प्रदूषण का शिकार यमुना; फोटो: प्रभात कुमार 
नदी

यमुना किनारे ‘ओ जोन’ में बसी कॉलोनियों पर एनजीटी ने मांगी रिपोर्ट

एनजीटी ने इस मामले में मंत्रालयों से रिपोर्ट मांगी है, साथ ही बिना साफ किए सीवेज को सीधे नदी में छोड़े जाने पर चिंता जताई है

Susan Chacko, Lalit Maurya

  • नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने यमुना नदी में बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जताई है।

  • दिल्ली के 'ओ जोन' में अवैध कॉलोनियों से बिना साफ किए सीवेज यमुना में छोड़ा जा रहा है, जिससे जल गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।

  • इस मामले में एनजीटी ने पर्यावरण मंत्रालय और शहरी कार्य मंत्रालय को रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 3 नवंबर 2025 को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय को यमुना नदी में हो रहे प्रदूषण पर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।

एनजीटी ने कहा कि दिल्ली में ‘ओ जोन’ क्षेत्र में बसी कॉलोनियों से बिना साफ किए सीवेज को सीधे यमुना में छोड़ा जा रहा है, जिससे नदी की जल गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।

दिल्ली मास्टर प्लान 2021 के अनुसार, ‘ओ जोन’ यमुना के किनारे 22 किलोमीटर लंबे पूरे बाढ़ क्षेत्र को शामिल करता है। इस इलाके में न तो कोई निर्माण किया जा सकता है और न ही जमीन या मकान का स्वामित्व मान्य है।

दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने 31 अक्टूबर 2025 को दायर अपने हलफनामे में बताया कि ‘ओ जोन’ में बसी ये कॉलोनियां दिल्ली सरकार द्वारा चिन्हित 1,731 अवैध कॉलोनियों की सूची में शामिल हैं। इन्हें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कानून (विशेष प्रावधान) द्वितीय अधिनियम, 2011 की धारा 3 के तहत अस्थाई सुरक्षा दी गई है, जो 31 दिसंबर 2026 तक जारी रहेगी।

इस मामले में अगली सुनवाई 3 फरवरी 2026 को होगी।

टिहरी गढ़वाल में नाले पर अतिक्रमण का मामला: एनजीटी ने दो माह में सुनवाई पूरी करने के दिए निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 4 नवंबर 2025 को अपीलीय प्राधिकरण को निर्देश दिया है कि वह टिहरी गढ़वाल में डेकिन वैली के पास नाले पर हुए अवैध निर्माण और अतिक्रमण के मामले की सुनवाई जल्द से जल्द पूरी करे।

मामला उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले के नरेंद्रनगर क्षेत्र के मौजा तपोवन स्थित डेकिन वैली के पास मौजूद नाले से जुड़ा है।

एनजीटी ने कहा कि पर्यावरणीय नुकसान से बचने के लिए समस्याओं का जल्द समाधान जरूरी है। इसलिए अपीलीय प्राधिकरण को निर्देश दिया गया है कि वह इस मामले की सुनवाई जल्द पूरी करे, संभव हो तो दो माह के भीतर, ताकि नाले पर अतिक्रमण से हुए नुकसान की भरपाई के कदम उठाए जा सकें।

अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि आदेश की प्रति उत्तराखंड के मुख्य सचिव के माध्यम से पुनरीक्षण प्राधिकरण को भेजी जाए, ताकि जरूरी कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।

अदालत को बताया गया कि अतिक्रमण हटाने और अवैध निर्माण तोड़ने के जो आदेश पहले दिए गए थे, उन्हें फिलहाल पुनरीक्षण प्राधिकरण ने रोक रखा है।

टिहरी गढ़वाल के जिलाधिकारी ने 7 अगस्त 2025 को अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी थी कि 5 दिसंबर 2024 को गठित समिति ने मौजा तपोवन स्थित डेकिन वैली के पास नाले की जमीन पर अतिक्रमण और मलबा डाले जाने की पहचान की थी।

निरीक्षण के दौरान पाया गया कि नाले के उत्तरी हिस्से में, राष्ट्रीय राजमार्ग 58 के बाईं ओर, कुल छह बहुमंजिला इमारतें बनी हुई हैं या निर्माणाधीन हैं। इनमें से चार इमारतें नाले की सीमा के भीतर पाई गईं। जांच में यह भी सामने आया कि भवन मालिकों ने सीवर कनेक्शन ले रखे हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, इन सभी निर्माणों का क्षेत्रफल 20,000 वर्ग मीटर से कम है और यह स्थान सौ वर्ष की बाढ़ सीमा के बाहर पाया गया है। वर्तमान में चार अवैध कब्जाधारकों के खिलाफ कार्रवाई चल रही है।