भारत सहित दुनिया भर में करोड़ों लोग घुटनों की समस्याओं से जूझ रहे हैं। घुटने के पैड के घिस जाने से हड्डियों के बीच अंतर कम हो जाता है और दोनों हड्डियां आपस में रगड़ खाने लगती हैं जिसके कारण दर्द यहां तक कि चलना दूभर हो जाता है। फिर इसका एक ही इलाज होता है शल्य चिकित्सा या सर्जरी के द्वारा कृत्रिम घुटने लगाना। इसके बाद इसे शरीर के अनुकूल बनाने में काफी व्यायाम की जरूरत पड़ती है।
अब रोपड़ स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के शोधकर्ताओं ने सर्जरी के बाद घुटने के सही से काम करने या रीहबिलटैशन के लिए एक अहम सफलता हासिल की है। उन्होंने इसमें निरंतर निष्क्रिय गति (सीपीएम) थेरेपी को और अधिक सुलभ और किफायती बनाने के लिए एक नया समाधान ढूंढ लिया है। आईआईटी रोपड़ की टीम ने घुटने के रीहबिलटैशन के लिए एक पूरी तरह से मैकेनिकल पैसिव मोशन मशीन विकसित की है।
महंगी और बिजली से चलने वाली पारंपरिक मोटर चालित सीपीएम मशीनों से अलग, नए विकसित किया गया उपकरण पूरी तरह से यांत्रिक है। यह एक पिस्टन और पुली सिस्टम का उपयोग करता है, जो उपयोगकर्ता द्वारा हैंडल खींचने पर हवा को संग्रहीत करता है, जिससे घुटने के रीहबिलटैशन में सहायता के लिए सुचारू और नियंत्रित गति संभव होती है। यह सरल उपकरण हल्का और पोर्टेबल दोनों है और डिजाइन प्रभावी होने के चलते इसे बिजली, बैटरी या मोटर की कोई आवश्यकता नहीं होती है।
मैकेनिकल सीपीएम मशीन, कई रोगियों की पहुंच से बाहर महंगी इलेक्ट्रिक मशीनों के बहुत अच्छा विकल्प प्रदान करती है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां बिजली की आपूर्ति लगातार नहीं रहती है। बिजली पर निर्भरता को कम करके, यह ऑफ-ग्रिड स्थानों में भी सहज रूप से अनिवार्य गति चिकित्सा को संभव बनाती है।
इसके अलावा इसकी पोर्टेबिलिटी के कारण मरीज इसे घर में आराम से उपयोग कर सकते हैं, जिससे उन्हें अस्पताल में लंबे समय तक रहने और रीहबिलटैशन के लिए जाने की आवश्यकता कम पड़ती है।
घुटने की सर्जरी से ठीक होने वाले रोगियों के लिए निरंतर गति एक अहम उपचार है, जो जोड़ों की गतिशीलता में सुधार, कठोरता को कम करने और रिकवरी में तेजी लाने में मदद करती है। इस यांत्रिक मशीन की शुरुआत किफायती और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प है, जो घुटने के रीहबिलटैशन में किफायती स्वास्थ्य सेवा के लिए नई संभावनाओं का द्वार खोलती है।
शोध के मुताबिक, इस नए उपकरण का विकसित किया जाना सभी लोगों को स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, खासकर उन इलाकों में जहां संसाधन सीमित हैं। शोधकर्ताओं की टीम की उपलब्धि से भारत के साथ ही दुनिया भर में घुटने के रीहबिलटैशन के मामलों में स्थायी असर देखने को मिलेगा।
शोधकर्ताओं ने शोध के हवाले से कहा कि यह उपकरण भारत में घुटने के रीहबिलटैशन में क्रांति लाने की क्षमता रखता है, अभी इस क्षेत्र में उन्नत चिकित्सा तकनीक तक हमारी पहुंच सीमित है। उन्होंने कहा, इसे किफायती, टिकाऊ बनाया गया है जो न केवल रिकवरी में सहायता करता है बल्कि मोटर चालित उपकरणों से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने में भी मदद करता है।