संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में वैश्विक अनाज उत्पादन 299 करोड़ टन तक पहुंच सकता है, जो एक नया रिकॉर्ड होगा।
इस वृद्धि से महंगाई और खाद्य संकट से जूझती दुनिया को राहत मिलेगी। मक्का, गेहूं और चावल की पैदावार में बढ़ोतरी की उम्मीद है, जिससे अनाज की खपत और भंडारण में भी इजाफा होगा।
2025-26 में अनाज की खपत भी बढ़कर 292.9 करोड़ टन पर पहुंच सकती है, जो पिछले साल की तुलना में करीब 1.8 फीसदी अधिक है
अच्छी पैदावार के चलते वैश्विक अनाज भंडार भी बढ़ने की उम्मीद है। अनुमान है कि 2025 के अंत तक ये 5.7 फीसदी बढ़कर 91.6 करोड़ टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाएगा
दुनिया में जरूरी अनाजों पर लगे निर्यात (यानी दूसरे देशों को बेचने) पर प्रतिबंध अब धीरे-धीरे कम हो रहे हैं। अर्जेंटीना, भारत और रूस जैसे देशों ने हाल ही में निर्यात पर लगी पाबंदियां घटानी शुरू कर दी हैं
महंगाई, जलवायु आपदाओं और भुखमरी से जूझती दुनिया के लिए किसानों की ओर से राहत की खबर सामने आई है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन ने अपनी ताजा रिपोर्ट में उम्मीद जताई है कि 2025 में अनाज उत्पादन नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है। इससे न केवल किसानों बल्कि आम आदमी को भी फायदा होगा।
रिपोर्ट में साझा आंकड़ों से पता चला है कि 2025 में वैश्विक अनाज उत्पादन 4.4 फीसदी बढ़कर 299 करोड़ टन तक पहुंच सकता है, जो अपने आप में एक नया रिकॉर्ड है।
इस दौरान गेहूं, मक्का, चावल तीनों की पैदावार में बढ़ोतरी का अनुमान है। इसके साथ ही जौ जैसे अन्य अनाजों के उत्पादन में बढ़ोतरी की उम्मीद है। सबसे ज्यादा बढ़ोतरी मक्के की फसल में होने की उम्मीद है, जबकि चावल में सबसे कम, लेकिन दोनों ही अनाज रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकते हैं।
अनाज के लिए ‘उम्मीदों का साल
रिपोर्ट के अनुसार, 2025-26 में अनाज की खपत भी बढ़कर 292.9 करोड़ टन पर पहुंच सकती है, जो पिछले साल की तुलना में करीब 1.8 फीसदी अधिक है। यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से अच्छी पैदावार और घटती कीमतों के कारण होगी। सस्ते दाम और पर्याप्त आपूर्ति के कारण पशु आहार के रूप में अनाज की मांग और तेजी से बढ़ने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में इस बात की उम्मीद जताई है कि मक्का और गेहूं जैसे अनाजों का इस्तेमाल पशुओं के चारे के रूप में बढ़ेगा, खासकर ब्राजील और अमेरिका में ऐसा देखने को मिलेगा। एशिया में भी मछलीपालन के लिए चारे की मांग बढ़ने से गेहूं के आयात में इजाफा होगा।
वैश्विक बाजार में स्थिरता की उम्मीद
अच्छी पैदावार के चलते वैश्विक अनाज भंडार भी बढ़ने की उम्मीद है। अनुमान है कि 2025 के अंत तक ये 5.7 फीसदी बढ़कर 91.6 करोड़ टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाएगा। यह 2017-18 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर होगा। इसमें सबसे बड़ा इजाफा खासकर उत्तरी अमेरिका में मक्का के भंडार में होगा।
इसके बाद गेहूं और जौ के भंडार बढ़ेंगे, जबकि ज्वार के भंडार में मामूली गिरावट आ सकती है। इसी तरह चावल का भंडार भी बढ़कर 21.5 करोड़ टन के नए रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच सकता है।
कुल मिलाकर, 2025-26 में वैश्विक अनाज भंडार और खपत का अनुपात बढ़कर 31.1 फीसदी तक पहुंचने का अनुमान है, जो 2017-18 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर होगा। यह बाजार के लिए स्थिरता का भी संकेत है।
वैश्विक अनाज व्यापार में भी मजबूती की उम्मीद है। अनुमान है कि 2025-26 में अनाज का व्यापार 3.2 फीसदी बढ़कर करीब 50 करोड़ टन तक पहुंच जाएगा। इस दौरान गेहूं का व्यापार (जुलाई-जून) में 5.1 फीसदी बढ़कर 99 लाख टन तक बढ़ सकता है। इसका मुख्य कारण एशियाई देशों में बढ़ती मांग है, जहां गेहूं का आयात 1.56 करोड़ टन तक बढ़ने का अनुमान है।
दूसरी ओर, मक्का, जौ और ज्वार जैसे मोटे अनाजों के व्यापार में भी बढ़ोतरी की उम्मीद है। निर्यात की कम कीमतों और पशु आहार के रूप में बढ़ती मांग से इनका कारोबार बढ़ेगा, हालांकि यह अब भी 2023-24 के उच्च स्तर से नीचे रहेगा।
इसके विपरीत, चावल का वैश्विक व्यापार 1.2 फीसदी घटकर 2026 में 6.1 करोड़ टन पर आ सकता है।
निर्यात प्रतिबंधों में राहत
इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र के तहत चलने वाली संस्था एएमआईएस ने शुक्रवार को अपनी नई मार्केट मॉनिटर रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया में जरूरी अनाजों पर लगे निर्यात (यानी दूसरे देशों को बेचने) पर प्रतिबंध अब धीरे-धीरे कम हो रहे हैं।
अर्जेंटीना, भारत और रूस जैसे देशों ने हाल ही में निर्यात पर लगी पाबंदियां घटानी शुरू कर दी हैं। पहले इन्हीं देशों ने 2024 से 2025 के बीच ज्यादातर ऐसे प्रतिबंध लगाए थे। इससे अब दुनिया में खाने-पीने की चीजों की आपूर्ति बेहतर हो सकती है।
कुल मिलाकर, 2025 दुनिया के लिए खाद्य सुरक्षा और स्थिरता का वर्ष साबित हो सकता है। अच्छी पैदावार, बढ़ते भंडार और निर्यात प्रतिबंधों में राहत के चलते अनाज की उपलब्धता बेहतर होगी, जिससे महंगाई और खाद्य संकट से जूझती दुनिया को राहत मिल सकती है।
यह समय किसानों और आम लोगों दोनों के लिए सकारात्मक बदलाव लाने वाला हो सकता है, और वैश्विक बाजार में भी स्थिरता लौट सकती है।