प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक 
कृषि

वैश्विक बाजार में सस्ते हुए अनाज-दूध-चीनी, तेल ने बिगाड़ा जायका

अक्टूबर में लगातार दूसरे महीने वैश्विक बाजार में खाद्य कीमतों में गिरावट आई है। इस दौरान जहां अनाज, दूध, मांस, चीनी सस्ते हुए वहीं तेल की बढ़ती कीमतों ने राहत के स्वाद में कड़वाहट घोल दी

Lalit Maurya

  • अक्टूबर में वैश्विक खाद्य कीमतों में गिरावट से आम आदमी को राहत मिली है।

  • एफएओ की रिपोर्ट के अनुसार, गेहूं, चावल, दूध और चीनी के दामों में कमी आई है, जबकि तेल की कीमतें बढ़ी हैं।

  • यह लगातार दूसरा महीना है जब खाद्य पदार्थ सस्ते हुए हैं, जिससे महंगाई की मार झेल रहे लोगों को थोड़ी राहत मिली है।

  • आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में वर्ल्ड फूड प्राइस इंडेक्स औसतन 126.4 अंक पर रहा, जो सितंबर की तुलना में 1.6 फीसदी कम है। यह मार्च 2022 में अपने उच्चतम स्तर से अब भी 33.8 अंक (यानी 21 फीसदी) नीचे है।

  • इस गिरावट के बीच खाद्य तेलों के दाम बढ़े हैं। रुझानों पर नजर डालें तो अक्टूबर में एफएओ वनस्पति तेल मूल्य सूचकांक औसतन 169.4 अंक रहा, जो सितंबर से 0.9 फीसदी अधिक है

महंगाई की आग से झुलसती दुनिया को अक्टूबर में खाद्य कीमतों में आई गिरावट ने सहारा दिया। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की ताजा रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि दुनिया भर में अक्टूबर के दौरान खाद्य कीमतों में गिरावट आई है। देखा जाए तो यह लगातार दूसरा महीना है जब दुनिया में खाने-पीने की चीजे सस्ती हुई हैं, जोकि आम आदमी के लिए राहत की खबर है।

रिपोर्ट के मुताबिक पिछले महीने गेहूं से लेकर चीनी और दूध से लेकर मांस तक ज्यादातर खाने पीने की चीजों के दाम गिरे हैं। हालांकि तेल ही है जो अब भी महंगाई की आंच पर चढ़ा हुआ है।

एफएओ ने इस गिरावट की वजहों पर भी प्रकाश डाला है, जिसके मुताबिक वैश्विक बाजार में खाद्य कीमतों में यह गिरावट पर्याप्त आपूर्ति की वजह से आई है।

रिपोर्ट में साझा आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में वर्ल्ड फूड प्राइस इंडेक्स औसतन 126.4 अंक पर रहा, जो सितंबर की तुलना में 1.6 फीसदी कम है। यह मार्च 2022 में अपने उच्चतम स्तर से अब भी 33.8 अंक (यानी 21 फीसदी) नीचे है। यह इंडेक्स स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाने की चीजे पहले से थोड़ी और सस्ती हुई हैं।

रिपोर्ट से पता चला है कि इस दौरान सबसे बड़ी गिरावट अनाज और दूध के दामों में देखी गई। अक्टूबर में गेहूं, मक्का और चावल तीनों के दाम गिरे। खासतौर पर चावल में 2.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।

गौरतलब है कि एफएओ फूड प्राइस इंडेक्स, अंतरराष्ट्रीय बाजार में व्यापार होने वाले प्रमुख खाद्य उत्पादों की मासिक कीमतों में होने वाले बदलाव को ट्रैक करता है।

गेहूं, चावल, मोटे अनाज हुए सस्ते

आंकड़ों पर नजर डालें तो अक्टूबर में अनाज मूल्य सूचकांक औसतन 103.6 अंक रहा, जो सितंबर की तुलना में 1.3 फीसदी और पिछले साल के मुकाबले 9.5 फीसदी कम है। गेहूं मूल्य सूचकांक में एक फीसदी की गिरावट आई है, जिसकी सबसे बड़ी वजह वैश्विक स्तर पर भरपूर आपूर्ति रही। वहीं दक्षिणी गोलार्ध में अच्छी फसल की उम्मीदें और उत्तरी गोलार्ध में सर्दी की फसल की अच्छी बुवाई ने भी उम्मीदें बनाई रखी हैं।

इसके साथ ही मोटे अनाजों (जैसे जौ, मक्का और ज्वार) को ट्रक करने वाले सूचकांक में भी पिछले महीने 1.1 फीसदी की गिरावट देखी गई। हालांकि यूरोपीय संघ और अमेरिका में मक्का की पैदावार घटने की खबरों और चीन-अमेरिका के बीच नए व्यापार समझौतों ने गिरावट की रफ्तार को कुछ धीमा कर दिया।

