यदि आप भी धूम्रपान की लत का शिकार हैं, तो यह शौक आगे चलकर आपके लिए महंगा पड़ सकता है। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) से जुड़े शोधकर्ताओं ने अपने नए अध्ययन में खुलासा किया है कि धूम्रपान के कारण उम्र बढ़ने के साथ सोचने, समझने, सीखने, याद रखने और निर्णय लेने जैसी दिमागी क्षमता में तेजी से गिरावट आ सकती है।
अब सवाल यह है कि यह लत आगे चलकर किस हद तक हमारी दिमागी क्षमता को नुकसान पहुंचा सकती है? अध्ययन के मुताबिक धूम्रपान न करने वालों की तुलना में इसकी लत का शिकार हो चुके लोगों को अपनी याददाश्त, सोचने-समझने, बोलने, सीखने और निर्णय लेने जैसे दिमागी कौशल में 85 फीसदी से अधिक की गिरावट का सामना करना पड़ सकता है।
गौरतलब है कि जर्नल नेचर कम्युनिकेशन्स में प्रकाशित अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने शारीरिक गतिविधि, धूम्रपान, शराब का सेवन और सामाजिक मेलजोल जैसे जीवनशैली से जुड़े 16 कारकों का विश्लेषण किया है। साथ ही यह जांच की है कि यह कारक किस तरह उम्र बढ़ने के साथ संज्ञानात्मक गिरावट को किस हद तक प्रभावित कर सकते हैं।
इस विश्लेषण के नतीजे दर्शाते हैं कि उम्र के साथ संज्ञानात्मक क्षमताओं में तेजी से गिरावट आने में धूम्रपान सबसे महत्वपूर्ण कारक हो सकता है। अध्ययन के दौरान शोधकर्तओं ने 14 यूरोपीय देशों के 50 या उससे अधिक आयु के 32,000 वयस्कों से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण किया है। इन सभी ने 10 वर्षों के दौरान हुए विभिन्न सर्वेक्षणों में भाग लिया था। यह सभी आंकड़े इंग्लिश लॉन्गीट्यूडिनल स्टडी ऑफ एजिंग और सर्वे ऑफ हेल्थ, एजिंग एंड रिटायरमेंट इन यूरोप की मदद से जुटाए गए थे।
अध्ययन के दौरान यह जांचा गया कि यह कितनी अच्छी तरह से चीजों को याद रख सकते हैं, उनके सोचने समझने की क्षमता कैसे और और वो कितनी अच्छी तरह से बात कर सकते हैं। फिर, उनकी आदतों के आधार पर उन्हें इस आधार पर समूहों में बांटा गया कि क्या वे धूम्रपान करते थे या नहीं, सप्ताह में कम से कम एक बार व्यायाम करते थे, हर सप्ताह दोस्तों और परिवार से मिलते थे, और पुरुषों एवं महिलाएं दिन में कितनी बार ड्रिंक करते थे।
दुनिया में जैसे-जैसे बुजुर्ग आबादी बढ़ रही है उसके साथ ही मनोभ्रंश (डिमेंशिया) जैसी न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार एक बड़ी समस्या बनते जा रहे हैं। अल्जाइमर रोग मनोभ्रंश का सबसे आम प्रकार है, जिसकी वजह से धीरे-धीरे याददाश्त और सोचने-समझने की क्षमता में गिरावट आ जाती है। हालांकि जब तक इसके लक्षण सामने आते हैं तब तक बहुत देर हो चुकी होती है, क्योंकि इसके लक्षण प्रकट होने से दशकों पहले मस्तिष्क में बदलाव आना शुरू हो जाते हैं।
धूम्रपान करने वालों के लिए फायदेमंद हो सकता है नियमित व्यायाम और सामाजिक मेलजोल
देखा जाए तो हमारी जीवनशैली और आदते जैसे धूम्रपान, शराब पीना, व्यायाम करना और सामाजिक मेलजोल जैसे कारक इस बात को प्रभावित कर सकते हैं कि उम्र बढ़ने के साथ हमारी सोच, समझ कौशल के साथ अभिव्यक्त करने की क्षमता कितनी तेजी से बदलती है। इतना ही नहीं मनोभ्रंश का जोखिम कितना है।
