विश्व सीओपीडी दिवस हर साल नवम्बर माह के तीसरे बुधवार को मनाया जाता है। इस साल यह 20 नवम्बर को पड़ रहा है।
क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) दुनिया भर में फेफड़ों की विनाशकारी बीमारी के रूप में बहुत आम होती जा रही है और बढ़ते वायु प्रदूषण ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है। फेफड़ों की इस घातक बीमारी के मुख्य कारणों में से एक वायु प्रदूषण है, जो हानिकारक कणों और गैसों का वाहक है तथा ये वायुमंडल में भारी मात्रा में मौजूद होते हैं।
सीओपीडी क्या है?
क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) फेफड़ों की आम बीमारी है जो सांस लेने में समस्या पैदा करती है। इसे क्रोनिक ब्रोंकाइटिस भी कहा जाता है।
धूम्रपान को सीओपीडी का प्रमुख कारण माना जाता रहा है, हालांकि, पर्यावरणीय कारण और विशेष रूप से वायु प्रदूषण ने हाल ही में इस संबंध में प्रासंगिकता हासिल की है। सीओपीडी से पीड़ित लोगों के लिए सबसे बड़ा खतरा प्रदूषित हवा है।
प्रदूषकों के संपर्क में आने से भी स्थिति बिगड़ सकती है, लक्षण बिगड़ सकते हैं, अस्पताल में भर्ती होने की संख्या बढ़ सकती है और बीमारी बढ़ सकती है। लंबे समय तक संपर्क में रहने से फेफड़ों को अपूरणीय क्षति होगी, जिससे उपचार बहुत मुश्किल हो जाएगा।
सीओपीडी का इलाज संभव नहीं है, लेकिन अगर कोई धूम्रपान और वायु प्रदूषण से दूर रहे और संक्रमण से बचाव के लिए टीके लगवाए तो लक्षणों में सुधार हो सकता है। इसका इलाज दवाओं, ऑक्सीजन और पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन से भी किया जा सकता है।
वैज्ञानिकों के एक टीम ने विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूएस नेशनल हार्ट, लंग और ब्लड इंस्टीट्यूट से 1998 में क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव लंग डिजीज (गोल्ड) के लिए वैश्विक पहल की स्थापना करने का आग्रह किया, ताकि सीओपीडी, इसके उपचार और इसकी रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके।
सीओपीडी के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उन लाखों लोगों की सहायता करना जो इस बीमारी से पीड़ित हैं और इससे या इसकी जटिलताओं से बहुत जल्दी मर जाते हैं, गोल्ड के दो प्रमुख लक्ष्य हैं।
साल 2002 में पहला विश्व सीओपीडी दिवस मनाया गया। हर साल, 50 से अधिक देशों के आयोजक इस कार्यक्रम में भाग लेते हैं। गोल्ड डब्ल्यूएचओ जैसे समूहों के सहयोग से विश्व सीओपीडी दिवस को आगे बढ़ाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, सीओपीडी दुनिया भर में मौत का चौथा प्रमुख कारण है, जिसके कारण 2021 में 35 लाख मौतें हुई, जो दुनिया भर में होने वाली मौतों का लगभग पांच फीसदी है।
70 वर्ष से कम आयु के लोगों में सीओपीडी से होने वाली लगभग 90 फीसदी मौतें कम और मध्यम आय वाले देशों (एलएमआईसी) में होती हैं।
सीओपीडी दुनिया भर में स्वास्थ्य समस्या का आठवां प्रमुख कारण है (विकलांगता-समायोजित जीवन वर्षों द्वारा मापा जाता है) उच्च आय वाले देशों में सीओपीडी के 70 फीसदी से अधिक मामलों के लिए तम्बाकू धूम्रपान जिम्मेदार है। एलएमआईसी में सीओपीडी के 30 से 40 फीसदी मामले तम्बाकू धूम्रपान के कारण होते हैं और घरेलू वायु प्रदूषण इसका एक प्रमुख खतरा है।