अगले तीन महीनों (मार्च, अप्रैल, मई 2025) के दौरान मौसम में आने वाले उतार चढ़ावों को जानने से पहले यह समझना जरूरी है कि पिछले तीन महीने (नवंबर 2024 से जनवरी 2025) कैसे रहे हैं, क्योंकि इनपर भी काफी कुछ निर्भर करता है।
नवंबर 2024 से जनवरी 2025 के बीच मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर को छोड़कर, दुनिया के अधिकांश महासागरों में समुद्र की सतह का तापमान (एसएसटी) सामान्य से अधिक गर्म थे।
वहीं पूर्वी प्रशांत महासागर में तापमान सामान्य के करीब रहा, मतलब की नीनो 1+2 क्षेत्र में एसएसटी सूचकांक सामान्य के करीब था। हालांकि अन्य क्षेत्रों में पानी सामान्य से ठंडा था। इसमें भी विशेष रूप से नीनो 3.4 क्षेत्र में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। देखा जाए तो तापमान में यह बदलाव एक कमजोर ला नीना की ओर इशारा करते हैं।
गौरतलब है कि मौसम से जुड़ी अल नीनो और ला नीना की घटनाओं को आमतौर पर अल नीनो-दक्षिणी दोलन (ईएनएसओ) के नाम से जाना जाता है। यह दोनों ही घटनाएं प्रशांत महासागर की सतह के तापमान में होने वाले बदलावों से जुड़ी हैं। जहां अल नीनो तापमान में होने वाली वृद्धि से जुड़ा है, वहीं ला नीना तापमान में आने वाली गिरावट को दर्शाता है।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक इस बीच हिंद महासागर भी सामान्य से अधिक ठंडा रहा। वैज्ञानिकों के शब्दों में कहें तो इस दौरान हिंद महासागर द्विध्रुव विसंगति औसत से नीचे थी।
बता दें कि हिंद महासागर द्विध्रुव जलवायु से जुड़ा एक पैटर्न है। यह हिंद महासागर के पश्चिमी और पूर्वी हिस्सों के बीच समुद्र के तापमान में मौजूद अंतर को दर्शाता है। इसे भारतीय नीनो भी कहा जाता है। यह भारत के साथ-साथ अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया, और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों में भी मौसम पर असर डालता है।
वहीं उत्तरी और दक्षिण उष्णकटिबंधीय अटलांटिक महासागर में सामान्य से अधिक गर्म स्थिति देखी गई। यह स्थिति उष्णकटिबंधीय अटलांटिक में व्यापक गर्मी का संकेत देती हैं, जो एक साल से अधिक समय से बनी हुई है।
वहीं मार्च से मई 2025 तक, प्रशांत महासागर के कुछ क्षेत्रों (नीनो 3.4 और नीनो 3) में समुद्र की सतह के तापमान के सामान्य होने की उम्मीद है। इसका मतलब है कि इस दौरान कोई मजबूत अल नीनो या ला नीना नहीं होगा। यह परिस्थितियां अल नीनो-दक्षिणी दोलन की एक तटस्थ स्थिति का संकेत देती है।
इसी तरह पश्चिम में नीनो 4 क्षेत्र में भी तापमान के सामान्य रहने की संभावना है। हिंद महासागर द्विध्रुव (आईओडी) के भी औसत के करीब रहने की उम्मीद है। हालांकि, भूमध्यरेखीय अटलांटिक महासागर के उत्तरी और दक्षिणी दोनों क्षेत्रों में सामान्य से अधिक गर्म रहने की आशंका बनी हुई है।
रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान भूमध्यरेखीय पूर्वी प्रशांत महासागर को छोड़कर अधिकांश महासागरों के सामान्य से अधिक गर्म रहने की उम्मीद है। इस दौरान धरती के अधिकांश हिस्सों में भी तापमान के सामान्य से अधिक रहने की आशंका है।
पश्चिमी तटीय भारत में पड़ सकती है सामने से अधिक गर्मी
इसी तरह दुनिया के जिन क्षेत्रों में तापमान के सामान्य से अधिक रहने की प्रबल आशंका है, उनमें अफ्रीका के अधिकांश हिस्से, मेडागास्कर, करीब-करीब एशिया के कभी क्षेत्र, दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्से, कैरिबियन, मध्य अमेरिका, दक्षिणी और पूर्वी उत्तरी अमेरिका के कुछ क्षेत्र, पश्चिमी प्रशांत और पूरा यूरोप शामिल है।
डब्ल्यूएमओ ने उन क्षेत्रों पर भी प्रकाश डाला है जहां तापमान सामान्य से कहीं अधिक गर्म रह सकता है। इन क्षेत्रों में अरब प्रायद्वीप, उत्तरी पूर्वी एशिया, पश्चिमी तटीय भारत और दक्षिण पूर्व एशिया शामिल हैं।
इसी तरह इंडोनेशिया के पास के द्वीपों से शुरू होकर उत्तरी और दक्षिणी प्रशांत महासागरों में गर्मी का एक घुमावदार क्षेत्र बन सकता है। इस तरह ऑस्ट्रेलिया के पास के द्वीपों से लेकर लेकर प्रशांत महासागर में गर्म मौसम का पैटर्न उभर सकता है। हालांकि, पूर्वी दक्षिण-पूर्व एशिया, पूर्वोत्तर क्षेत्रों और उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट के लिए तापमान की स्पष्ट प्रवृत्ति के संकेत नहीं मिले हैं, यहां असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
मार्च-मई 2025 के लिए बारिश का पूर्वानुमान काफी हद तक ला नीना के दौरान देखे जाने वाले सामान्य पैटर्न से मेल खाता है, भले ही इस दौरान स्थितियां तटस्थ रहने की उम्मीद है। भूमध्य रेखा के साथ और दक्षिण में सामान्य या सामान्य से कम बारिश होने की अधिक संभावना है, जो 150° पूर्व से दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट तक फैली हुई है।
मध्य और पूर्वी समुद्री महाद्वीप में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। इस दौरान इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया के पास मध्य और पूर्वी द्वीपों पर अधिक बारिश हो सकती है। यह बरसाती क्षेत्र प्रशांत महासागर की ओर दक्षिण-पूर्व में भी फैला हुआ है। अफ्रीका के अधिकांश हिस्सों में, यह स्पष्ट नहीं है कि कितनी बारिश होगी। लेकिन दक्षिणी अरब प्रायद्वीप और मध्य एशिया में, सामान्य से कम बारिश होने की आशंका अधिक है।
दक्षिणी अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और दक्षिण-पूर्व एशिया में सामान्य से अधिक बारिश होने की उम्मीद है। इस बीच, मध्य और दक्षिणी उत्तरी अमेरिका, खासकर दक्षिण-पश्चिम में, उत्तरी मध्य अमेरिका तक कम बारिश होने की आशंका है।