रायपुर का भाटा गांव स्थित आईएसबीटी जहां से देश के तमाम बड़े शहरों के लिए निजी बसें चलती हैं। सभी फोटो : भागीरथ 
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भारत में आवाजाही : शहर बढ़ने के साथ ध्वस्त होता गया रायपुर का पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम

रायपुर में आबादी से चार गुणा अधिक तेजी से बढ़ रहा है निजी वाहनों का काफिला

Bhagirath

छत्तीसगढ़ का रायपुर मेट्रोपॉलिटन शहरों की सूची में शामिल है और मौजूदा समय में इसकी अनुमानित जनसंख्या 19 लाख से अधिक है। 2011 की जनगणना में शहर की आबादी करीब 10 लाख आंकी गई थी। कह सकते हैं कि पिछले 14 वर्षों में शहर की आबादी लगभग दोगुनी हो चुकी है। शहर की आबादी 3-4 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ रही है। इस आबादी के साथ ही शहर का भी विस्तार हुआ है। 

इंटरनेशनल रिसर्च जर्नल ऑफ मल्टीडिसिप्लीनरी स्कोप (आईआरजेएमएस) में 2021 में प्रकाशित अध्ययन “अर्बन स्प्राउल एंड इट्स इम्पैक्ट ऑन अर्बनाइनेशन इन रायपुर सिटी (छत्तीसगढ़ स्टेट) इंडिया” में शोधकर्ता राजीव जेना और अनिल कुमार सिन्हा ने पाया था कि रायपुर के शहरी फैलाव क्षेत्र का विस्तार सकारात्मक रूप से बढ़ा है। 1971-1991 तक 29.86 वर्ग किमी, 1981-2001 तक 9.26 वर्ग किमी, 1991-2011 तक 6.18 वर्ग किमी और उसके बाद 2018 तक 6.37 वर्ग किमी शहर का फैलाव हुआ। यह फैलाव शहर के केंद्र से लगभग सभी दिशाओं में बहुत तेजी से हुआ है। 

शहर के इस व्यापक क्षेत्र और आबादी को मोबिलिटी प्रदान करने के लिए सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था ऊंट के मुंह में जीरा जैसी प्रतीत हो रही है। वर्तमान में चल रही सिटी बसें पिछले पांच वर्षों में बेहद सीमित हो गई हैं। स्थानीय निवासी सिटी बसों को पब्लिक की बस के बजाय मंत्रालय की बस के नाम से अधिक जानते हैं, क्योंकि अधिकांश बसें रायपुर से नया रायपुर के बीच सरकारी विभागों में काम कर रहे कर्मचारियों की स्टाफ बसें बनकर रह गई हैं। इनमें आम नागरिक यात्रा नहीं कर सकते। 

नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के अधिकारी नाम गुप्त रखने की शर्त पर स्वीकार करते हैं कि शहर का पब्लिक ट्रांसपोर्ट पूरी तरह ढह चुका है। वह मानते हैं कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट सबसे उपेक्षित चीज है और कोई इसकी इसकी जिम्मेदारी नहीं उठाना चाहता। उन्होंने यह भी बताया कि कोविड से पहले 378 सिटी बसें थीं। इनमें से अधिकांश बसें कोविड काल में बंद होने से खराब हो गईं जो कभी ठीक ही नहीं हो पाईं। मौजूदा समय में लगभग 140 सिटी बसें हैं जिनमें से करीब 100 बसें मंत्रालय के स्टाफ के लिए आरक्षित हैं और शेष 40 बसें आम नागरिकों के लिए हैं। 

अधिकारी यह भी बताते हैं कि 2013 की डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) में रायपुर की आबादी को देखते हुए लगभग 400 बसों की आवश्यकता बताई गई थी। अधिकारी के अनुसार, हर 10 लाख की आबादी पर 100 बसें होनी चाहिए। उनका मानना है कि विभिन्न सरकारी विभागों में तालमेल का अभाव है और इसी वजह से पब्लिक ट्रांसपोर्ट इतनी बुरी हालत में है। उनके पास सिटी बसों की बहुत मांग आती है लेकिन वह कुछ नहीं कर पाते। रायपुर ऑटो महासंघ के अध्यक्ष कमल पांडे भी मानते हैं कि शासन की उपेक्षा से शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट नाम की कोई चीज नहीं है।  

छत्तीसगढ़ के अडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर डी रविशंकर मानते हैं कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट खराब प्रबंधन के कारण बंद हुआ

छत्तीसगढ़ के एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर डी रविशंकर डाउन टू अर्थ को बताते हैं कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट खराब प्रबंधन की वजह से बंद हुआ है। वह मानते हैं कि कोविड के बाद बसें कम हुई हैं। साथ ही यह भी स्वीकार करते हैं कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट पेशेवर तरीके से प्रबंधित नहीं है। उनका कहना है कि कोई भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट तभी फायदे में रहता है जब सुविधा, सफाई और सुरक्षा प्रदान करे, लेकिन यहां इसका अभाव था।

भविष्य की योजनाओं पर उनका कहना है कि शहरों को मोबिलिटी प्रदान करने के लिए केंद्र से 150 इलेक्ट्रिक बसें मिलने वाली हैं, जो रायपुर, दुर्ग और भिलाई में चलाई जाएंगी। रविशंकर कहते हैं कि रायपुर में ई-रिक्शा व ऑटो को सीमित और व्यवस्थित करने के लिए शहर को जोन में बांटना आवश्यक है और इस दिशा में परिवहन विभाग काम कर रहा है। 

