दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 पार करते ही एक बार फिर ‘ग्रेप-4’ यानी ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान का चौथा चरण लागू हो गया है। इसके साथ ही दिल्ली-एनसीआर में निर्माण कार्यों पर पाबंदी लगा दी गई है। इससे निर्माण मजदूरों पर फिर से आफत आन पड़ी है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 25 नवंबर, 2024 को अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा था कि “ग्रेप-4 प्रतिबंधों” के लागू होने पर प्रभावित निर्माण मजदूरों को आर्थिक सहायता तत्काल प्रदान की जाए। इस आदेश के बाद दिल्ली सरकार ने निर्माण मजदूरों को 8,000 रुपए एकमुश्त देने का निर्णय लिया था।
लेकिन अब तक लाखों मजदूरों को आर्थिक सहायता नहीं पहुंच पाई है। दिल्ली सरकार का दावा है कि उसने दिल्ली बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड में पंजीकृत 90 हजार से मजदूरों को 8,000 प्रति मजदूर की आर्थिक सहायता पहुंचा दी है।
लेकिन मजदूरों के पंजीयन को लेकर सवाल उठ रहे हैं। दिल्ली के असंगठित मजूदरों व बेघरों के लिए काम कर रहे संगठन से जुड़े सुनील कुमार आलेडिया कहते हैं कि वेलफेयर बोर्ड की वेबसाइट डैशबोर्ड पर उपलब्ध नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, पंजीकृत निर्माण श्रमिकों की कुल संख्या 13,78,199 है, जिनमें से 89,518 सक्रिय सदस्य हैं और 10,512 सक्रिय लाभार्थी हैं।
इसके अतिरिक्त, 12,88,681 सदस्यताएं समाप्त हो चुकी हैं और नवीनीकरण के लिए 7,16,174 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से अब तक केवल 5,07,863 को ही मंजूरी दी गई है।
उनके मुताबिक यह आंकड़ा बताता है कि निर्माण कार्यों में प्रतिबंध की वजह से कितने मजदूरों को उनका हक नहीं मिल रहा है।
सुनील आलेडिया ने 16 दिसंबर 2024 को दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर हलफनामा में अपने एक रेपिड सर्वे का हवाला देते हुए दिल्ली बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड की पंजीकरण प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए हैं।
आलेडिया ने अपना यह सर्वे राजधानी के केंद्रीय विस्टा प्रोजेक्ट, दिल्ली हाई कोर्ट परिसर, डीयूएसआईबी शेल्टर होम, डब्ल्यूएचओ-आईटीओ के निर्माणाधीन भवन में किया है। इस सर्वे का मकसद यह जानना था कि 25 नवंबर 2024 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का कार्यान्वयन किस प्रकार किया जा रहा है।
रैपिड सर्वे में उपरोक्त अलग-अलग साइटों पर कार्यरत 75 मजदूरों से बातचीत की गई। इनमें से मात्र पांच मजदूर कंस्ट्रक्शन वेलफेयर बोर्ड में पंजीकृत हैं। इनमें चार मजदूरों का दोबारा पंजीकरण हो चुका है, जबकि एक मजदूर लगातार प्रयास करने के बाद पंजीकरण नहीं करवा पाया है। खास बात यह है कि इन पांच मजदूरों को आठ हजार रुपए की आर्थिक मदद नहीं मिल पाई है।
सुनील आलेडिया ने डाउन टू अर्थ को बताया कि ये सभी साइटें दिल्ली के मध्य में हैं। बावजूद इसके यहां काम कर रहे मजदूरों का पंजीकरण नहीं हो पा रहा है। खास बात यह है कि ये मजदूर जिन निर्माण कंपनियों के लिए काम कर रहे हैं, वो सभी पंजीकृत हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि निर्माण मजदूरों को सरकारी योजनाओं का लाभ कैसे मिल पाएगा?
आलेडिया ने बताया कि उनके हलफनामे के बाद अदालत ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव से जवाब तलब किया है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि ग्रेप-4 के प्रतिबंध राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में भी लागू होते हैं। एनसीआर में उत्तर प्रदेश, हरियाणा व राजस्थान के कुछ शहर शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट का आदेश इन शहरों में भी लागू होता है।
पिछली सुनवाई के दौरान बताया गया था कि उत्तर प्रदेश में 1 लाख 50 हजार मजदूरों को कुल 75 करोड़ रुपये की सहायता वितरित की गई, जबकि राजस्थान में 50 हजार मजदूरों को 25 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद दी गई और हरियाणा में 30 हजार मजदूरों को 10 करोड़ रुपये की सहायता दी गई।