एक नए अध्ययन ने चीन में पोल्ट्री में फैलने होने वाले एच9एन2 एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस (एआईवी) के बीच अहम आनुवंशिक और एंटीजेनिक विविधता को उजागर किया है, जो एच9एन2 एआईवी द्वारा उत्पन्न स्वास्थ्य को बढ़ते खतरे को सामने लाता है।
हालांकि एच9एन2 जिसे पहली बार 1994 में चीन में पहचाना गया था, जिससे निपटने के लिए टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किए गए, यह पोल्ट्री में प्रमुख उप-प्रकार बना हुआ है। हाल के सालों में मनुष्य में संक्रमण के बढ़ते मामलों के साथ-साथ इसकी निरंतरता स्वास्थ्य के लिए एक बढ़ती हुई चिंता बन गई है।
इससे पहले वायरस के क्रॉस-स्पीशीज ट्रांसमिशन और जूनोटिक क्षमता का आणविक आधार काफी हद तक अस्पष्ट था। हालांकि अब, चीनी अकादमी ऑफ साइंसेज के माइक्रोबायोलॉजी संस्थान के शोधकर्ताओं ने मिलकर वायरस के आनुवंशिक विकास, एंटीजनिक बदलाव और अनुकूली म्युटेशन (उत्परिवर्तनों) की गहन जांच की है।
नेचर माइक्रोबायोलॉजी में प्रकाशित शोध के निष्कर्ष स्तनधारी अनुकूलन और मनुष्य में एमएक्सए जीन-मध्यस्थ जन्मजात प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं से बचने के लिए वायरस के आणविक तंत्र के बारे में जरूरी जानकारी प्रदान करते हैं।
साल 2014 से शोधकर्ताओं ने चीन में एआईवी की निरंतर निगरानी और शुरुआती चेतावनी देने और एआईवी के क्रॉस-स्पीशीज ट्रांसमिशन तंत्र का अध्ययन करने के लिए इन्फ्लूएंजा अनुसंधान और शुरुआती चेतावनी केंद्र की स्थापना की है। 2019 से 2023 तक पोल्ट्री बाजारों में निगरानी से पता चला कि एच9एन2 एआईवी की ए /चिकन/बीजिंग/1/94 (बीजे94) वंशावली लगातार पोल्ट्री में हावी रही है।
इसके विकास को बेहतर ढंग से समझने के लिए, शोधकर्ताओं ने आनुवंशिक दूरी और फायलोजेनेटिक संबंधों के आधार पर बीजे94 वायरस के लिए एक नया क्लेड वर्गीकरण प्रणाली विकसित की। उन्होंने दुनिया भर के शोधकर्ताओं को एच9 एआईवी के विकास पर नजर रखने और उसका अध्ययन करने के लिए एक ऑनलाइन वर्गीकरण मंच भी जारी किया।
इस ढांचे का उपयोग करते हुए, उन्होंने वर्तमान में पोल्ट्री के बीच सह-परिसंचारी दस हेमाग्लगुटिनिन (एचए) उप-उप-क्लैड की पहचान की, जिनमें से प्रत्येक में अलग-अलग एंटीजनिक भिन्नताएं दिखाई देती हैं। ये अंतर बता सकते हैं कि मौजूदा टीके एच9एन2 एआईवी की महामारी को रोकने में असफल क्यों रहे।
इसके अलाव शोधकर्ताओं ने स्तनधारियों में बढ़ती संक्रामकता और रोगजनकता से जुड़े प्रमुख म्युटेशन का बढ़ता प्रचलन पाया। 2021 से 2023 के बीच, एच9एन2 आइसोलेट्स में से 99.46 फीसदी में मानव रिसेप्टर बाइंडिंग से जुड़ा एचए-एल226 म्युटेशन था। 96.17 फीसदी में मानव एमएक्सए एंटीवायरल प्रोटीन के प्रतिरोध से जुड़ा एनपी-एन52 म्युटेशन था। 32.61 फीसदी में पीबी2-वी627 म्युटेशन था जो मनुष्य की कोशिकाओं में पॉलीमरेज की गतिविधि को बढ़ाने के लिए जाना जाता है।
प्रयोगों से पता चला कि इन उत्परिवर्तनों को आश्रय देने वाले स्ट्रेन अधिकतर मानव-प्रकार के रिसेप्टर्स से बंधे होते हैं, मानव कोशिकाओं में आसानी से अपने आप को दोहराते हैं और गिनी पिग और फेरेट्स में सीधे संपर्क और एरोसोल के फैलने में सफल होते हैं, जो जूनोटिक क्षमता के प्रमुख संकेत हैं।
ये परिणाम एच9एन2 एआईवी के बढ़ते जूनोटिक खतरों को सामने लाते हैं। यह अध्ययन सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एच9एन2 के बढ़ते खतरे को कम करने के लिए बेहतर निगरानी, अपडेटेड वैक्सीन रणनीतियों और एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस के विकास की गहन समझ की तत्काल जरूरत को सामने लाता है।