रायबरेली जिले में वीर वीरा तालाब के जीर्णोद्धार की योजना की सफलता इसके समग्र दृष्टिकोण में निहित है, जिसमें इसके कायाकल्प के लिए मुख्य तालाब के साथ-साथ जलभराव और फीडर चैनल, दोनों पर ध्यान दिया गया है 
जल

आवरण कथा: रायबरेली में आबाद हुआ तालाब, बना मिसाल

भूजल के रिसाव को बढ़ाने और प्रदूषण मुक्त स्थायी जलस्रोत स्थापित करने के लिए तालाब को पुनर्जीवित किया गया

Sushmita Sengupta, Swati Bhatia, Pradeep Kumar Mishra, Vivek Mishra, Mehak Puri

डाउन टू अर्थ हिंदी मासिक पत्रिका की सितंबर माह की आवरण कथा देश के उन झीलों-तालाबों पर केंद्रित थी, जिन्हें लोगों ने सरकार व स्वयंसेवी संगठनों के साथ मिलकर पुनर्जीवन दिया। इन्हें वेबसाइट पर क्रमवार प्रकाशित किया जा रहा है। पहली कड़ी यहां पढ़ें अब तक कई कहानी प्रकाशित हो चुकी है। आज पढ़ें


उत्तर प्रदेश के मोनाई गांव का हर निवासी जानता है कि भूजल में आयरन और फ्लोराइड खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है।

फिर भी, केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) की 2022-23 की एक्वीफर रिपोर्ट के अनुसार, ये भूजल इस क्षेत्र में पानी की 62 प्रतिशत जरूरतों को पूरा करता है, जो काफी चिंताजनक है।

इस अतिनिर्भरता के कारण व्यापक स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हुई हैं और कई निवासी दूषित पानी पीने के कारण दांत सड़ने और गुर्दे की बीमारियों से पीड़ित हो गए हैं। जल स्तर घटने से समस्या बढ़ रही है और मिनरल कन्टैमिनेशन का स्तर बढ़ रहा है।

समाधान तलाशते हुए और जागरुकता बढ़ाने के लिए, लोधवारी ग्राम पंचायत की 45 वर्षीय सरपंच कमला ने मिशन अमृत सरोवर के तहत एक मृत तालाब को फिर से जीवित करने का फैसला किया। मोनाई गांव इसी पंचायत का हिस्सा है।

इसका लक्ष्य भूजल के रिसाव को बढ़ाना और दूषकों से मुक्त एक स्थायी जल स्रोत स्थापित करना था। इस क्षेत्र में चिकनी मिट्टी के कारण भूजल का रिसाव बढ़ाना एक महत्वपूर्ण चुनौती है।

ग्राम पंचायत ने इस जीर्णोद्धार के लिए वीर वीरा तालाब को लक्षित किया, जो उपेक्षा के कारण दलदली भूमि में बदल गया था। पिछले 20 वर्षों से वीर वीरा के करीब रहने वाले 35 वर्षीय किसान मनोज कहते हैं, “प्रत्येक बारिश में तालाब से पानी हमारे खेतों में बह आता था। इस तालाब के आसपास के क्षेत्र में पत्तों के ढेर लगे थे और यह जहरीले सांपों और कीड़ों से भरा हुआ था।”

प्रमुख प्रभाव
अब इस तालाब के चारों ओर बेंच और टहलने के लिए रास्ते बनाए गए हैं। स्थानीय लोगों के बीच यह पॉपुलर पिकनिक स्पॉट बन गया है

जीर्णोद्धार कार्य जून 2022 में शुरू हुआ, जिसे मनरेगा (21.30 लाख रुपए) और 15वें वित्त आयोग (4.37 लाख रुपए) से वित्तीय सहायता मिली। 2010 में राज्य की आदर्श तालाब योजना के तहत किए गए पिछले प्रयास के उलट इस बार जीर्णोद्धार योजना में जलभराव और फीडर चैनलों की बहाली शामिल थी।

पिछला प्रयास तकनीकी ज्ञान और जागरुकता की कमी के कारण विफल रहा था। इसकी स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए ग्राम पंचायत के तहत एक रखरखाव योजना भी शुरू की गई है। अवैध अतिक्रमण और कूड़ा फेंकने से रोकने के उपाय किए गए हैं।

सुरक्षा बढ़ाने के लिए तालाब के चारों ओर बाड़ लगा दी गई है और इसके किनारे किनारे पेड़ लगाए गए हैं। अब इस तालाब का क्षेत्रफल 1.27 हेक्टेयर है और गहराई 4 मीटर है। यह अपने निम्नतम स्तर से 2 मीटर ऊपर तक पानी थामे रखता है। इसे 1 किलोमीटर के चैनल के माध्यम से शारदा नहर से पानी मिलता है, जिसमें गोमती नदी से पानी आता है।

तालाब में पानी जब बढ़ जाता है तो ये पास के तूफान के पानी से बने नालों में बह जाता है। मिशन अमृत सरोवर के तहत, इस तालाब की सीमा पर बेंच और पैदल मार्ग के साथ एक खेल का मैदान भी बनाया गया है, जो निवासियों के मनोरंजन और सामाजिक मेलजोल के लिए है।