राष्ट्रीय डेंगू दिवस 2025 का उद्देश्य डेंगू बुखार से लड़ने के लिए निवारक कार्रवाई करने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स
स्वास्थ्य

राष्ट्रीय डेंगू दिवस: कैसे फैलता है डेंगू, जानें बचाव के उपाय और सब कुछ

राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीवीबीडीसी) के मुताबिक, भारत में मार्च 2025 तक डेंगू के 12,043 मामले सामने आ चुके हैं और छह लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।

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हर साल 16 मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया जाता है ताकि इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाई जा सके और इसकी रोकथाम के उपाय बताए जा सकें। मॉनसून के मौसम में जगह-जगह पानी जमा हो जाता है और मच्छरों के बढ़ते प्रजनन के कारण मामलों में अक्सर वृद्धि होने हो जाती है। इस दौरान रोग के फैलने को नियंत्रित करने के लिए शीघ्र रोकथाम, सार्वजनिक भागीदारी और समय पर चिकित्सा देखभाल की जरूरत पड़ती है।

राष्ट्रीय डेंगू दिवस 2025 का उद्देश्य डेंगू बुखार से लड़ने के लिए निवारक कार्रवाई करने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

क्या है डेंगू ?

डेंगू मच्छरों से होने वाला संक्रामक संक्रमण है। यह संक्रमित "एडीज" मच्छर के काटने से डेंगू बुखार पैदा करने वाला वायरस फैल सकता है। यह मच्छरों से मनुष्यों में फैलता है और उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अधिक आम है। तेज बुखार, सिरदर्द, शरीर में दर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, मतली और दाने डेंगू के सामान्य लक्षण हैं।

डेंगू वायरस के चार प्रकार हैं: डीईएनवी-1, डीईएनवी-2, डीईएनवी-3 और डीईएनवी-4। एक ही व्यक्ति संक्रामक बीमारी के इन चरणों में से किसी से भी संक्रमित हो सकता है। डेंगू का निदान प्रयोगशाला परीक्षणों और रक्त के नमूनों, जैसे कि एनएस1 एंटीजन टेस्ट या पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) के माध्यम से किया जाता है। डेंगू के लिए कोई विशिष्ट एंटीवायरल उपचार नहीं है। उपचार सहायक देखभाल, आराम, तरल पदार्थ और दर्द से राहत पर केंद्रित है।

हालांकि डेंगू से पीड़ित अधिकांश लोग एक से दो सप्ताह में ठीक हो जाते हैं। हालांकि गंभीर मामलों में, डेंगू जानलेवा भी हो सकता है। मच्छरों के काटने से बचना डेंगू के प्रसार को नियंत्रित करने का सबसे प्रभावी तरीका है।

आमतौर पर ये मच्छर दिन भर काटते हैं। क्योंकि रोकथाम उपचार से बेहतर है, इसलिए डेंगू के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।

राष्ट्रीय डेंगू दिवस के इतिहास की बात करें तो डेंगू के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए, स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2010 में 16 मई को 'राष्ट्रीय डेंगू दिवस' के रूप में नामित किया। जब मॉनसून से पहले और मानसून के मौसम में डेंगू के मामले बढ़े, तो सरकार को हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, डेंगू महामारी के मौसमी पैटर्न होते हैं, जिसमें संक्रमण अक्सर बरसात के मौसम के दौरान और उसके बाद चरम पर होता है। इस वृद्धि में योगदान देने वाले कई कारण हैं और उनमें मच्छरों की बहुत ज्यादा आबादी का स्तर, परिसंचारी सीरोटाइप के प्रति संवेदनशीलता, अनुकूल वायु तापमान, बारिश और नमी शामिल हैं, जो सभी मच्छरों की आबादी के प्रजनन और भोजन पैटर्न को प्रभावित करते हैं, साथ ही डेंगू वायरस के गर्मी की अवधि को भी प्रभावित करते हैं।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, दुनिया की लगभग आधी आबादी अब डेंगू के खतरे में है, तथा अनुमान है कि हर साल 10 से 40 करोड़ लोग डेंगू से संक्रमित होते हैं।

वहीं भारत में डेंगू की बात करें तो, राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीवीबीडीसी) के मुताबिक, भारत में मार्च 2025 तक डेंगू के 12,043 मामले सामने आ चुके हैं और छह लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।

डेंगू रोग से बचाव के क्या है उपाय?

घर और आस-पास के इलाकों को साफ रखना चाहिए, पानी के सभी भंडारण कंटेनरों को उचित ढक्कन से ढका जाना चाहिए।

घर में कहीं भी पानी जमा नहीं होने देना चाहिए, बारिश के मौसम में ऐसे कपड़े पहनें चाहिए जो हाथ और पैर को ढक सकें।

अगर संभव हो या घर में मच्छर हैं तो मच्छरदानी का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। डब्ल्यूएचओ के अनुसार मच्छर भगाने वाले (डीईईटी, पिकारिडिन या आईआर3535 युक्त), कॉइल और वेपोराइजर का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।