भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के शोधकर्ताओं ने पाया है कि एच5एन1 बर्ड फ्लू वायरस का 2.3.4.4बी क्लेड ऐसे म्यूटेशन विकसित कर रहा है जो इसे मनुष्यों के लिए अधिक खतरनाक बना सकते हैं। यह क्लेड पहले ही कई स्तनधारी प्रजातियों को संक्रमित कर चुका है और अब मानव संक्रमण की दिशा में अनुकूल हो रहा है।
शोध में पाया गया कि लोमड़ी जैसे जानवरों में वायरस के ऐसे वेरिएंट मिल रहे हैं जिनमें मवेशियों के मुकाबले मनुष्यों में संक्रमण के आसार अधिक हैं। विशेषज्ञों ने महामारी जैसे खतरे से बचाव के लिए उन्नत निगरानी और रोकथाम उपाय अपनाने की सिफारिश की है।
आईआईएससी के शोधकर्ताओं ने पाया है कि एच5एन1 (बर्ड फ्लू) वायरस अपने विशिष्ट म्युटेशन या उत्परिवर्तनों के कारण मनुष्यों के लिए एक खतरा बन सकता है। शोधकर्ताओं ने एच5एन1 वायरस के संक्रमण के विरुद्ध उन्नत और सक्रिय निगरानी उपायों को लागू करने का सुझाव दिया है।
शोध में कहा गया है कि वर्तमान में प्रचलित एच5एन1 के 2.3.4.4बी क्लेड (एक सामान्य पूर्वज वाले जीवों के समूह से संबंधित है) के जीनोम में विशेष उत्परिवर्तन हैं जो इसकी मनुष्य के अनुकूल होने की क्षमता को बढ़ाते हैं।
शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि यह क्लेड उन्हीं प्रमुख उत्परिवर्तनों को हासिल कर रहा है जो महामारी मानव इन्फ्लूएंजा के प्रकारों में पाए जाते हैं, जो एक बहुत भारी खतरा हो सकता है।
शोधकर्ता उन जानवरों की भी पहचान करने में सफल रहे जिनमें सबसे अधिक मनुष्य के अनुकूलन होने की क्षमता वाले वायरस वेरिएंट या उपभेदों के आसार हैं। दिलचस्प बात यह है कि लोमड़ी के अनुकूल होने वाले वायरसों में मवेशियों के अनुकूल उपभेदों की तुलना में अधिक अनुकूल होने की क्षमता पाई गई।
एच5एन1 इन्फ्लूएंजा (बर्ड फ्लू) वायरस की पहचान तीन दशक पहले पक्षियों में हुई थी और अब यह धीरे-धीरे इंसानों तक पहुंच रहा है। एच5एन1 इन्फ्लूएंजा वायरस का एक प्रकार है जिसमें टाइप 5 हीमाग्लगुटिनिन (एच5) और टाइप 1 न्यूरामिनिडेस (एन1) सतही प्रोटीन होते हैं, जो वायरस के प्रवेश और प्रसार में मदद करते हैं।
शोध में कहा गया है कि 2.3.4.4बी क्लेड ने कई स्तनधारी प्रजातियों को संक्रमित किया है और स्तनधारियों के अनुकूल हो रह है, जो मनुष्य के अनुकूल हो सकता है जो एक चिंता का विषय है। यह क्लेड पैनज़ूटिक (सभी प्रजातियों को संक्रमित करने वाला) है, जिससे पक्षियों और स्तनधारियों में बहुत ज्यादा मृत्यु दर के साथ-साथ कई मनुष्य संक्रमण भी हुए हैं।
