कचरे के बढ़ते पहाड़; प्रतीकात्मक तस्वीर 
स्वच्छता

दक्षिण-पूर्वी दिल्ली में कचरे की बढ़ते समस्या पर एनजीटी सख्त, अधिकारियों से मांगा जवाब

यह मामला अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस में 12 जुलाई 2025 को प्रकाशित एक खबर के आधार पर अदालत द्वारा स्वत: संज्ञान में लिया गया है

Susan Chacko, Lalit Maurya

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दक्षिण-पूर्वी दिल्ली में कचरे की बढ़ती समस्या को गंभीरता से लेते हुए मामले में स्वतः संज्ञान लिया है।

साथ ही इस बारे में संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। यह नोटिस केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी), और दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के जिलाधिकारी को भेजे गए हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 8 अक्टूबर 2025 को होगी।

अदालत का कहना है कि यह मामला पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016, वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 और दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 के तहत आता है।

गौरतलब है कि यह मामला अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस में 12 जुलाई 2025 को प्रकाशित एक खबर के आधार पर अदालत द्वारा स्वत: संज्ञान में लिया गया है।

यह समस्या दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के इलाकों, खासकर शाहीन बाग और सरिता विहार में भारी मात्रा फैले कचरे से जुड़ी है। खबर के मुताबिक, कई दिनों से कचरा नहीं उठाया गया है, जिससे तेज बदबू और स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो रही हैं। शाहीन बाग की वे गलियां, जहां आमतौर पर खाने के स्टॉल लगते हैं, अब सड़े कचरे की बदबू से भर चुकी हैं।

खबर में यह भी कहा गया कि हाई टेंशन रोड (जिसे 40-फुटा भी कहा जाता है) पर घरों के पास कचरे के बड़े-बड़े ढेर लगे हैं, जिन पर मक्खियां मंडरा रही हैं। दुकानदारों का कहना है कि कई दिनों से दिल्ली नगर निगम की कोई गाड़ी वहां कचरा उठाने नहीं आई है।

इस समस्या की वजह यह है कि कचरा उठाने वाली कंपनी दक्षिण दिल्ली स्वच्छ इनिशिएटिव्स लिमिटेड का अनुबंध नवंबर 2023 में खत्म हो गया था, जिसे अब तक सिर्फ अस्थाई रूप से बढ़ाया गया है।

रिपोर्ट में बताया गया कि दिल्ली नगर निगम की स्टैंडिंग कमेटी का गठन अब तक नहीं हुआ है। यह कमेटी बड़े खर्चों को मंजूरी देने के लिए जरूरी होती है। इसी देरी के कारण न तो कचरा उठाने वाली कंपनी दक्षिण दिल्ली स्वच्छ इनिशिएटिव्स लिमिटेड का न तो नया अनुबंध हो पा रहा है और न उसे भुगतान किया गया है।

इस वजह से दक्षिण दिल्ली स्वच्छ इनिशिएटिव्स लिमिटेड और एमसीडी दोनों ने कचरा उठाना बंद कर दिया है। पार्षदों का कहना है कि काम करने वाले कचरा वाहन भी पर्याप्त नहीं हैं, और अधिकारियों का मानना है कि जब तक स्टैंडिंग कमेटी नहीं बनती, तब तक कोई स्थाई समाधान संभव नहीं है।

एनजीटी ने उय्यांकोंडन नदी की दुर्दशा पर लिया स्वत: संज्ञान, सीपीसीबी से मांगी रिपोर्ट

उय्यांकोंडन नदी, जो कभी सिंचाई के लिए जीवनरेखा हुआ करती थी, आज गंदगी और कचरे से पटी पड़ी है

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 16 जुलाई 2025 को उय्यांकोंडन नदी की बिगड़ती हालात पर स्वतः संज्ञान लिया है। इसके साथ ही अदालत ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को मामले की जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।

इस मामले में अदालत ने तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, तिरुचिरापल्ली के जिला कलेक्टर, और तिरुचिरापल्ली नगर निगम को भी एनजीटी की दक्षिणी बेंच के समक्ष अपना पक्ष रखने को कहा है। मामला तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली का है।

गौरतलब है कि यह मामला 4 जुलाई 2025 को डीटी नेक्स्ट में प्रकाशित समाचार पर आधारित है, जिसपर अदालत ने स्वतः संज्ञान लिया है। खबर के मुताबिक उय्यांकोंडन नदी, जो कभी सिंचाई के लिए जीवनरेखा हुआ करती थी, आज गंदगी और कचरे से पटी पड़ी है।

खबर के मुताबिक करीब 46 किलोमीटर लंबी यह नदी तिरुचिरापल्ली शहर से होकर बहती है और वलावंथनकोट्टई होते हुए बूथलूर चरंडी नदी में मिल जाती है। यह करीब 32,000 एकड़ भूमि की सिंचाई करती थी। लेकिन अब इसमें बिना साफ किए सीधे तौर पर गंदा पानी छोड़ा जा रहा है। इसके साथ ही घनी जलकुंभी व काई ने इसके मुक्त प्रवाह को बाधित कर दिया है।