फोटो: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट 
वायु

दिल्ली की हवा में जहर: जहांगीरपुरी, रोहिणी और शाहदरा सबसे प्रदूषित इलाकों में शामिल

अक्टूबर के 31 में से 23 दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं थी। इस दौरान उत्तर-पश्चिम और पूर्वी इलाके सबसे ज्यादा प्रदूषित रहे

Lalit Maurya

  • दिल्ली की हवा में प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया है, जहांगीरपुरी, रोहिणी और शाहदरा सबसे प्रदूषित इलाकों में शामिल हैं।

  • रेस्पिरर लिविंग साइंसेज के अध्ययन के अनुसार, अक्टूबर में 23 दिन वायु गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं थी।

  • प्रदूषण का स्तर 20-21 अक्टूबर के बीच चरम पर था, जब पीएम2.5 का स्तर 675 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर को पार कर गया।

दिल्ली की हवा एक बार फिर जहरीली बन चुकी है। रेस्पिरर लिविंग साइंसेज द्वारा अपने ‘एटलस एक्यू’ प्लेटफॉर्म के जरिए पिछले एक महीने के किए हाइपरलोकल विश्लेषण से पता चला है कि अक्टूबर के 31 में से 23 दिन दिल्ली की वायु गुणवत्ता, मानकों पर खरी नहीं थी।

इस दौरान शहर के अधिकांश हिस्सों में वायु गुणवत्ता ‘खराब’ से ‘बेहद खराब’ श्रेणी में रही।

अपने इस अध्ययन में रेस्पिरर लिविंग साइंसेज से जुड़े शोधकर्ताओं ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और गूगल एयरव्यू+ के आंकड़ों को जोड़कर 3×3 किलोमीटर के ग्रिड में प्रदूषण का मानचित्र तैयार किया गया। इसका मकसद प्रदूषण के उन हॉटस्पॉट्स की पहचान करना था, जो मौजूदा निगरानी नेटवर्क में शामिल नहीं हैं।

इस विश्लेषण में एक स्पष्ट पैटर्न सामने आया, जिसके मुताबिक अक्टूबर में जहांगीरपुरी, रोहिणी और शाहदरा, दिल्ली के सबसे प्रदूषित इलाके थे। इनके बाद मंगोलपुरी इंडस्ट्रियल एरिया और मदनपुर खादर सबसे प्रदूषित क्षेत्र के रूप में सामने आए।

रेस्पिरर लिविंग साइंसेज के संस्थापक और सीईओ रोनक सुतारिया का इस बारे में कहना है, “अब दिल्ली का प्रदूषण केवल उसके केंद्र तक सीमित नहीं है। हाइपरलोकल मैपिंग से पता चला है कि औद्योगिक और आवासीय इलाके एक ही तरह की हवा में सांस ले रहे हैं।"

उनके मुताबिक इस चुनौती का समाधान तभी संभव है जब शहर और राज्य स्तर पर मिलकर योजनाएं बनाई जाएं।

20 से 21 अक्टूबर के बीच अपने चरम पर था प्रदूषण

रिपोर्ट से पता चला है कि दिल्ली में 20 से 21 अक्टूबर के बीच प्रदूषण का स्तर अपने चरम पर रहा, जब पीएम2.5 का स्तर 675 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर को पार कर गया। यह सुरक्षित सीमा से 11 गुणा अधिक है। प्रदूषण में हुई यह वृद्धि शांत मौसम और त्योहारों के दौरान बढ़ते प्रदूषण का संकेत देती है।

अक्टूबर में जहांगीरपुरी (144.1 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर), रोहिणी (142 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर), शाहदरा (134.8 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर), मंगोलपुरी इंडस्ट्रियल एरिया (123.8 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) और मदनपुर खादर (120.3 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) शहर के पांच सबसे प्रदूषित इलाकों के रूप में सामने आए। इन सभी स्थानों पर पीएम2.5 का स्तर राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों से दो गुणा अधिक पाया गया।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और सीपीसीबी के आधिकारिक आंकड़ों ने भी इस रिपोर्ट में सामने आए निष्कर्षों की पुष्टि की है। उनके अनुसार, जहांगीरपुरी–बवाना–वजीरपुर कॉरिडोर दिल्ली का सबसे प्रदूषित औद्योगिक क्लस्टर बना हुआ है।

इन क्षेत्रों में पीएम2.5 का औसत स्तर 140 से 146 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के बीच पाया गया, जो राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों से दो गुणा अधिक है। इसके बाद आनंद विहार और विवेक विहार में यह स्तर 133 से 135 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के बीच रहा।

द्वारका, श्री अरबिंदो मार्ग और लोधी रोड में संतोषजनक रही वायु गुणवत्ता

सुतारिया के मुताबिक, उत्तर और पूर्वोत्तर दिल्ली के ये औद्योगिक और ट्रांसपोर्ट हब लंबे समय से प्रदूषण के हॉटस्पॉट बने हुए हैं। छोटे कारखानों की भीड़, भारी ट्रैफिक और शांत मौसम में हवा के न चलने से यहां प्रदूषण की स्थिति बेहद गंभीर रहती है।

इनके उलट द्वारका, श्री अरबिंदो मार्ग और लोधी रोड जैसे इलाकों में हवा तुलनात्मक रूप से साफ रही और वायु गुणवत्ता ‘संतोषजनक’ स्तर पर बनी रही।

रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता निगरानी का विस्तार किया जाए। साथ ही निगरानी में मौजूद अंतराल को भरने के लिए नागरिकों और निजी सेंसरों के आंकड़ों को सरकारी सिस्टम में जोड़ा जाए, और खासतौर पर उत्तर-पश्चिम दिल्ली के औद्योगिक इलाकों में धूल और कारखानों से निकलने वाले धुएं को सख्ती से नियंत्रित किया जाए।

सुतारिया ने जोर देते हुए कहा है, “सरकारी आंकड़ों को स्वतंत्र सेंसर नेटवर्क से जोड़ने से निगरानी में मौजूद भौगोलिक कमियों को दूर किया जा सकता है। इससे नीति-निर्माताओं को यह स्पष्ट समझ मिलती है कि प्रदूषण कहां और किस दिशा में फैल रहा है।"

उनके मुताबिक यह जानकारी स्थानीय स्तर पर प्रभावी कार्रवाई की बुनियाद बन सकती है। भारत में वायु गुणवत्ता से जुड़ी ताजा जानकारी आप डाउन टू अर्थ के एयर क्वालिटी ट्रैकर से प्राप्त कर सकते हैं।