राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि पश्चिम बंगाल के बरजोला नहर में बिना उपचार के औद्योगिक गंदा पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे हुगली नदी प्रदूषित हो रही है।
राज्य सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इस प्रदूषण को रोकने के लिए त्वरित कदम उठाने की आवश्यकता है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नालियों और नहरों में प्रवेश करने वाले अपशिष्ट को रोकने के लिए सीवर नेटवर्क बिछाना राज्य सरकार और उसके शहरी स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी है।
यदि उद्योग या नगरपालिकाएं बरजोला नहर में बिना उपचार किए अपशिष्ट और सीवेज छोड़ते पकड़ी जाती हैं, तो पश्चिम बंगाल सरकार और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उनके खिलाफ कानूनी प्रावधानों के तहत कार्रवाई करेंगे। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नालियों और नहरों में प्रवेश करने वाले अपशिष्ट को रोकने के लिए सीवर नेटवर्क बिछाना राज्य सरकार और उसके शहरी स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी है।
यह जानकारी राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) द्वारा 17 नवंबर 2025 को दायर रिपोर्ट में दी गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जलान इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स, संकरेल इंडस्ट्रियल पार्क और धुलागड़ी गांव के सैकड़ों उद्योग बरजोला नहर के जरिए सरेंगा में बिना उपचार का औद्योगिक गंदा पानी छोड़ रहे हैं, जो आगे चलकर हुगली नदी को प्रदूषित कर रहा है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, बरजोला नहर पश्चिम बंगाल के सिंचाई एवं जलमार्ग विभाग के अधिकार क्षेत्र में आती है। ऐसे में विभाग को पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देशों के अनुसार प्रदूषण रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का दायित्व है कि वह उन सभी उद्योगों और नगरपालिकाओं के खिलाफ कार्रवाई करे जो बिना उपचार किया गंदा पानी किसी भी नदी, नाले या जलस्रोत में छोड़ते हैं, जिसमें बरजोला नहर भी शामिल है।
पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपने 25 सितंबर 2025 को दायर हलफनामे में बताया है कि उसके अधिकारियों ने अलग-अलग मौकों पर विभिन्न उद्योगों और अन्य प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों का निरीक्षण किया है। बोर्ड ने जलान इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स के भीतर मौजूद प्रमुख नालों और उनसे सरेंगा नहर में छोड़े जाने वाले गंदे पानी की जानकारी भी प्रस्तुत की है।
नहीं मिली कोई परियोजना रिपोर्ट
नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा ने अदालत को बताया है कि बरजोला या सरेंगा नहर में प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े किसी भी प्रोजेक्ट की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट उन्हें अभी तक प्राप्त नहीं हुई है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि राज्य में प्रदूषण नियंत्रण उपायों को लागू करना और उनकी निगरानी करना मुख्य रूप से राज्य सरकार, शहरी स्थानीय निकायों और पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जिम्मेदारी है।
गंगा और उसकी सहायक नदियों में प्रदूषण कम करने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने कहा है कि वह राज्य सरकारों की संबंधित एजेंसियों को जरूरत के अनुसार सहयोग देता है। यह सहयोग फंड की उपलब्धता और गंगा किनारे बसे शहरों में प्रदूषण कम करने की प्राथमिकताओं के आधार पर दिया जाता है।
कुल मिलाकर, रिपोर्ट यह स्पष्ट करती है कि बरजोला नहर से हुगली में जा रहे गंदे पानी को रोकना राज्य सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की प्राथमिक जिम्मेदारी है, और इसके लिए त्वरित कदम उठाने की आवश्यकता है।
भादर नदी प्रदूषण पर एनजीटी सख्त, नगर पालिका को दिए तुरंत कार्रवाई के निर्देश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 17 नवंबर 2025 को एक अहम आदेश में जेतपुर नवागढ़ नगरपालिक को सख्त हिदायत दी है कि सीवर का गंदा पानी बिना उपचार के तूफानी नालों में न छोड़ा जाए। साथ ही नगरपालिक को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि हर घर पूरी तरह सीवर लाइन से जुड़ा हो। एनजीटी ने यह भी आदेश दिया है कि सीवर का गंदा पानी या औद्योगिक अपशिष्ट भादर नदी में बिल्कुल नहीं जाना चाहिए।
इसके साथ ही जेतपुर नवागढ़ नगरपालिक को भूमिगत सीवर लाइन बिछाने का काम जल्द से जल्द पूरा करने का निर्देश दिया गया है।
अदालत ने गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यह भी सुनिश्चित करने की हिदायत दी है कि जेतपुर डाइंग एंड प्रिंटिंग एसोसिएशन के सात एमएलडी और भाट गांव के 30 एमएलडी क्षमता वाले कॉमन इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट्स (सीईटीपी) को संचालन की अनुमति इस शर्त पर ही दी जानी चाहिए कि उनके द्वारा कोई भी औद्योगिक गंदा पानी भादर नदी या किसी भी तूफानी नाले में न छोड़ा जाए।
एनजीटी ने आदेश में यह भी साफ कहा है कि कोई भी उद्योग, एसटीपी या सीईटीपी संचालन की वैध अनुमति (सीटीओ) के नहीं चलना चाहिए। यदि कोई इकाई गंदा पानी नदी या उसके दोनों किनारों पर बने नालों में छोड़ती पाई गई, तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला जेतपुर क्षेत्र में बिना ट्रीटमेंट के सीवेज और औद्योगिक इकाइयों के गंदे पानी के कारण भादर नदी के प्रदूषण से जुड़ा है। शिकायतकर्ता ने अदालत को बताया है कि जेतपुर में सीवेज ट्रीटमेंट की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है, भाट गांव के कॉमन इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) की क्षमता पर्याप्त नहीं है। वहीं गोंदरा स्थित सीईटीपी बंद पड़ा है, जिससे गंदा पानी सीधे नदी में पहुंच रहा है।