ये सभी मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन वे एक साथ मिलकर भी काम कर सकते हैं। ऐसे में जो लोग स्वस्थ जीवनशैली और आदतों को अपनाते हैं उनमें इन बीमारियों और विकारों का जोखिम भी कम होता है।
रिसर्च के अनुसार धूम्रपान करने वाले लोगों में जो कम सामाजिक मेलजोल रखना पसंद करते हैं, वे इससे सबसे अधिक प्रभावित पाए गए। 10 वर्षों में उनकी संज्ञानात्मक क्षमता में 50 फीसदी तक की गिरावट देखी गई।
हालांकि वहीं दूसरी तरफ जो लोग धूम्रपान करने के साथ नियमित रूप से व्यायाम करते थे, संयमित मात्रा में शराब पीते थे, और अक्सर सामाजिक मेलजोल रखते थे। उन लोगों में धूम्रपान न करने वालों के समान संज्ञानात्मक गिरावट देखी गई।
अध्ययन से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर मिकाएला ब्लूमबर्ग ने प्रेस विज्ञप्ति के हवाले से कहा है कि, “यह अध्ययन अवलोकन पर आधारित है, ऐसे में यह कारणों और प्रभाव को स्थापित नहीं करता, लेकिन यह सुझाव देता है कि धूम्रपान उम्र बढ़ने के साथ संज्ञानात्मक क्षमताओं में तेजी से गिरावट का एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है।“ उनके मुताबिक पिछले शोधों से पता चला है कि जिन लोगों की आदतें स्वास्थ्य के लिहाज से अच्छी होती हैं, उनमें संज्ञानात्मक गिरावट की दर धीमी होती है।
उनका आगे कहना है कि, “निष्कर्षों से पता चलता है कि जिन स्वस्थ व्यवहारों की हमने जांच की है, उनमें धूम्रपान न करना संज्ञानात्मक क्षमता को बनाए रखने के मामले में सबसे महत्वपूर्ण हो सकता है।“
उनके मुताबिक ऐसे में जो लोग धूम्रपान नहीं छोड़ सकते, निष्कर्ष दर्शाते हैं कि वो नियमित व्यायाम, सीमित मात्रा में शराब पीना और दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताने जैसे स्वस्थ व्यवहारों की मदद से धूम्रपान के सोचने समझने और मानसिक क्षमता पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को सीमित कर सकते हैं।
एक अन्य अध्ययन के हवाले से पता चला है कि धूम्रपान से मस्तिष्क सिकुड़ सकता है। इस रिसर्च के मुताबिक धूम्रपान की यह लत दिमाग को समय से पहले बूढ़ा बना सकती है। शोधकर्ताओं के मुताबिक धूम्रपान मस्तिष्क की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तेज कर देता है।
जर्नल एनईजेएम एविडेंस में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में धूम्रपान छोड़ने के फायदों पर प्रकाश डालते हुए लिखा है कि इसे किसी भी उम्र में छोड़ा जा सकता है और इसके फायदे हर उम्र में सामने आते हैं। इस अध्ययन के मुताबिक जो लोग 40 की उम्र से पहले धूम्रपान छोड़ देते हैं, उनके जीवित रहने की सम्भावना करीब-करीब उन लोगों जितनी ही होती है, जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया। शोधकर्ताओं के मुताबिक धूम्रपान छोड़ने के फायदे तीन वर्षों के बाद ही दिखने लगता है।
इसी तरह जो लोग किसी भी उम्र में धूम्रपान छोड़ते हैं, तो अगले दस वर्षों बाद उनकी जीवन प्रत्याशा करीब-करीब उन लोगों के बराबर हो जाती है, जिन्होंने कभी भी धूम्रपान नहीं किया। इसका करीब आधा फायदा धूम्रपान छोड़ने के तीन वर्षों के बाद ही दिखने लगता है।