धान की कीमतों में जो ढाई फीसदी की गिरावट आई है, उसकी बड़ी वजह बाजारों में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और उत्तरी गोलार्ध के कई निर्यातक देशों में फसलों की कटाई रही। अक्टूबर में मांस के दाम भी कम हुए हैं। देखा जाए तो इनकी कीमतों में दो फीसदी तक की गिरावट आई है।

इसी तरह आम आदमी को अंतराष्ट्रीय बाजार में दूध की घटती कीमतों ने भी सहारा दिया है। अक्टूबर 2025 में एफएओ डेयरी मूल्य सूचकांक औसतन 142.2 अंक रहा, जो सितंबर की तुलना में 3.4 फीसदी कम है। यह लगातार चौथा महीना है जब डेयरी उत्पादों के दाम कम हुए हैं।

हालांकि इसके बावजूद सूचकांक पिछले साल की तुलना में अभी भी 2.7 फीसदी ऊपर है।

चीनी में पांच फीसदी से ज्यादा की आई गिरावट

इस दौरान जहां अंतराष्ट्रीय बाजार में मक्खन के दाम 6.5 फीसदी घटे हैं। वहीं फुल क्रीम दूध पाउडर में 6 फीसदी, स्किम्ड दूध पाउडर में 4 फीसदी, और पनीर  में 1.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।

मक्खन की कीमतों में लगातार गिरावट की मुख्य वजह रही यूरोपियन यूनियन और न्यूजीलैंड से बढ़ी आपूर्ति, जहां मौसमी रूप से अनुकूल तापमान ने दूध उत्पादन को बढ़ावा दिया है। साथ ही, एशिया और मध्य पूर्व से मांग कमजोर रही है।

चीनी की कीमतों की बात करें तो अंतराष्ट्रीय बाजार में पिछले महीने इसमें 5.3 फीसदी की गिरावट आई है, जो दिसंबर 2020 के बाद अब तक का सबसे निचला स्तर है। चीनी मूल्य सूचकांक पर नजर डालें तो यह अक्टूबर में औसतन 94.1 अंक रहा।

यह लगातार दूसरा महीना है जब चीनी के दाम गिरे हैं। अब सूचकांक अपने एक साल पहले के स्तर से 27.4 फीसदी नीचे है।

ब्राजील, भारत और थाईलैंड में बेहतर उत्पादन के अनुमान और कच्चे तेल के दाम गिरने से बायोफ्यूल सेक्टर से मांग घट गई, जिससे चीनी की कीमतें और नीचे चली गईं। इसके साथ ही भरपूर आपूर्ति ने भी कीमतों में गिरावट को सहारा दिया है।

तेल की बढ़ती कीमतों ने दिया झटका

हालांकि इस गिरावट के बीच खाद्य तेलों के दाम बढ़े हैं। रुझानों पर नजर डालें तो अक्टूबर में एफएओ वनस्पति तेल मूल्य सूचकांक औसतन 169.4 अंक रहा, जो सितंबर से 0.9 फीसदी अधिक है। देखा जाए तो जुलाई 2022 के बाद का यह सबसे ऊंचा स्तर है। इस बढ़ोतरी की वजह पाम, रेपसीड, सोया और सूरजमुखी तेल के दामों में बढ़ोतरी रही।

पाम तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में मामूली उछाल देखा गया। पिछले महीने की गिरावट के बाद यह इसलिए बढ़ा क्योंकि इंडोनेशिया ने 2026 से बायोडीजल मिश्रण बढ़ाने की योजना बनाई है, जिससे निर्यात के लिए उपलब्ध तेल कम हो सकता है। हालांकि मलेशिया में उत्पादन उम्मीद से ज्यादा रहा।

इसी तरह सूरजमुखी तेल की कीमतें अक्टूबर में लगातार चौथे महीने बढ़ीं। इसके लिए काला सागर क्षेत्र से सीमित आपूर्ति, फसल कटाई में देरी और किसानों द्वारा सावधानीपूर्वक बिक्री जैसी वजहें जिम्मेवार रही। वहीं रेपसीड और सोया तेल के दाम भी बढ़े हैं। यूरोपियन यूनियन से रेपसीड तेल की कम आवक और ब्राजील व अमेरिका में घरेलू मांग बढ़ने से इन तेलों के दाम ऊपर गए हैं।

कुल मिलाकर देखें तो एक ओर जहां दुनिया भर में आम लोगों के लिए खाने-पीने की चीजे थोड़ी सस्ती हुई हैं, वहीं किसानों और उत्पादकों के लिए यह चुनौतीपूर्ण दौर है। पर कुल मिलाकर, अक्टूबर ने दुनिया को राहत की सांस दी है, क्योंकि बढ़ती महंगाई के बीच खाने की थाली कुछ सस्ती हुई है।