नवंबर में वैश्विक खाद्य कीमतों में गिरावट से उपभोक्ताओं को राहत मिली है।
एफएओ की रिपोर्ट के अनुसार, दूध, चीनी, तेल और मांस के दाम गिरे हैं, जबकि अनाज के दाम बढ़े हैं।
यह गिरावट लगातार तीसरे महीने दर्ज की गई है, जिससे वैश्विक बाजार में खाद्य वस्तुएं सस्ती हुई हैं।
एफएओ खाद्य मूल्य सूचकांक जो वैश्विक स्तर पर महीने दर महीने खाद्य कीमतों में आने वाले बदलाव को मापता है, नवंबर में 125.1 पॉइंट दर्ज किया गया। यह अक्टूबर 2025 की तुलना में 1.2 फीसदी कम है। इंडेक्स में आई यह गिरावट बताती है कि दुनिया भर में खाने की कई चीजें सस्ती हुई हैं।
दुनिया भर में बढ़ती महंगाई के बीच पिछले महीने खाद्य कीमतों में आई गिरावट ने राहत की सांस दी है। संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने अपने ताजा आंकड़ों में पुष्टि की है कि नवंबर में लगातार तीसरे महीने वर्ल्ड फूड प्राइस में गिरावट दर्ज की गई है। इस बारे में एफएओ द्वारा 05 दिसंबर 2025 को जारी ताजा रिपोर्ट से पता चला है कि पिछले महीने अनाज को छोड़कर सभी प्रमुख खाद्य वस्तुओं जैसे दूध, चीनी, तेल और मीट के दाम वैश्विक बाजार में गिरे हैं।
गौरतलब है कि एफएओ खाद्य मूल्य सूचकांक जो वैश्विक स्तर पर महीने दर महीने खाद्य कीमतों में आने वाले बदलाव को मापता है, नवंबर में 125.1 पॉइंट दर्ज किया गया। यह अक्टूबर 2025 की तुलना में 1.2 फीसदी कम है। इंडेक्स में आई यह गिरावट बताती है कि दुनिया भर में खाने की कई चीजें सस्ती हुई हैं।
आम जनता के लिए अच्छी खबर यह है कि लगातार तीसरे महीने वैश्विक खाद्य कीमतों में गिरावट दर्ज हुई है। इंडेक्स अब नवंबर 2024 से 2.1 फीसदी जबकि मार्च 2022 के अपने रिकॉर्ड स्तर से करीब 22 फीसदी नीचे है। रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर में दूध, मांस, चीनी और खाद्य तेल के दामों में गिरावट रही, जिसने अनाज के बढ़े हुए दामों के असर को पीछे छोड़ दिया।
रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला है कि नवंबर में अनाज के दामों में 1.3 फीसदी का इजाफा हुआ है। नवंबर में अनाज मूल्य सूचकांक 105.5 अंक रहा, जो अक्टूबर से 1.8 फीसदी ऊपर है, लेकिन अभी भी पिछले साल की तुलना में 5.3 फीसदी नीचे बना हुआ है।
वैश्विक आपूर्ति सामान्य रूप से अच्छी रहने और अर्जेंटीना व ऑस्ट्रेलिया में बेहतर फसल की खबरों के बावजूद, दुनिया में गेहूं के दाम नवंबर में 2.5 फीसदी बढ़े हैं। इसके पीछे तीन मुख्य कारण रहे पहला चीन का अमेरिका से गेहूं खरीदने में बढ़ती रुचि, दूसरा ब्लैक सी क्षेत्र में जारी तनाव से आपूर्ति को लेकर चिंता और रूस में अगले वर्ष की फसल के लिए कम बुवाई का अनुमान।
इस दौरान मक्के के दाम भी बढे हैं, ब्राजील में आपूर्ति की मजबूत मांग और अर्जेंटीना व ब्राजील में बारिश के कारण कृषि में बाधा पड़ने से कीमतों में इजाफा हुआ है। इसी तरह जौ और ज्वार के दाम भी ऊपर गए, जिन पर वैश्विक स्तर पर सोयाबीन की बढ़ती कीमतों का असर दिखा।
इसके विपरीत, राइस प्राइस इंडेक्स नवंबर में 1.5 फीसदी गिरा है। उत्तरी गोलार्ध के देशों में मुख्य फसल की कटाई शुरू होने और इंडिका व सुगंधित चावल की कम आयात मांग के कारण चावल की कीमतों पर नवंबर में दबाव बना रहा।
तेल-दूध-मीट सस्ते, चीनी में बढ़ी मिठास
