वूलर झील; फोटो: आईस्टॉक 
जल

जम्मू-कश्मीर की 404 में से 342 आद्रभूमियों का पूरा हो चुका है सत्यापन: पर्यावरण मंत्रालय

पर्यारण मंत्रालय ने रिपोर्ट में जानकारी दी है कि वूलर और होकरसर झीलों के संरक्षण के लिए कदम उठाए गए हैं

Susan Chacko, Lalit Maurya

  • जम्मू-कश्मीर की 404 आद्रभूमियों में से 342 का सत्यापन पूरा हो चुका है, पर्यावरण मंत्रालय ने यह जानकारी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में दी है।

  • वूलर झील और होकरसर झील को रामसर साइट घोषित किया गया है, जो जलपक्षियों और वनस्पतियों के लिए महत्वपूर्ण हैं।

  • वूलर झील के संरक्षण और प्रबंधन के लिए इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट प्लान को वित्तीय वर्ष 2022-23 में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा मंजूरी दी गई थी

  • मामला जम्मू-कश्मीर की तीन प्रमुख आद्रभूमियों होकरसर, वूलर झील और क्रेंचू चंदारा में अवैध अतिक्रमण और ठोस कचरे के अवैध निपटान की शिकायतों से जुड़ा है।

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में कुल 404 आद्रभूमियां (वेटलैंड्स) हैं। इनमें से 342 आद्रभूमियां का सत्यापन और 82 की सीमा के निर्धारण का काम पूरा हो चुका है। यह जानकारी मंत्रालय ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में सबमिट अपनी रिपोर्ट में दी है।

रिपोर्ट में यह भी बताया है कि 23 मार्च 1990 को वूलर झील को रामसर साइट घोषित किया गया था। यह भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है, जिसमें व्यापक मात्रा में जलप्लवक और सिंघाड़ा सहित अन्य वनस्पति मौजूद हैं। ये वनस्पति राज्य सरकार के लिए आय का महत्वपूर्ण स्रोत है, जो घरेलू मवेशियों के लिए भी चारा प्रदान करती हैं। झील मछली पालन, सिंचाई और पानी की घरेलु जरूरतों को पूरा करने का भी महत्वपूर्ण स्रोत है।

इसी तरह, होकरसर (होकेरा) झील को 8 नवंबर 2005 को रामसर साइट घोषित किया गया। यह झेलम बेसिन के पास स्थित प्राकृतिक स्थाई आद्रभूमि है। कश्मीर में यह एकमात्र ऐसी जगह है जहां रीडबेड़ हैं, साथ ही यह जलपक्षियों की 68 प्रजातियों का आश्रय और विश्राम स्थल भी है।

रिपोर्ट में इस बात की भी जानकारी दी गई है कि वूलर झील के संरक्षण और प्रबंधन के लिए इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट प्लान को वित्तीय वर्ष 2022-23 में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा मंजूरी दी गई थी। इसके तहत राष्ट्रीय जल पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण योजना (एनपीसीए) के तहत 31 मार्च 2023 को 9 करोड़ रुपए जारी किए गए थे।

गौरतलब है कि यह मामला जम्मू-कश्मीर की तीन प्रमुख आद्रभूमियों होकरसर, वूलर झील और क्रेंचू चंदारा में अवैध अतिक्रमण और ठोस कचरे के अवैध निपटान की शिकायतों से जुड़ा है।

पुलवामा: अवैध खनन पर कसा गया है शिकंजा, कार्रवाई में 224 वाहन और मशीनरी जब्त

पुलवामा के जिला मजिस्ट्रेट ने 8 सितंबर 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में अपनी रिपोर्ट दाखिल की है। इस रिपोर्ट में उन्होंने अवैध खनन को रोकने के लिए उठाए कदमों की जानकारी दी है। गौरतलब है कि यह हलफनामा एनजीटी द्वारा 12 अगस्त 2025 को दिए आदेश पर अदालत में पेश किया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया कि है कि जिला खनिज अधिकारी और प्रदूषण नियंत्रण समिति के अधिकारी पहले ही अपनी प्रतिक्रिया दे चुके हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, खनन विभाग और प्रदूषण नियंत्रण समिति के अधिकारियों ने अवैध खनन की शिकायतों पर सक्रिय रूप से तत्काल कार्रवाई की है। जनवरी 2024 से जुलाई 2025 के बीच पुलवामा में 224 वाहन और मशीनरी जब्त की गई, जिससे 46.85 लाख रुपए का राजस्व वसूला गया है।

पंपोर के खानकाह बाग में अवैध खनन के संबंध में भू-विज्ञान और खनन विभाग को शिकायत मिली थी कि सीमावर्ती इलाके (सिंधगिर, बडगाम और पुलवामा जिले) में मिट्टी और रेत के अवैध उत्खनन के लिए मशीनरी लगाई गई है।

भू-विज्ञान और खनन विभाग की टीम 1 जुलाई 2024 को मौके पर पहुंची। स्थानीय लोगों के विरोध और प्रशासन की कार्रवाई के कारण अवैध खनन प्रयास विफल रहा और एक भी ट्रक मिट्टी या रेत बाहर नहीं ले जाई जा सकी।