चला है कि मेघालय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बर्नीहाट के मेघालय क्षेत्र में राष्ट्रीय वायु निगरानी कार्यक्रम के तहत चार स्थानों पर वायु गुणवत्ता की जांच करता है। वहीं, असम प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अपने क्षेत्र के एक स्थान पर निगरानी करता है।
जनवरी से जून 2025 तक के आंकड़ों से पता चला कि मेघालय के बर्नीहाट क्षेत्र में 62 फीसदी दिन हवा मानक के भीतर रही, जबकि असम की ओर केवल 11 फीसदी दिन ही हवा सुरक्षित पाई गई।
रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा किया गया है कि साल 2024 में मेघालय और असम दोनों ही राज्यों में बर्नीहाट के हिस्सों में पीएम10 और पीएम2.5 का स्तर मानकों से ऊपर दर्ज किया गया, जबकि सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ2) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ2) दोनों ही जगह मानकों के भीतर रहे।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सीईपीआई स्कोर के अनुसार असम में बर्नीहाट को गंभीर रूप से प्रदूषित क्षेत्र (क्रिटिकली पॉल्यूटेड एरिया) घोषित किया गया है।
प्रदूषण की रोकथाम के लिए क्या कुछ उठाए जा रहे हैं कदम
सीपीसीबी ने रिपोर्ट में प्रदूषण की रोकथाम के लिए उठाए कदमों का भी जिक्र किया है। एनजीटी को बताया गया कि मेघालय के बर्नीहाट क्षेत्र को राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत शामिल किया गया है। गौरतलब है कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने देशभर में वायु प्रदूषण कम करने के लिए 2019 में नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम की शुरुआत की थी।
इस योजना का लक्ष्य 2025-26 तक पीएम स्तर को 2019-20 की तुलना में 40 फीसदी कम करना या राष्ट्रीय मानक (60 माइक्रोग्राम/घन मीटर) को हासिल करना है।
गौरतलब है कि सीपीसीबी ने देश के 130 से अधिक ‘नॉन-अटेनमेंट’ शहरों (जहां लगातार पांच साल तक प्रदूषण का स्तर मानकों से ऊपर रहा) को इस कार्यक्रम में शामिल किया है। इनमें मेघालय का बर्नीहाट भी शामिल है।
पोर्टल फॉर रेगुलेशन ऑफ एयर-पॉल्यूशन इन नॉन-अटेनमेंट सिटीज (प्राणा) पर बर्नीहाट के शहरी स्थानीय निकाय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए जिले स्तर पर एजेंसियां जमीनी स्तर पर कई गतिविधियां चला रही हैं।
इनमें सड़कों को पूरी तरह पक्का करने और गड्ढामुक्त रखने के साथ-साथ यातायात मार्गों, खुले क्षेत्रों, बगीचों, सामुदायिक स्थलों, स्कूलों और आवासीय इलाकों में हरियाली को बढ़ाना शामिल है। इसके अलावा शहर में प्रदूषण के हॉटस्पॉट्स की पहचान कर वहां प्रदूषण के स्रोतों को ध्यान में रखते हुए विशेष कार्ययोजना लागू की जा रही है।