संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, केवल 24 घंटे पहले की चेतावनी से नुकसान को 30 फीसदी तक कम किया जा सकता है।  फोटो साभार: आईस्टॉक
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विश्व सुनामी जागरूकता दिवस: तैयारियों और निवेश से ही बच सकती हैं अनमोल जानें

जागरूकता और मजबूत चेतावनी प्रणालियां ही सुनामी से बचाव का सबसे असरदार उपाय है।

Dayanidhi

  • विश्व सुनामी जागरूकता दिवस हर साल पांच नवंबर को मनाया जाता है।

  • 2004 इंडोनेशिया सुनामी ने वैश्विक चेतावनी प्रणाली की आवश्यकता पर जोर दिया।

  • समुद्र स्तर बढ़ने से तटीय क्षेत्र पहले से अधिक संवेदनशील हो गए हैं।

  • तैयारी में निवेश करने से बड़ा आर्थिक और जीवन सुरक्षा लाभ मिलता है।

  • चेतावनी, समुदाय प्रशिक्षण और मजबूत अवसंरचना ही प्रभावी सुरक्षा के तीन आधार हैं।

हर साल पांच नवंबर को विश्व सुनामी जागरूकता दिवस मनाया जाता है। यह दिवस दुनिया को यह याद दिलाने के लिए है कि सुनामी से होने वाली तबाही भले ही दुर्लभ हो, लेकिन जब भी यह आती है, अपने साथ अत्यधिक विनाश लेकर आती है। संयुक्त राष्ट्र ने साल 2015 में इस दिवस की घोषणा की थी, ताकि लोग, समुदाय और सरकारें सुनामी के खतरों को समझें तथा समय रहते तैयारी और चेतावनी प्रणालियों को मजबूत कर सकें।

सूनामी समुद्र तल में होने वाले बड़े भूकंप, समुद्री ज्वालामुखी विस्फोट, भूस्खलन और कभी-कभी उल्कापिंड जैसी घटनाओं के कारण उत्पन्न होती है। यह विशाल समुद्री लहरें अत्यंत तेज गति से हजारों किलोमीटर का सफर तय कर तटों पर भारी तबाही मचा सकती हैं। ऐसे में तैयारी ही एकमात्र उपाय है जो जन-जीवन, संपत्ति और पर्यावरण की रक्षा कर सकता है।

2004 का भारतीय महासागर सुनामी: चेतावनी का बड़ा सबक

26 दिसंबर 2004 को इंडोनेशिया के उत्तरी सुमात्रा तट के पास 9.1 तीव्रता के भूकंप ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया। इस सुनामी की लहरें 50 मीटर (167 फीट) तक ऊंची थीं, जिन्होंने तीन मील तक क्षेत्र को जलमग्न कर दिया। इस त्रासदी में 17 देशों ने भारी क्षति झेली और लाखों लोग प्रभावित हुए। इस घटना ने दुनिया को यह समझा दिया कि सुनामी चेतावनी प्रणाली और आपातकालीन तैयारी कितनी महत्वपूर्ण है।

इसी के बाद दुनिया भर में सुनामी पूर्व चेतावनी नेटवर्क को विकसित किया गया। आज, 20 साल बाद, कई देशों के पास ऐसी तकनीक उपलब्ध हैं जो सुनामी आने की आशंका पर कुछ ही मिनटों में चेतावनी जारी कर देती हैं। हाल ही में रूस के तट पर आए 8.8 तीव्रता के भूकंप के दौरान जापान, दक्षिण-पूर्व एशिया, प्रशांत द्वीपों और अमेरिका के पश्चिमी तटों पर समय रहते चेतावनी जारी की गई, यह इसी प्रगति का परिणाम है।

लेकिन खतरा अभी भी कम नहीं हुआ

समुद्र तटों के आसपास जनसंख्या और आर्थिक गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं। पर्यटन, उद्योग और शहरीकरण के विस्तार के कारण तटीय क्षेत्र अधिक संवेदनशील हो गए हैं। इसके साथ ही समुद्र स्तर में वृद्धि, जो जलवायु परिवर्तन का परिणाम है, सुनामी की लहरों को पहले की तुलना में और अधिक अंदर तक पहुंचने की क्षमता देती है। इसलिए, जोखिम लगातार बदल रहे हैं और देशों को निरंतर अपनी तैयारी की समीक्षा और सुधार करना आवश्यक है।

इस साल की थीम: “सूनामी तैयारी में निवेश करें”

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, केवल 24 घंटे पहले की चेतावनी से नुकसान को 30 फीसदी तक कम किया जा सकता है। विकासशील देशों में अवसंरचना को मजबूत बनाने पर खर्च किया गया हर एक डॉलर, चार डॉलर तक के नुकसान को रोक सकता है। अर्थात, तैयारी में किया गया निवेश सीधे जीवन और अर्थव्यवस्था की रक्षा में जुड़ता है।

यूनेस्को के इंटरगवर्नमेंटल ओशनोग्राफिक कमीशन के साथ मिलकर इस साल भी सुनामी तैयारी कार्यक्रम और आइओ-वेव अभ्यास आयोजित किए जा रहे हैं, जिनका उद्देश्य समुदायों को सुनामी के प्रति तैयार करना है। जापान, जिसने सालों से सुनामी प्रबंधन में अग्रणी भूमिका निभाई है, इस अभियान का सशक्त समर्थक रहा है।

दुनिया के कुछ प्रमुख ऐतिहासिक सुनामी

  • इंडोनेशिया, सुमात्रा (2004): 9.1 भूकंप, लहरें 167 फीट तक, 17 देशों में भारी तबाही

  • पुर्तगाल, लिस्बन (1755) : 8.5 भूकंप, तटों पर विशाल लहरें, शहर में आग और तटीय विनाश

  • जापान, एन्शू-नाडा (1498): 8.3 भूकंप लगभग 31,000 लोग मारे गए

  • चिली, आरिका (1868) : 8.5 भूकंप, लहरें प्रशांत महासागर पार, लगभग 25,000 मृत्यु

  • जापान, रयूक्यू द्वीप (1771) : 98 फीट ऊंची लहरें, 13,486 मौतें

सूनामी भले कम आती हो, पर जब आती है तो परिणाम विनाशकारी होते हैं। इसलिए इस विश्व सुनामी जागरूकता दिवस पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि:

  • चेतावनी प्रणालियों को और आधुनिक बनाया जाए,

  • समुदायों को प्रशिक्षण दिया जाए,

  • अवसंरचना को आपदा-रोधी बनाया जाए,

  • तथा तैयारी और जागरूकता को प्राथमिकता दी जाए।

  • सुरक्षा में निवेश ही भविष्य की रक्षा है।