जब इन्फ्लूएंजा वायरस किसी नए जीव में प्रवेश करता है, तो उसमें आनुवंशिक उत्परिवर्तन विकसित हो सकते हैं। इससे वायरस को नए पोषक के अनुकूल होने में मदद मिलती है। शोधकर्ता यह पता लगाने की कोशिश कर रहे थे कि क्या 2.3.4.4बी क्लेड अपने प्रोटीन में ऐसे बड़े अनुकूलन विकसित कर रहा है जो उसे मनुष्यों को संक्रमित करने में सक्षम बनाते हैं। वे यह भी जानना चाहते थे कि कौन से पोषक जानवर इस अनुकूल होने को तेज कर सकते हैं, जिससे वायरस को विकासवादी सीढ़ी पर चढ़ने में मदद मिल सके।
शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि उन्होंने कम्प्यूटेशनल नजरिया अपनाया और पक्षियों में पाए जाने वाले 2.3.4.4बी एच5एन1 के 7,000 प्रोटीन अनुक्रमों, गैर-मानव स्तनधारियों के 820 अनुक्रमों और 35,000 मानव एच1एन1 और एच3इन 2 अनुक्रमों का विश्लेषण किया ताकि यह पता लगाया जा सके कि कौन से अमीनो एसिड चयन दबाव में हैं जो तेजी से बदल रहा है। यह शोध
शोधकर्ताओं ने अनेक अनुक्रम संरेखण (एक उपकरण जो कई प्रोटीनों में समान क्षेत्रों की पहचान करता है) का उपयोग किया, फाईलोजेनेटिक श्रेणी का निर्माण किया (जो दर्शाते हैं कि समय के साथ प्रजातियां अपने सामान्य पूर्वज से कैसे अलग हो गई), स्तनधारियों और मनुष्यों को संक्रमित करने वाले एच5एन1 के सभी प्रोटीनों में विशिष्ट विविधताओं की सटीकता से पहचान की।
शोध में कहा गया है कि शोधकर्ताओं को विशेष रूप से वायरल पॉलीमरेज कॉम्प्लेक्स (पीए, पीबी2), न्यूक्लियोप्रोटीन और हीमाग्लगुटिनिन (एचए) प्रोटीन में उत्परिवर्तनों की संख्या में बढ़ोतरी दिखाई दी। इन उत्परिवर्तनों की पहचान करने के बाद, शोधकर्ताओं ने उन्हें इस आधार पर वर्गीकृत किया कि क्या ये उत्परिवर्तन वायरस को मनुष्य के बिना स्तनधारियों से मनुष्यों में फैलने में मदद कर सकते हैं। यह शोध एएसएम नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
शोध के मुख्य बिंदु
वायरस का क्लेड: 2.3.4.4बी क्लेड में ऐसे म्यूटेशन पाए गए जो इसे मनुष्यों के लिए अधिक खतरनाक बना सकते हैं।
म्यूटेशन की प्रकृति: ये बदलाव महामारी जैसे मानव इन्फ्लूएंजा वायरस में देखे जाने वाले प्रमुख म्यूटेशन से मेल खाते हैं।
संक्रमण का दायरा: वायरस कई स्तनधारी प्रजातियों में फैल चुका है और मानव अनुकूलन की ओर बढ़ रहा है।
लोमड़ी बनाम मवेशी: लोमड़ी में पाए गए वेरिएंट मवेशियों के वेरिएंट की तुलना में मनुष्यों के लिए अधिक अनुकूल पाए गए।
संक्रमण का इतिहास: एच5एन1 की पहचान लगभग तीन दशक पहले पक्षियों में हुई थी, अब यह इंसानों तक पहुंच रहा है।
शोध पद्धति: लगभग 7,000 पक्षी प्रोटीन अनुक्रम, 820 गैर-मानव स्तनधारी अनुक्रम, और 35,000 मानव फ्लू अनुक्रमों का विश्लेषण किया गया।
विशेष प्रोटीन पर बदलाव: पॉलीमरेज कॉम्प्लेक्स, न्यूक्लियोप्रोटीन और हीमाग्लगुटिनिन प्रोटीन में बदलाव अधिक पाए गए।
विशेषज्ञ सिफारिश: उन्नत और सक्रिय निगरानी के साथ रोकथाम उपाय अपनाने की जरूरत।