कोझिकोड में 'प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस' के बढ़ते मामलों पर एनजीटी ने गंभीर रुख अपनाया है।
सीपीसीबी और केरल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जवाब मांगा गया है।
कुएं का पानी संक्रमण का संभावित स्रोत माना जा रहा है। अब तक तीन लोग प्रभावित हुए हैं, जिनमें एक शिशु की हालत नाज़ुक है।
केरल के कोझिकोड में जानलेवा बीमारी 'प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस' (पीएएम) के बढ़ते मामलों को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गंभीर रुख अपनाया है। 2 सितंबर 2025 को ट्रिब्यूनल ने इस मामले में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और केरल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जवाब मांगा है।
इसके साथ ही अदालत ने केरल स्वास्थ्य सेवा निदेशालय और कोझिकोड के जिलाधिकारी को भी एनजीटी की दक्षिणी बेंच के सामने जल्द से जल्द अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
मामला उस समय सामने आया जब अंग्रेजी अखबार द हिंदू में 22 अगस्त 2025 को इस बारे में एक खबर प्रकाशित हुई। खबर में आशंका जताई गई थी कि कुएं का पानी इस संक्रमण का संभावित स्रोत हो सकता है। खबर के मुताबिक अब तक तीन लोग 'प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस' से पीड़ित हैं, जिनमें एक 3 महीने का शिशु और 11 साल की बच्ची भी शामिल हैं।
शिशु की हालत बेहद नाज़ुक बताई जा रही है। इससे पहले केरल में 9 साल की एक बच्ची की इस संक्रमण से मौत हो चुकी है, और उसकी दो बहनों को बुखार जैसे लक्षणों के चलते निगरानी में रखा गया है। अगस्त के महीने में इस बीमारी से मरने वालों की संख्या तीन हो चुकी है।
स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना है कि कुएं का पानी इस खतरनाक संक्रमण का स्रोत हो सकता है, हालांकि तालाब के पानी की भी जांच की जा रही है। जब तक कोई अन्य स्रोत सामने नहीं आता, तब तक शक की सुई कुएं के पानी पर ही टिकी हुई है।
क्या है अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस?
ऐसे में स्थिति की गंभीरता को देखते हुए एनजीटी ने सभी संबंधित एजेंसियों से स्पष्ट और समयबद्ध रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है, ताकि संक्रमण के स्रोत का पता लगाकर जल्द से जल्द प्रभावी कदम उठाए जा सकें।
गौरतलब है कि अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस का एक गंभीर दिमागी संक्रमण है। यह बेहद कम लोगों को शिकार बनाता है, लेकिन अक्सर इसके मामले जानलेवा साबित होते हैं।
यह बीमारी नेग्लेरिया फाउलेरी के कारण होती है, जिसे आमतौर पर 'ब्रेन ईटिंग अमीबा' कहा जाता है। यह रोगाणु गर्म मीठे पानी में पनपता है। यह अमीबा नाक या कान के पर्दों के जरिए शरीर में प्रवेश कर जाता है और चुपचाप मस्तिष्क तक पहुंचकर बहुत तेजी से दिमाग के ऊतकों को नष्ट करने लगता है। स्वास्थ्य विभाग ने पुष्टि की है कि 'नेग्लेरिया फाउलेरी' की मौजूदगी 3 महीने के शिशु के घर में स्थित एक कुएं में पाई गई है।
मीडिया में छपी खबरों से पता चला है कि इस साल केरल में बीमारी के कुल 42 मामले सामने आए हैं। बार-बार सामने आ रहे मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने कोझिकोड, वायनाड और मलप्पुरम जिलों में कुओं और टैंकों का क्लोरीनीकरण शुरू कर दिया है। साथ ही नए मामलों को रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं।