कृषि

सितंबर में खाद्य कीमतों में रही नरमी: अनाज, चीनी, दूध हुए सस्ते, मांस बना महंगा सौदा

सितम्बर में लगातार तीसरे महीने गेहूं की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। इसके साथ ही तेल, दूध, चीनी के दामों में भी नरमी रही, जो आम आदमी के लिए अच्छी खबर है

Lalit Maurya

रसोई के लिए सितंबर का स्वाद खट्टा-मीठा रहा। एक तरह जहां वैश्विक बाजार में दूध, चीनी और अनाज की कीमतें में आई गिरावट ने आम आदमी को राहत दी, वहीं मांस के दाम रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए।

संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में जानकारी दी है कि सितंबर 2025 में वैश्विक स्तर पर खाद्य कीमतों में मामूली गिरावट दर्ज की गई। इसकी मुख्य वजह चीनी, तेल, अनाज और डेयरी उत्पादों के दाम में आई कमी रही।

एफएओ फूड प्राइस इंडेक्स, जो अंतरराष्ट्रीय बाजार में व्यापार होने वाले प्रमुख खाद्य उत्पादों की मासिक कीमतों में होने वाले बदलाव को ट्रैक करता है, सितंबर में औसतन 128.8 अंक रहा। यह अगस्त के संशोधित स्तर 129.7 अंक से कम है, लेकिन पिछले साल सितम्बर 2024 की तुलना में यह अभी भी 3.4 फीसदी अधिक है।

हालांकि राहत की बात यह है कि यह अभी भी मार्च 2022 के अपने शिखर से अभी भी करीब 20 फीसदी नीचे बना हुआ है।

अनाज, दूध, चीनी हुई सस्ती

सितम्बर में लगातार तीसरे महीने गेहूं की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। इसकी बड़ी वजह अंतरराष्ट्रीय मांग में कमी और रूस समेत यूरोप व उत्तरी अमेरिका के प्रमुख उत्पादक देशों में अच्छी फसल को लेकर जगी उम्मीदें रही। इस दौरान मक्के की कीमतों में भी गिरावट आई, खासकर अमेरिका में भरपूर पैदावार और अर्जेंटीना द्वारा अस्थाई रूप से निर्यात कर में छूट के की वजह से दामों पर असर दिखा।

वहीं दूसरी ओर अन्य अनाजों में जौ और ज्वार के दाम बढ़े। इसमें भी जौ की कीमतों में लगातार तीसरे महीने इजाफा देखा गया। वहीं, धान मूल्य सूचकांक सितंबर 2025 में 0.5 फीसदी गिर गया। इसका मुख्य वजह इंडिका चावल के दामों में आई कमी रही। फिलीपींस और अफ्रीका से खरीद में आई कमी से धान की कीमतों में दबाव देखा गया।

कुल मिलाकर देखें तो सितंबर 2025 में अनाज मूल्य सूचकांक औसतन 105 अंक पर रहा, जो अगस्त से 0.6 फीसदी कम है। वहीं पिछले साल सितंबर 2024 की तुलना में भी यह 7.5 फीसदी नीचे बना हुआ है।

तेल, मांस का यह रहा हाल

अंतराष्ट्रीय बाजार में सितम्बर में वनस्पति तेलों में नरमी देखी गई। पिछले महीने वनस्पति तेल मूल्य सूचकांक औसतन 167.9 अंक पर रहा, जो अगस्त से 0.7 फीसदी कम है, लेकिन पिछले साल की तुलना में अभी भी 18 फीसदी ऊपर बना हुआ है।

इस गिरावट का मुख्य कारण पाम और सोयाबीन तेल की कीमतों में आई कमी है, जिसने सूरजमुखी और सरसों तेल के दामों में हुई बढ़ोतरी को पीछे छोड़ दिया।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाम तेल की कीमतों में गिरावट देखी गई, क्योंकि मलेशिया में इसके अपेक्षा से अधिक भंडार और अर्जेंटीना से सोयाबीन तेल की अधिक आपूर्ति ने कीमतों को नीचे बनाए रखा। इसके विपरीत, सूरजमुखी और सरसों तेल के दाम बढ़ते रहे, जिसका कारण काले सागर क्षेत्र और यूरोप में आपूर्ति की कमी है।

इसके विपरीत मांस की कीमतों में 0.7 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया। यह कीमतें बढ़कर अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं। मांस मूल्य सूचकांक सितंबर 2025 में औसतन 127.8 अंक पर रहा, जो अगस्त के संशोधित स्तर से 0.9 अंक अधिक है। वहीं पिछले साल की तुलना में यह 6.6 फीसदी अधिक रहा।

सितम्बर 2025 में डेयरी उत्पादों की कीमतों में 2.6 फीसदी की गिरावट रिकॉर्ड की गई। खासतौर पर आइसक्रीम की मांग घटने और ओशिनिया में बढ़ते उत्पादन के कारण मक्खन के दाम 7 फीसदी तक गिर गए। डेयरी मूल्य सूचकांक सितंबर 2025 में औसतन 148.3 अंक पर रहा, जो लगातार तीसरे महीने गिरावट को दिखाता है।

यह भले ही अगस्त से 2.6 फीसदी कम है, लेकिन पिछले साल की तुलना में करीब 9 फीसदी अधिक बना हुआ है। इस दौरान जहां मक्खन में 7 फीसदी, स्किम मिल्क पाउडर में 4.3 फीसदी, और होल मिल्क पाउडर की कीमतों 3.1 फीसदी की गिरावट आई, जबकि पनीर की कीमतों में मामूली कमी दर्ज की गई।

भारत में गन्ने की बेहतर उम्मीद ने चीनी के दामों पर डाला असर

एफएओ रिपोर्ट के मुताबिक मक्खन की कीमतों में यह तेज गिरावट मुख्य रूप से उत्तरी गोलार्ध में आइसक्रीम की मांग घटने और क्रीम की आपूर्ति बढ़ने के कारण हुई, साथ ही न्यूजीलैंड में वसंत ऋतु में उत्पादन बढ़ने की उम्मीद ने भी असर डाला।

इसके बावजूद मक्खन की कीमतें 2024 के औसत से 6.3 फीसदी ऊपर बनी हुई हैं।

अंतराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतों में सितम्बर में चार फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई। इसके साथ ही यह मार्च 2021 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई। चीनी मूल्य सूचकांक सितंबर 2025 में औसतन 99.4 अंक पर रहा, जो अगस्त से 4.1 फीसदी कम है और पिछले साल की तुलना में 21.3 फीसदी गिरकर मार्च 2021 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है।

इस गिरावट का बड़ा कारण ब्राजील में अपेक्षा से अधिक चीनी उत्पादन है। इसके साथ ही भारत और थाईलैंड में बेहतर पैदावार की उम्मीद से बाजार में गिरावट आई है।

एफएओ ने वैश्विक अनाज उत्पादन को लेकर भी अपने ताजा अनुमान जारी किए हैं। इसके मुताबिक 2025 में कुल उत्पादन 297.1 करोड़ टन रहने की उम्मीद है, जो पिछले साल से 3.8 फीसदी अधिक है। देखा जाए तो यह 2013 के बाद सबसे बड़ी वार्षिक वृद्धि होगी।