इंडोनेशिया के उत्तरी सुलावेसी क्षेत्र से वैज्ञानिकों ने समुद्री स्लग की दो नई प्रजातियों की खोज की है। यह प्रजातियां न केवल दुर्लभ हैं, बल्कि समुद्री जीवन के रहस्यमय सौंदर्य को और भी गहराई से समझने का अवसर देती हैं।
वैज्ञानिकों ने इन्हें ‘फिलिडिया ओवाटा’ और ‘फिलिडिया फॉन्टजेई’ नाम दिया है। गौरतलब है कि यह महत्वपूर्ण खोज जर्मनी, इंडोनेशिया और वेल्स की पांच महिला वैज्ञानिकों की एक टीम ने की है। इन जीवों के बारे में अधिक जानकारी ओपन-एक्सेस जर्नल जूकीज में प्रकाशित हुई है।
अध्ययन के मुताबिक वॉर्ट सी स्लग, जो फिलिडीइडे परिवार से संबंध रखते हैं, इंडो-पैसिफिक महासागर में पाए जाने वाले आम समुद्री जीव हैं। ये स्पंज जैसे जीवों को खाते हैं और उनके जहर को अपनी सुरक्षा के लिए इस्तेमाल करते हैं। वैज्ञानिकों और प्रकृति प्रेमियों के बीच ये जीव अपने चमकीले रंगों और रासायनिक बचाव प्रणाली के लिए मशहूर हैं।
उत्तर सुलावेसी में अब तक समुद्री स्लग की करीब 350 प्रजातियां दर्ज की जा चुकी हैं, जिनमें से करीब 100 वैज्ञानिकों के लिए भी नई हैं और उनका अब तक औपचारिक नामकरण नहीं हुआ है। अब, इनमें से दो रंगीन और बेहद दुर्लभ प्रजातियों को नाम देकर वैज्ञानिकों ने इन्हें आधिकारिक पहचान दी है।
अंडे जैसी दिखने वाली स्लग: फिलिडिया ओवाटा
गौरतलब है कि फिलिडिया ओवाटा को उसके अंडे जैसे अनोखे आकार और पैटर्न के कारण यह नाम दिया गया है। पिछले 23 वर्षों में इंडोनेशिया, जापान, ताइवान, फिलीपींस और ऑस्ट्रेलिया के गोताखोरों और अंडरवॉटर फोटोग्राफरों ने इस जीव को कई बार कैमरे में कैद किया है, लेकिन इसे अब जाकर विज्ञान में नई प्रजाति के रूप में मान्यता मिली है।
रिसर्च पेपर से पता चला है यह मध्यम आकार की समुद्री स्लग करीब पांच सेंटीमीटर लंबी होती है।
दुर्लभ और छोटी: फिलिडिया फॉन्टजेई
फिलिडिया फॉन्टजेई का नाम इंडोनेशियाई के दिवंगत शोधकर्ता डॉक्टर फोंजे कालिगिस के सम्मान में रखा गया है। उन्होंने उत्तर सुलावेसी की छिपी हुई जैव विविधता को समझने और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यह वॉर्ट सी स्लग बहुत छोटी होती है, जिसकी अधिकतम लंबाई महज 16 मिलीमीटर होती है। यही वजह है कि इन जीवों को ढूंढ़ना बेहद मुश्किल होता है।
इस प्रजाति को पिछले 15 वर्षों में इंडोनेशिया और मलेशिया में कई बार फोटो में देखा गया, लेकिन यह अंडमान सागर में अधिक आम है। वैज्ञानिकों ने इसे एक ही नमूने (जिसे होलोटाइप कहा जाता है) के आधार पर वर्णित किया है। इस होलोटाइप का सूक्ष्म परीक्षण किया गया है, जिससे इसकी शारीरिक संरचना का बेहद विस्तार से अध्ययन संभव हो पाया है।
इन प्रजातियों की खोज में वैज्ञानिकों के साथ-साथ आम लोगों का भी अहम योगदान रहा है, जो समुद्री जीवन को लेकर उत्साहित हैं।
आई नेचुरालिस्ट, फेसबुक और न्यूडीपिक्सल जैसे समुद्री स्लग समुदायों और नागरिक मंचों पर साझा की गई तस्वीरों/ सूचनाओं ने इन प्रजातियों की पहचान और भौगोलिक उपस्थिति को स्पष्ट करने में वैज्ञानिकों की काफी मदद की है।