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स्वास्थ्य

बड़ी पहल: विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्यों ने महामारी संधि के प्रस्ताव को दिया अंतिम रूप

इस प्रस्ताव को मई में होने वाली वर्ल्ड हेल्थ असेंबली की 78वीं बैठक के दौरान पेश किया जाएगा

DTE Staff, Lalit Maurya

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सदस्य देशों ने वैश्विक महामारी संधि (वर्ल्ड पैंडेमिक ट्रीटी) के प्रस्ताव को अंतिम रूप दे दिया है। यह ऐतिहासिक प्रस्ताव अब 19 मई 2025 को होने वाली वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में पेश किया जाएगा। यह जानकारी डब्ल्यूएचओ की ओर से एक आधिकारिक बयान में दी गई है।

इस संधि के मसौदे को अंतर-सरकारी वार्ता निकाय (आईएनबी) द्वारा अंतिम रूप दिया गया है। गौरतलब है कि आईएनबी को दिसंबर 2021 में महामारी की रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया को मजबूत बनाने के लिए गठित किया गया था। आईएनबी का काम अंतरराष्ट्रीय समझौते या संधि का मसौदा तैयार करना और उस पर बातचीत करना है।

इस प्रस्ताव को तैयार करने में 13 औपचारिक बैठकों का सहारा लिया गया, जिनमें से नौ बैठकों को निर्धारित समय से अधिक बढ़ाना पड़ा। इसके अलावा, संधि समझौते से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर समय-समय पर अनौपचारिक और कई स्तरों पर चर्चाएं हुईं। अब यह प्रस्ताव 78वीं वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में विचार के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयेसस ने कहा, "आज देशों ने जिनेवा में इतिहास रच दिया है। महामारी समझौते पर आम सहमति बनाकर देशों ने यह दिखा दिया है कि वैश्विक सहयोग आज भी जिन्दा है।"

उनके मुताबिक महामारी समझौते पर सहमति बनाकर देशों ने न सिर्फ आने वाली पीढ़ियों की सुरक्षा के लिए एक ऐतिहासिक संधि की नींव रखी है, बल्कि यह भी साबित कर दिया है कि वैश्विक सहयोग आज भी जीवित है और प्रभावी है। इस बंटी हुई दुनिया में भी देश आपसी मतभेदों को किनारे रखकर साझा चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए एकजुट हो सकते हैं, यह पूरी दुनिया के लिए एक आशा भरा संदेश है।

उन्होंने आगे कहा, "मैं डब्ल्यूएचओ के सदस्य देशों और वार्ता टीमों का उनकी दूरदर्शिता, प्रतिबद्धता और अथक परिश्रम के लिए धन्यवाद करता हूं। हमें उम्मीद है कि वर्ल्ड हेल्थ असेंबली इस समझौते पर विचार करने के साथ-साथ स्वीकार भी करेगी।"

किन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर दिया गया है ध्यान

आईएनबी द्वारा तैयार इस प्रस्ताव में कई अहम बिंदुओं को शामिल किया गया है।

  • रोगजनकों तक पहुंच और लाभ साझा करने के लिए एक वैश्विक व्यवस्था तैयार करना।

  • वन हेल्थ अप्रोच के जरिए महामारी की रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाना।

  • दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अनुसंधान और विकास की क्षमताएं बढ़ाना।

  • महामारी से जुड़ी स्वास्थ्य सेवाओं और उत्पादों के लिए तकनीक, ज्ञान और विशेषज्ञता का आदान-प्रदान आसान बनाना।

  • राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की एक बहु-क्षेत्रीय आपातकालीन टीम तैयार करना।

  • एक वित्तीय सहयोग तंत्र स्थापित करना।

  • स्वास्थ्य प्रणालियों की तैयारी, क्षमता और मजबूती को बढ़ाना।

  • और एक वैश्विक आपूर्ति और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क स्थापित करना, ताकि संकट के समय जरूरी मदद समय पर पहुंच सकें।

डब्ल्यूएचओ ने अपने बयान में यह भी कहा है कि यह प्रस्ताव देशों की संप्रभुता का सम्मान करता है। यानी, सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े मामलों में हर देश को अपनी सीमा के अंदर फैसले लेने का पूरा अधिकार होगा।

मसौदे में साफ किया गया है कि इससे डब्ल्यूएचओ को किसी देश के कानून या नीतियों को बदलने, आदेश देने या किसी विशेष कदम जैसे यात्रियों पर रोक लगाने, वैक्सीनेशन अनिवार्य करने, इलाज या जांच से जुड़े नियम लागू करने या लॉकडाउन लगाने का कोई अधिकार नहीं होगा।

ऐसे में अब सबकी निगाहें 19 मई को होने वाली वर्ल्ड हेल्थ असेंबली पर टिकी हैं, जहां इस ऐतिहासिक प्रस्ताव पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।