निजी बसों की बाढ़ 

रायपुर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट (सिटी और इंटरसिटी बस) के ढहने का परिणाम यह निकला कि लोगों का इससे भरोसा उठ गया और वे पूरी तरह प्राइवेट बसों पर निर्भर हो गए। अधिकारी दबी जुबान में स्वीकार करते हैं कि पब्लिक बसों को जानबूझकर इस स्थिति में पहुंचाया गया ताकि निजी बस संचालकों को इसका फायदा पहुंचे। ये निजी बसें मुख्यत: राजनीतिक रूप से ताकतवर लोगों की हैं और वे इससे मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। रायपुर से भिलाई और दुर्ग के बीच चलने वाली सरकारी सिटी बसें बंद होने से इन शहरों के बीच आवाजाही का एकमात्र साधन निजी बसें ही हैं। 

निजी बसों पर आश्रित रहते हैं यात्री

नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के सूत्रों के अनुसार, इस रूट पर 1,200-1,300 निजी बसें रोज चलती हैं। वह यह भी बताते हैं कोविड काल से पहले रायपुर एयरपोर्ट से दुर्ग के बीच सरकारी एसी बसों की बढ़िया कनेक्टिविटी थी। ये बसें आधे आधे घंटे के अंतराल पर चलती थीं। प्राइवेट बस ऑपरेटर को फायदा पहुंचाने के लिए इन बसों को बंद करवा दिया गया। कोविड के बाद ये बसें कभी नहीं चलीं।

रायपुर के मुख्य बस स्टैंड भाटागांव से कम से कम 600-700 निजी बसें राज्य के विभिन्न जिलों और दूसरे राज्यों में जाती हैं। बस स्टैंड में करीब 150 ट्रैवल एजेंसियों के दफ्तर हैं। महिंद्रा, रॉयल, दुबे और कांकेर ट्रैवल्स की सबसे अधिक बसें यहां से चलती हैं।

नगर निगम द्वारा संचालित इस अंतरराज्यीय बस टर्मिनल में एक कर्मचारी ने डाउन टू अर्थ को बताया कि यहां से सुबह 4 बजे बसों का संचालन शुरू हो जाता है और रात 12:30 बजे तक जारी रहता है। कुछ बड़े बस ऑपरेटर की बसों की संख्या सैकड़ों में है। उनका कहना है कि देश के अधिकांश शहरों के लिए यहां से बसें मिल जाती हैं।

यहां बस का इंतजार कर रहे गोपाल पंडित ने बताया कि वह 125 किलोमीटर दूर कवर्धा से आए हैं और उन्हें करीब 950 किलोमीटर दूर इंदौर जाना है। वह कहते हैं कि इंदौर जाने में उन्हें करीब 16 घंटे लगेंगे और प्राइवेट बसों के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। वह कहते हैं कि रायपुर से इंदौर के लिए कोई सीधी ट्रेन और पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं है।

इंदौर जाने के लिए प्राइवेट बस में करीब 1,500 रुपए का किराया लगता है और पीक सीजन में 2,000-2,500 रुपए तक हो जाता है। छत्तीसगढ़ के कई जिलों में अब तक ट्रेन की कनेक्टिविटी नहीं है, वहां जाने के लिए इन प्राइवेट बसों का ही सहारा है।  

करीब 100 सिटी बसें नया रायपुर स्थित सरकारी कार्यालय के कर्मचारियों के लिए आरक्षित हैं

राज्य के 23 प्रतिशत वाहन रायपुर में, रोज 355 वाहनों का पंजीयन 

रायपुर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बदहाली को देखते हुए लोग निजी वाहनों को तेजी से अपना रहे हैं। इसकी बानगी निजी वाहनों की बढ़ती संख्या से मिलती है। वाहन पोर्टल के अनुसार, रायपुर आरटीओ (रोड ट्रांसपोर्ट ऑफिस) राज्य के सबसे वाहन पंजीकृत करने वाले और सबसे अधिक राजस्व प्राप्त करने वाले आरटीओ में शामिल है। यहां अब तक 19 लाख 63 हजार से अधिक वाहन पंजीकृत हुए हैं। अकेले 2025 में 9 जून तक पंजीकृत वाहनों की संख्या 67 हजार से अधिक है। 

इस आरटीओ में 2024 में कुल 1,29,750 वाहन पंजीकृत हुए यानी प्रतिदिन करीब 355 वाहनों का पंजीकरण हुआ। यह 2023 से 16.46 प्रतिशत अधिक हैं। 2023 में 1,11,410 वाहन पंजीकृत हुए जो 2022 से 14.76 प्रतिशत अधिक हैं। 2022 में 2021 के मुकाबले 27.98 प्रतिशत अधिक वाहनों का पंजीयन हुआ। पूरे राज्य में अब तक पंजीकृत कुल वाहनों में करीब 23 प्रतिशत हिस्सेदारी अकेले रायपुर की है। यहां पिछले कुछ सालों से पंजीकृत वाहनों का आंकड़ा लगातार एक लाख से ऊपर जा रहा है। 

रायपुर की सड़कों पर कुल 34,631 तिपहिया, 15,768 हल्के यात्री वाहन, 791 मध्य यात्री वाहन, 1,478 भारी यात्री वाहन चल रहे हैं। जिले में पंजीकृत ओम्नी बसों (निजी इस्तेमाल) की संख्या 20,736 है। 

अगर निजी वाहनों की बात करें तो 14 लाख 58 हजार से अधिक दोपहिया और 3 लाख से अधिक लाइट मोटर व्हीकल हैं। इनमें कारों की संख्या करीब 2 लाख 40 हजार है। इन आंकड़ों के आधार पर कह सकते हैं कि रायपुर के हर दो में से डेढ़ लोगों के पास दोपहिया है और 13 प्रतिशत आबादी के पास निजी कारें हैं।