विश्व नसबंदी या बंध्यकरण दिवस हर साल फरवरी के आखिरी मंगलवार को मनाया जाता है। 1995 में डोरिस डे और उनके एनिमल लीग द्वारा स्पै डे यूएसए के रूप में शुरू किया गया, जब भीड़भाड़ वाले आश्रयों में अनुमानित इच्छामृत्यु दर हर साल 1.4 से 1.7 करोड़ कुत्तों और बिल्लियों के बीच थी, यह वार्षिक आयोजन 74 देशों में वैश्विक अनुपात में बढ़ गया है, जिसके परिणामस्वरूप इसकी शुरुआत से अब तक लाखों जानवरों की बंध्यकरण या नसबंदी की गई है।
डोरिस डे एनिमल फाउंडेशन बेघर पालतू जानवरों की अधिकता को कम करने और इच्छा-मृत्यु दरों को कम करने में मदद करने के लिए विश्व बंध्यकरण दिवस के साथ-साथ देश भर में पशु कल्याण संगठनों में बंध्याकरण या नसबंदी कार्यक्रमों के लिए अनुदान प्रदान करता है।
पालतू जानवरों की नसबंदी करना सामान्य शल्य चिकित्सा प्रक्रियाएं हैं, ताकि वे प्रजनन न कर सकें। इससे पालतू और गली के कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने, हर एक जानवर के स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने, व्यवहार में सुधार लाने और जिम्मेदार पालतू स्वामित्व को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। इन प्रक्रियाओं का हर एक पालतू जानवरों और व्यापक समुदाय दोनों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
भूटान में, एक राष्ट्रव्यापी अभियान के तहत 100 फीसदी स्ट्रीट डॉग्स की नसबंदी की गई, जो अन्य देशों के लिए एक दयालु मॉडल के रूप में कार्य करता है। रूस में, स्वयंसेवक जंगली बिल्लियों की नसबंदी करते हैं, कुतरने वाले जीवों की आबादी को नियंत्रित करने में उनकी भूमिका को स्वीकार करते हैं।
एक आम मिथक यह है कि नसबंदी के कारण पालतू जानवर अधिक वजन वाले हो जाते हैं। वास्तव में, वजन बढ़ना प्रक्रिया से नहीं, बल्कि अधिक खिलाने और व्यायाम की कमी से होता है।
एक और गलत धारणा यह है कि नसबंदी से पहले मादा पालतू जानवर को एक बार बच्चे पैदा करने देना बेहतर होता है, लेकिन इससे स्वास्थ्य को कोई फायदे नहीं होते और यह अधिक आबादी के लिए जिम्मेवार है।
बिल्लियां जो अक्सर जंगली या आवारा होती हैं, विश्व नसबंदी दिवस के दौरान इन पर ज्यादा गौर किया जाता है। ट्रैप-न्यूटर-रिटर्न (टीएनआर) कार्यक्रम मानवीय तरीके से उनकी आबादी को नियंत्रित करते हैं। उदाहरण के लिए, एली कैट रेस्क्यू का ग्लोबल फेरल फिक्स चैलेंज दुनिया भर के पशु चिकित्सकों को सामुदायिक बिल्लियों के लिए मुफ्त या सस्ती नसबंदी सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
वन्यजीव संरक्षणवादी अक्सर देशी प्रजातियों की रक्षा के लिए, विशेष रूप से जंगली बिल्लियों की नसबंदी का समर्थन करते हैं। अनियंत्रित बिल्ली की आबादी पक्षियों और छोटे स्तनधारियों के लिए खतरा बन सकती है। टीएनआर जैसे कार्यक्रम पारिस्थितिकी संरक्षण के साथ पशु कल्याण को संतुलित करने में मदद करते हैं।
कुछ संस्कृतियों में, पशु अधिकारों या प्राकृतिक व्यवस्था के बारे में मान्यताओं के कारण नसबंदी को प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है। हालांकि कई धार्मिक और सांस्कृतिक नेता अब इन प्रथाओं को अधिक आबादी और पशुओं की पीड़ा के मानवीय समाधान के रूप में समर्थन देते हैं।