दुनिया के 27 देश अब तक ट्रेकोमा से उबर चुके हैं; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक 
स्वास्थ्य

ट्रेकोमा: मिस्र ने 3,000 साल पुरानी आंखों की इस बीमारी को जड़ से किया खत्म

इसके साथ ही मिस्र ट्रेकोमा से आजादी पाने वाला पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र का सातवां देश बन गया है

Lalit Maurya

  • मिस्र ने 3,000 साल पुरानी आंखों की बीमारी ट्रेकोमा को जड़ से खत्म कर इतिहास रच दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसकी आधिकारिक पुष्टि की है।

  • इस उपलब्धि के साथ मिस्र पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र का सातवां और दुनिया का 27वां देश बन गया है जिसने ट्रेकोमा से मुक्ति पाई है।

  • यह बीमारी क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस नामक बैक्टीरिया से फैलती है और लंबे समय तक संक्रमण रहने पर अंधेपन का कारण बनती है।

  • कभी मिस्र में यह बीमारी बच्चों की आंखों की रोशनी छीन लेती थी।

  • मिस्र की इस सफलता के बावजूद, ट्रेकोमा अभी भी दुनिया के 30 देशों में सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या बना हुआ है। यह बीमारी करीब 19 लाख लोगों में अंधेपन या दृष्टि दोष का कारण है। ट्रेकोमा से हुआ अंधापन अक्सर वापस नहीं सुधरता।

तीन हजार साल पुरानी बीमारी, जिसने कभी मिस्र में बच्चों की आंखों की रोशनी छीन ली थी, अब इतिहास बन चुकी है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने घोषणा की है कि मिस्र ने ट्रेकोमा, यानी अंधेपन का कारण बनने वाली इस बीमारी, को सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में पूरी तरह जड़ से मिटा दिया है, मिस्र की यह वह जीत है, जिसका इन्तजार सदियों से था।

यह उपलब्धि न केवल मिस्र के लिए, बल्कि पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र के लिए भी ऐतिहासिक है, क्योंकि इसके साथ ही मिस्र इस क्षेत्र का सातवां ऐसा देश बन गया है, जिसने यह सफलता हासिल की है। वहीं वैश्विक स्तर पर देखें तो मिस्र, दुनिया का 27वां देश है, जिसने यह उपलब्धि हासिल की है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रोस एडनोम घेब्रेयसस ने मिस्र को बधाई देते हुए प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "ट्रेकोमा से अपने लोगों को मुक्त कर देश ने बड़ी सफलता हासिल की है। यह दिखाता है कि मजबूत नेतृत्व, सतर्क निगरानी और समुदाय की भागीदारी से सदियों पुरानी बीमारियों को भी खत्म किया जा सकता है।“

क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस से फैलती है यह बीमारी

गौरतलब है कि ट्रेकोमा बैक्टीरिया से फैलने वाली संक्रामक बीमारी है, जो आंखों को प्रभावित करती है। इसके लिए क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस नामक बैक्टीरिया जिम्मेवार होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक यह ऐसा रोग है जो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने, गंदी सतहों को छूने या आंख-नाक के रिसाव से सनी मक्खियों के जरिए फैलती है।

इसमें बार-बार संक्रमण होने पर पलकें अंदर की ओर मुड़ जाती हैं, जिससे आंखों में चोट लगती है और धीरे-धीरे आंखों को रौशनी जाने का खतरा बढ़ जाता है।

कभी मिस्र में बच्चों को अंधा कर देती थी यह बीमारी 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक मिस्र की इस सफलता के बावजूद, ट्रेकोमा अभी भी दुनिया के 30 देशों में सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या बना हुआ है। यह बीमारी करीब 19 लाख लोगों में अंधेपन या दृष्टि दोष का कारण है। ट्रेकोमा से हुआ अंधापन अक्सर वापस नहीं सुधरता।

अप्रैल 2025 के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया में करीब 10.3 करोड़ लोग ऐसे क्षेत्रों में रह रहे हैं जहां ट्रेकोमा का खतरा बना हुआ है।

मिस्र में तीन हजार साल से भी ज्यादा पुराना है ट्रेकोमा का इतिहास

इस बारे में साझा रिपोर्ट के मुताबिक मिस्र में कभी यह बीमारी बेहद आम थी, नील नदी के डेल्टा की आधी से ज्यादा आबादी इससे प्रभावित थी और कई लोग इससे स्थाई रूप से अंधे हो जाते थे। दरअसल, ट्रेकोमा का इतिहास मिस्र में 3,000 साल पुराना है।

20वीं सदी की शुरुआत में ब्रिटिश नेत्र विशेषज्ञ आर्थर मैककैलन ने मिस्र में पहला मोबाइल और स्थाई नेत्र अस्पताल खोला था, जिससे इस बीमारी के खिलाफ वैश्विक अभियान की नींव रखी गई। फिर भी, 1980 के दशक तक यह बीमारी कई वयस्कों को अंधा बना रही थी और नील नदी के डेल्टा के कुछ इलाकों में आधे से ज्यादा बच्चे इससे प्रभावित थे।

कैसे मिली सफलता

2002 से मिस्र के स्वास्थ्य मंत्रालय ने डब्ल्यूएचओ और कई साझेदार संगठनों के साथ मिलकर ट्रेकोमा को मिटाने का अभियान चलाया। इसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन की 'सेफ' रणनीति अपनाई, जिसमें सर्जरी, एंटीबायोटिक, चेहरे की सफाई और पर्यावरण में सुधार (साफ पानी और स्वच्छता) शामिल थे।

2015 से 2025 के बीच देश के सभी 27 प्रांतों में किए सर्वेक्षणों में पाया गया कि एक से 9 साल के बच्चों में संक्रमण लगातार घटा है और वयस्कों में अंधेपन के गंभीर मामले अब करीब-करीब समाप्त हो चुके हैं। 2024 में मिस्र ने ट्रेकोमा निगरानी को अपने राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य तंत्र में भी जोड़ दिया, जिससे किसी भी नए मामले पर तुरंत कार्रवाई की जा सकेगी।

‘हया करीमा’ जैसी योजनाओं ने निभाई बड़ी भूमिका

मिस्र के स्वास्थ्य मंत्री प्रोफेसर डॉक्टर खालिद अब्देल गफ्फार का इस बारे में कहना है, “ट्रेकोमा को खत्म करना मिस्र की समान और सुलभ स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति लगातार प्रतिबद्धता को दर्शाता है। ‘हया करीमा’ जैसी योजनाओं ने गांवों में साफ पानी, स्वच्छता और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाकर बड़ा बदलाव लाया है।"

"यह सफलता मिस्र के स्वास्थ्यकर्मियों, समुदायों और साझेदार संगठनों की साझी जीत है, जिन्होंने मिलकर इस प्राचीन बीमारी को मिटाने में अहम भूमिका निभाई है।”

मिस्र ने इससे पहले 2018 में फाइलेरिया को भी जड़ से खत्म किया था। वहीं अब ट्रेकोमा के साथ यह देश दो उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों पर विजय पाने वाला देश बन गया है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार अब तक 58 देशों ने कम से कम एक उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग को खत्म किया है।