खाद्य तेल की बात करें तो इनके मूल्य सूचकांक में पिछले महीने 2.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। इस दौरान सूचकांक 165 अंक रिकॉर्ड किया गया। नवंबर में पाम, सरसों और सूरजमुखी तेल के दाम गिरे हैं। हालांकि सोया तेल थोड़ा महंगा हुआ, इसकी बड़ी वजह ब्राजील में बायोडीजल की मजबूत मांग रही।
रिपोर्ट के मुताबिक पाम तेल में गिरावट की वजह मलेशिया में उम्मीद से अधिक उत्पादन रहा। इससे पाम तेल की कीमतें अन्य तेलों की तुलना में और सस्ती हो गईं। वहीं रेपसीड तेल के उत्पादन के अनुमान भी बेहतर हैं।
इसी तरह ब्लैक सी क्षेत्र से मौसमी रूप से बढ़ी सप्लाई के कारण सूरजमुखी तेल भी मंदा हुआ है। इसके अलावा, क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट ने भी वनस्पति तेलों के दाम घटाने में भूमिका निभाई।
एफएओ मीट प्राइस इंडेक्स नवंबर में 124.6 अंक रहा, जो अक्टूबर से 0.8 फीसदी कम है। हालांकि यह अब भी पिछले साल की तुलना में 4.9 फीसदी ऊपर है।
नवंबर में डेयरी मूल्य सूचकांक 137.5 अंक रहा, जो अक्टूबर से 3.1 फीसदी और पिछले साल की तुलना में 1.7 फीसदी नीचे है। यह लगातार पांचवां महीना है जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में डेयरी उत्पादों की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है। इस दौरान सभी प्रमुख डेयरी उत्पादों—दूध पाउडर, मक्खन, चीज आदि—की कीमतों में नीचे आईं हैं।
इस गिरावट की मुख्य वजहों में दूध उत्पादन का बढ़ना, प्रमुख क्षेत्रों में निर्यात के लिए पर्याप्त सप्लाई, यूरोपियन यूनियन में मक्खन और स्किम्ड मिल्क पाउडर का बड़ा स्टॉक, न्यूजीलैंड में मौसम के कारण उत्पादन में बढ़ोतरी रही। वहीं एशिया के कुछ हिस्सों में दूध पाउडर की कम होती मांग ने भी कीमतों पर दबाव बढ़ाया। इसी तरह मक्खन और फुल क्रीम मिल्क पाउडर की कीमतों में सबसे ज्यादा गिरावट आई, क्योंकि निर्यात के लिए सप्लाई बढ़ी और बड़े देशों में प्रतिस्पर्धा तेज हुई है।
चीज की कीमतों में सबसे कम गिरावट दर्ज की गई। यूरोपियन यूनियन और ओशिनिया में आपूर्ति पर्याप्त थी, लेकिन एशिया और पश्चिम एशिया में मांग मजबूत रही। इसके बावजूद, चीज मूल्य सूचकांक अभी भी पिछले साल से करीब 10 फीसदी ऊपर है।
भारत में बेहतर उत्पादन की बढ़ी उम्मीदें
चीनी की कीमतों की बात करें तो उसमें भी करीब छह फीसदी की गिरावट आई है। नवंबर में चीनी मूल्य सूचकांक 88.6 अंक रहा, जो अक्टूबर से 5.9 फीसदी और पिछले साल की तुलना में 29.9 फीसदी कम है। यह लगातार तीसरा महीना है जब चीनी के दाम गिरे हैं, और लगातार दूसरे महीने इंडेक्स दिसंबर 2020 के बाद के सबसे निचले स्तर पर बना हुआ है।
नवंबर में चीनी के दाम इसलिए गिरे क्योंकि इस सीजन में वैश्विक स्तर पर बड़ी मात्रा में उत्पादन होने की उम्मीद है। ब्राजील के दक्षिणी इलाकों में मौसम के कारण गन्ने की पेराई धीमी होने के बावजूद चीनी उत्पादन मजबूत रहा, और गन्ने का कम हिस्सा इथेनॉल के बजाय चीनी बनाने में इस्तेमाल हुआ। इसी तरह
भारत में 2025–26 फसल की अच्छी शुरुआत और थाईलैंड में अनुकूल स्थितियों ने भी वैश्विक उत्पादन बढ़ने की उम्मीद को और मजबूत किया, जिससे कीमतों पर गिरावट का दबाव बढ़ा है।
कुल मिलाकर देखें तो नवंबर वैश्विक खाद्य बाजार के लिए राहत भरा महीना रहा। अनाज को छोड़कर करीब-करीब सभी खाद्य वस्तुएं सस्ती हुई हैं, जिससे दुनिया भर के उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है। हालांकि गेहूं और मकई जैसी कुछ प्रमुख खाद्य उत्पादों में भू-राजनीतिक तनावों और बाजार मांग के कारण बढ़ोतरी जारी है।