डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार, लोगों में रेबीज के 99 प्रतिशत मामलों में, कुत्ते संक्रमण फैलाने के लिए जिम्मेदार होते हैं।  फोटो साभार: आईस्टॉक
स्वास्थ्य

विश्व रेबीज दिवस : हर साल 59 हजार से अधिक लोगों की जान ले रही है यह बीमारी

28 सितंबर को फ्रांसीसी रसायनज्ञ और सूक्ष्म जीव विज्ञानी लुई पाश्चर की पुण्यतिथि है, जिन्होंने पहली रेबीज वैक्सीन के विकास में अग्रणी भूमिका निभाई थी, उनकी याद में विश्व रेबीज दिवस मनाया जाता है।

Dayanidhi

विश्व रेबीज दिवस हर साल 28 सितम्बर को मनाया जाता है ताकि रेबीज के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके और इसकी रोकथाम को बढ़ावा दिया जा सके। रेबीज एक घातक संक्रामक रोग है जो मनुष्यों सहित सभी स्तनधारियों पर असर डालता है। इस साल 28 सितंबर को 18वां विश्व रेबीज दिवस मनाया जा रहा है। यह बीमारी मुख्य रूप से संक्रमित जानवर के काटने से फैलती है, लेकिन संक्रमित लार के संपर्क में आने से भी फैल सकती है।

रेबीज के शुरुआती लक्षणों में बेचैनी, मतिभ्रम, मांसपेशियों में ऐंठन, बुखार, मतली, उल्टी और दस्त शामिल हैं।

इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसे मिटाने के लिए मिलकर काम करना ही विश्व रेबीज दिवस का उद्देश्य है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, साल 2024 के विश्व रेबीज दिवस की थीम "ब्रेकिंग रेबीज बाउंड्रीज" या 'रेबीज की सीमाओं को तोड़ना' है, जो घातक बीमारी के खिलाफ मुकाबले में आने वाली अड़चनों को दूर करने के लिए चल रहे वैश्विक प्रयासों को सामने लाता है।

यह थीम विभिन्न क्षेत्रों में नई-नई रणनीतियों और सहयोग का आह्वान करती है, जो मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों को एक साथ लाता है।

28 सितंबर को विश्व रेबीज दिवस मनाने के संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि यह दिन फ्रांसीसी रसायनज्ञ और सूक्ष्म जीव विज्ञानी लुई पाश्चर की पुण्यतिथि है, जिन्होंने पहली रेबीज वैक्सीन के विकास में अग्रणी भूमिका निभाई थी।

विश्व रेबीज दिवस की स्थापना 2007 में ग्लोबल अलायंस फॉर रेबीज कंट्रोल द्वारा की गई थी और फिर इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा मान्यता दी गई। यह दिन रेबीज की रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इस भयावह बीमारी को हराने में प्रगति को सामने लाने के लिए हर साल मनाया जाता है।

रेबीज हर साल हजारों लोगों की मौत का कारण बन रहा है, खास तौर पर विकासशील देशों में जहां चिकित्सा देखभाल और पशु टीकाकरण की पहुंच सीमित है। इस आयोजन ने उपचार और व्यापक पालतू पशुओं के टीकाकरण पर जोर देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

रेबीज एक रोकथाम की जा सकने वाली बीमारी है, फिर भी यह हर साल 59,000 से अधिक लोगों की जान ले रही है, जिनमें से अधिकतर अफ्रीका और एशिया के ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। जागरूकता फैलाकर, विश्व रेबीज दिवस जानवरों को टीका लगाने, काटने की रोकथाम के बारे में लोगों को शिक्षित करने और जोखिम के बाद उपचार तक तुरंत पहुच सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर देता है। इसका उद्देश्य 2030 तक कुत्तों द्वारा फैलाए जाने वाले रेबीज से लोगों की होने वाली मृत्यु को समाप्त करने के वैश्विक लक्ष्य का समर्थन करना भी है।

डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के अनुसार, लोगों में रेबीज के 99 प्रतिशत मामलों में, कुत्ते संक्रमण फैलाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। हर साल, दुनिया भर में 2.9 करोड़ से अधिक लोगों को मानव रेबीज का टीका लगाया जाता है।

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, भारत में, रिपोर्ट किए गए रेबीज संक्रमण और मौतों का लगभग 30-60 प्रतिशत 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में होता है, क्योंकि बच्चों में काटने की घटनाएं अक्सर अनदेखी और रिपोर्ट नहीं की जाती हैं।

क्या करें यदि कोई जानवर आपको काट लेता है तो?

जैसे ही आपको कोई जानवर काटता या खरोंचता है, घाव को साबुन और बहते पानी से कम से कम 10 से 15 मिनट तक अच्छी तरह से धो लेना चहिए। जिससे संक्रमण का खतरा काफी कम हो जाता है। घाव को साफ करने के बाद, आयोडीन घोल या अल्कोहल-आधारित कीटाणुनाशक जैसे एंटीसेप्टिक लगाना चाहिए। इससे घाव को और अधिक कीटाणुरहित करने और जीवाणु संक्रमण को रोकने में मदद मिलती है।

अगर काटने का घाव गहरा है और खून बह रहा है, तो खून बहने से रोकने के लिए साफ कपड़े या पट्टी से हल्का दबाव डालें। अगर खून बहना बहुत ज्यादा है या बंद नहीं हो रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

घाव को ढकने और उसे गंदगी और बैक्टीरिया से बचाने के लिए स्टेराइल पट्टी या साफ कपड़े का इस्तेमाल करना चाहिए। यह सुनिश्चित करें कि पट्टी बहुत ज्यादा कसी हुई न हो, ताकि हवा का संचार हो सके और घाव भरने में मदद मिले।

काटने की गंभीरता चाहे जो भी हो, डॉक्टर से सलाह जरूर लें। रेबीज एक गंभीर स्थिति है जिसके लिए तुरंत चिकित्सा जांच की आवश्यकता होती है, खासकर अगर काटने का कारण कोई अज्ञात या बिना टीका लगाया हुआ जानवर हो।