लद्दाख में हिम तेंदुओं का काफी फैलाव और अधिक आबादी के घनत्व कई कारणों से है, जिसमें प्रचुर मात्रा में शिकार, बीहड़ और दूरस्थ परिदृश्य तथा लोगों की कम जनसंख्या घनत्व होना इसमें शामिल है। फोटो साभार: आईस्टॉक
वन्य जीव एवं जैव विविधता

लद्दाख में पाए जाते हैं सबसे अधिक हिम तेंदुए

शोध के मुताबिक, 59,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में संख्या और उनके फैले होने का आकलन किया गया, जिसमें पाया गया कि हिम तेंदुओं ने 47,500 वर्ग किमी से अधिक के इलाके पर कब्जा किया है

Dayanidhi

एक नए अध्ययन के अनुसार, भारत में हिम तेंदुओं की अधिकांश आबादी देश के उत्तर में सुदूर क्षेत्रों में रहती है, जहां वे ग्रामीण समुदायों के साथ जीते हैं। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के वन्यजीव संरक्षण विभाग द्वारा किए गए एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि यहां 477 हिम तेंदुए (पैंथेरा यूनिया) रहते हैं। लद्दाख में इनकी दुनिया का सबसे ज्यादा घनत्व है, जो भारत की प्रजातियों की आबादी का 68 फीसदी के बराबर है।

इन जंगली मांसाहारियों को प्रभावी ढंग से संरक्षित करने के लिए, शोधकर्ताओं को उनकी आबादी के आकार और फैले होने के सटीक आंकड़ों की जरूरत पड़ती है। हिम तेंदुओं के आंकड़े इकट्ठा करना चुनौतीपूर्ण होता है क्योंकि उनका स्वभाव शर्मीला होता है और वे दूरदराज के ऊबड़-खाबड़ इलाकों में रहना पसंद करते हैं।

सात मई, 2025 को पीएलओएस वन में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि 59,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में संख्या और उनके फैले होने का आकलन किया गया, जिसमें पाया गया कि हिम तेंदुओं ने 47,500 वर्ग किमी से अधिक के इलाके पर कब्जा किया है। पैंथेरा प्रजाति से संबंधित हिम तेंदुए का निवास स्थान एशिया के देशों जैसे भारत, चीन, नेपाल और पाकिस्तान के पहाड़ी क्षेत्रों में फैला हुआ है।

शोध पत्र में कहा गया है कि शोधकर्ताओं ने सबसे पहले हिम तेंदुओं के पैरों के निशान, मल और खरोंच के निशान जैसे सबूतों के लिए क्षेत्र का गहन सर्वेक्षण किया। उन्होंने भूरे भालू और लिंक्स जैसे अन्य बड़े मांसाहारी जानवरों के साथ-साथ जंगली शाकाहारी जानवरों और मवेशियों की उपस्थिति का भी आकलन किया।

इसके बाद शोधकर्ताओं ने हिम तेंदुओं के कब्जे वाले क्षेत्रों में 8,500 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र को कवर करते हुए 956 कैमरा ट्रैप लगाए, ताकि पूरे क्षेत्र में उनकी आबादी का सटीक अनुमान लगाया जा सके।

शोधकर्ताओं ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करके तस्वीरों का विश्लेषण किया, ताकि उनके माथे पर निशानों के विशिष्ट पैटर्न के आधार पर अलग-अलग हिम तेंदुओं की पहचान की जा सके।

एक्सट्रेक्टकम्पेयर सॉफ्टवेयर का उपयोग करके हिम तेंदुए की पहचान करने की प्रक्रिया

शोध में अनुमान लगाया कि लद्दाख में 477 हिम तेंदुए हैं, जो भारत की कुल आबादी का 68 फीसदी है। हिम तेंदुओं का घनत्व प्रति 100 वर्ग किलोमीटर में एक से तीन के बीच अलग-अलग होता है, हेमिस नेशनल पार्क में विश्व स्तर पर दर्ज हिम तेंदुओं का सबसे अधिक घनत्व है।

शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि लद्दाख में 61 फीसदी हिम तेंदुए लोगों की आबादी के साथ-साथ रहते हैं। मध्यम जलवायु और जटिल भूभाग वाले संसाधन-समृद्ध घास के मैदानों में हिम तेंदुओं की संख्या अधिक होती है, जो हो सकता है शिकार की अधिक उपलब्धता और कम मानवजनित व्यवधान के कारण है।

शोध में कहा गया है कि यह हिम तेंदुओं की अब तक की सबसे व्यापक आबादी का सर्वेक्षण है। इस पद्धति का उपयोग इन मायावी बड़ी बिल्लियों की उनकी वैश्विक सीमा में नियमित निगरानी के लिए किया जा सकता है। शोध के मुताबिक, हिम तेंदुओं की एक राष्ट्रीय फोटो लाइब्रेरी भी तैयार की गई है, जो संरक्षणकर्ताओं को अवैध शिकार और जानवरों के अंगों की तस्करी पर नजर रखने में मदद कर सकती है।

शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि लद्दाख में हिम तेंदुओं का काफी फैलाव और अधिक आबादी के घनत्व कई कारणों से है, जिसमें प्रचुर मात्रा में शिकार, बीहड़ और दूरस्थ परिदृश्य, लोगों की कम जनसंख्या घनत्व और स्थानीय समुदायों के बीच वन्यजीवों के प्रति गहरे सम्मान की संस्कृति भी इसमें शामिल है।

शोध में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि लद्दाख के लोगों में वन्यजीवों के प्रति गहरी श्रद्धा है। हिम तेंदुआ पर्यटन और संघर्ष प्रबंधन रणनीतियों से होने वाले आर्थिक फायदों के साथ मिलकर, दुनिया में हिम तेंदुओं के बहुत ज्यादा घनत्व को बनाए रखने में मदद करती है। यह एक ऐसा मॉडल है जिसे प्रजातियों की पूरी श्रृंखला पर लागू किया जा सकता है।

शोध के मुताबिक, हिम तेंदुओं की फिंगरप्रिंटिंग एक विशेष पैटर्न पहचान सॉफ्टवेयर है जो हिम तेंदुए के माथे की छवि पर एक त्रि-आयामी मॉडल फिट करता है। यह स्पॉट पैटर्न निकालता है और उन्हें अन्य हिम तेंदुए की तस्वीरों के साथ तुलना करने के लिए डेटाबेस में जोड़ता है और करीबी से इसका मिलान करता है।

शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया कि इस विशेष सॉफ्टवेयर के चलते काम कई गुना कम हो गया और हर एक की सटीक पहचान करने में सुधार हुआ, जो सांख्यिकीय मॉडलों का उपयोग करके आबादी का अनुमान लगाने के लिए जरूरी है।