देश के कई शहरों में वायु गुणवत्ता न केवल इंसानों बल्कि दूसरे जीवों के लिए भी सुरक्षित नहीं है; फोटो: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई)  
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बेंगलुरू में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का उच्च स्तर: जांच के लिए संयुक्त समिति गठित

अंग्रेजी अखबार दक्क्न हेराल्ड में प्रकाशित एक खबर के आधार पर अदालत ने इस मामले को स्वतः संज्ञान में लिया है

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 19 दिसंबर, 2024 को तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए एक संयुक्त समिति के गठन का आदेश दिया है। मामला कर्नाटक के बेंगलुरु में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के उच्च स्तर से जुड़ा है।

इस समिति में कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (केएसपीसीबी), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के एकीकृत क्षेत्रीय कार्यालय, बेंगलुरु के क्षेत्रीय निदेशक शामिल होंगे।

समिति साइट का दौरा करने के साथ-साथ प्रासंगिक जानकारी एकत्र करेगी और दो महीनों के भीतर ट्रिब्यूनल की दक्षिणी बेंच के सामने एक तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

गौरतलब है कि छह दिसंबर, 2024 को अंग्रेजी अखबार दक्क्न हेराल्ड में प्रकाशित एक खबर के आधार पर अदालत ने इस मामले को स्वतः संज्ञान में लिया है। इस खबर में कहा गया है 2023 के दौरान बेंगलुरु में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का वार्षिक औसत स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा तय मानकों से करीब दोगुना था।

इस दौरान 295 दिनों तक नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का उच्च स्तर दर्ज किया गया। वहां सिटी रेलवे स्टेशन क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित रहा, जहां 2023 में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का स्तर 295 दिनों तक डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित मानकों से अधिक था। वहीं अन्य प्रदूषित क्षेत्रों में होमबेगौड़ा नगर (125 दिन), बापूजी नगर (120 दिन) और पीन्या (119 दिन) शामिल थे।

यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो चुका है कि नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का उच्च स्तर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। यह अस्थमा, सूजन और सांस लेने में जलन के जैसे जोखिमों को बढ़ा सकता है।

इतना ही नहीं यह फेफड़ों के विकास को बाधित कर सकता है और मौजूदा स्थिति पर बुरा असर डाल सकता है। इसकी वजह से एलर्जी की समस्या बढ़ सकती है। साथ ही सांस से जुड़ी समस्याएं, मृत्युदर में इजाफा, हृदय रोग और यहां तक की फेफड़ों के कैंसर का जोखिम भी बढ़ सकता है।

गौरतलब है कि देश में सिर्फ बेंगलुरु ही नहीं कई अन्य शहरों में भी प्रदूषण की स्थिति बेहद खराब बनी हुई है।

देश के कई शहरों में मानकों से कहीं ज्यादा है प्रदूषण

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 23 दिसंबर 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 229 में से महज 25 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) बनी हुई है। वहीं 73 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) दर्ज किया गया, गौरतलब है कि 22 दिसंबर को यह आंकड़ा 67 दर्ज किया गया था। इसी तरह 88 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'मध्यम' (101-200 के बीच) रिकॉर्ड किया गया है।

वहीं दूसरे शहरों की तुलना में दिल्ली (406) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां आज भी एक्यूआई गंभीर बना हुआ है। वहीं कल भी दिल्ली में हवा सबसे ज्यादा खराब थी, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 409 रिकॉर्ड किया गया।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो फरीदाबाद में इंडेक्स 209, गाजियाबाद में 323, गुरुग्राम में 296, नोएडा में 322, और ग्रेटर नोएडा में 250 पर पहुंच गया। हालांकि बेंगलुरु में वायु गुणवत्ता संतोषजनक दर्ज की गई है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 131 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम’ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 214, चेन्नई में 46, चंडीगढ़ में 287, हैदराबाद में 86, जयपुर में 136 और पटना में 218 दर्ज किया गया।

दूसरी तरफ रोहतक सहित देश के आठ शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'बेहद खराब' बना हुआ है। इन शहरों में बाड़मेर, बर्नीहाट, चरखी दादरी, गाजियाबाद, हाजीपुर, जैसलमेर, नोएडा शामिल हैं। वहीं देश के छोटे बड़े 34 शहरों में वायु गुणवत्ता 'खराब' बनी हुई है।

देश में वायु प्रदूषण की ताजा जानकारी आप डाउन टू अर्थ के एयर क्वालिटी ट्रैकर से प्राप्त कर सकते हैं।