भोपाल के भोज वेटलैंड की सुरक्षा के लिए एनजीटी ने सख्त निर्देश जारी किए हैं।
नगर निगम को अतिक्रमण हटाने और वेटलैंड की पारिस्थितिकी का अध्ययन करने का आदेश दिया गया है।
एनजीटी ने कहा कि अतिक्रमण और गंदे पानी का गिरना पर्यावरण नियमों का उल्लंघन है। 38 अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी किए गए हैं।
भोपाल की जीवनरेखा कहे जाने वाले भोज वेटलैंड की सुरक्षा के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 12 नवंबर 2025 को सख्त निर्देश दिए हैं। ट्रिब्यूनल ने भोपाल नगर निगम (बीएमसी) को आदेश दिया है कि वेटलैंड क्षेत्र में हो रहे सभी अतिक्रमण तुरंत हटाए जाएं।
वहीं नगर निगम ने एनजीटी को बताया कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की जाएगी और इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने के लिए अदालत से एक महीने की मोहलत मांगी है।
एनजीटी ने निगम को यह भी निर्देश दिया है कि राज्य वेटलैंड प्राधिकरण और वन एवं पर्यावरण विभाग के सहयोग से भोज वेटलैंड की मौजूदा पारिस्थितिक स्थिति का अध्ययन किया जाए। साथ ही, सर्दियों के मौसम में पक्षियों की गणना करवाई जाए, ताकि भविष्य में निगरानी के लिए एक मबजूत आधार तैयार हो सके।
आवेदक के वकील राशिद नूर खान ने अधिकरण को जानकारी दी है कि भोज वेटलैंड के आसपास नई निर्माण गतिविधियां और अतिक्रमण अब भी जारी हैं।
इस पर एनजीटी ने बीएमसी को निर्देश दिया है कि वह आवेदक के साथ मौके पर जाकर स्थिति की जांच करे और अतिक्रमणकारियों के साथ-साथ उन सरकारी अधिकारियों पर भी सख्त कार्रवाई करे जो अपनी ड्यूटी ईमानदारी से नहीं निभा रहे और बार-बार अतिक्रमण होने दे रहे हैं।
38 अतिक्रमणकारियों को जारी किए गए हैं नोटिस
भोपाल के कलेक्टर को स्वयं इस मामले में दखल देने और नियमों के अनुसार अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि सार्वजनिक संपत्ति और भोज वेटलैंड की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
एनजीटी ने कहा कि आवेदन में उठाए गए मुद्दे बेहद गंभीर हैं। इनमें अतिक्रमण के साथ-साथ बिना साफ किए गंदे पानी का भोज वेटलैंड में गिराया जाना शामिल है, जोकि अंतरराष्ट्रीय महत्व की एक रामसर साइट है। यह स्पष्ट रूप से पर्यावरण नियमों का उल्लंघन है।
बीएमसी ने अदालत को बताया है कि अतिक्रमण हटाने के लिए 38 लोगों को नोटिस जारी किए जा चुके हैं। इस मामले में संबंधित लोगों को सुनवाई का मौका देने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
इससे पहले, 7 अक्टूबर 2025 को भी एनजीटी ने नगर निगम को निर्देश दिए थे कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिसंबर 2024 में जारी दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए अतिक्रमण हटाए जाएं। इन दिशानिर्देशों में स्पेस एप्लिकेशन सेंटर एटलस (एसएसी-एटीएलएस 2021) को आधार बनाया गया है।