पांच लाख से अधिक पक्षियों की मौत: मुर्गियां, बत्तखें, हंस और टर्की प्रभावित।
एच5एन1 वायरस का फैलाव: अत्यंत संक्रामक हाई पैथोजेनिक एवियन इन्फ्लूएंजा।
सबसे प्रभावित क्षेत्र: लोअर सैक्सनी, थ्यूरिंगिया, ब्रांडेनबर्ग, मेक्लेनबर्ग-वेस्ट पोमेरेनिया।
मानव स्वास्थ्य पर खतरा कम : अब तक किसी मानव संक्रमण की पुष्टि नहीं।
सरकारी उपाय और आर्थिक असर: पोल्ट्री सुरक्षा कड़े, अंडे और मांस की कीमतों में वृद्धि हो सकती है।
जर्मनी में इस समय बर्ड फ्लू का प्रकोप तेजी से फैल रहा है। सितंबर की शुरुआत से अब तक पांच लाख से अधिक मुर्गियां, बत्तखें, हंस और टर्की मारे जा चुके हैं। यह संक्रमण एच5एन1 नामक अत्यंत संक्रामक वायरस के कारण फैल रहा है, जिसे वैज्ञानिक रूप से हाई पैथोजेनिक एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस (एचपीएआईवी) कहा जाता है।
संक्रमण का फैलाव
जर्मनी की सरकारी पशु रोग निगरानी संस्था फ्रेडरिक लोएफलर इंस्टीट्यूट के अनुसार, अब तक देश में 30 पोल्ट्री फार्मों में बर्ड फ्लू के मामले दर्ज किए जा चुके हैं। इसके अलावा 73 मामले जंगली पक्षियों में पाए गए हैं। संस्था का कहना है कि यह संख्या आने वाले हफ्तों में और बढ़ सकती है क्योंकि फिलहाल 23 संदिग्ध मामलों की जांच की जा रही है।
आमतौर पर बर्ड फ्लू के प्रकोप नवंबर के आसपास शुरू होते हैं, जब प्रवासी पक्षियों का आगमन चरम पर होता है। लेकिन इस बार संक्रमण सितंबर से ही शुरू हो गया है, जिससे विशेषज्ञों को आशंका है कि आने वाले दिनों में स्थिति और बिगड़ सकती है।
सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में जर्मनी के उत्तरी और पूर्वी राज्य इस समय सबसे अधिक प्रभावित हैं।
लोअर सैक्सनी में 20 मामले
थ्यूरिंगिया में 19 मामले
ब्रांडेनबर्ग में 19 मामले
मेक्लेनबर्ग-वेस्ट पोमेरेनिया में 14 मामले सामने आए हैं।
इनके अलावा, बवेरिया में आठ और नॉर्थ राइन-वेस्टफेलिया में पांच मामले दर्ज किए गए हैं। दक्षिण-पश्चिमी राज्य राइनलैंड-पैलेटिनेट में भी रोज नए संदिग्ध मामलों की रिपोर्ट मिल रही है। स्थानीय प्रशासन ने इस स्थिति को “असामान्य रूप से गतिशील” बताया है।
जंगली पक्षियों पर गहरा असर
इस वायरस का असर जंगली पक्षियों, खासकर क्रेन पर गंभीर रूप से देखा गया है। उत्तरी ब्रांडेनबर्ग क्षेत्र में हजारों संक्रमित और मृत क्रेन खेतों में बिखरे पाए गए। आपातकालीन सेवाओं को इन्हें एकत्र कर नष्ट करने में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। वैज्ञानिकों का मानना है कि प्रवासी पक्षी, जो सर्दियों में दक्षिण की ओर उड़ते हैं, संक्रमण फैलाने में मुख्य भूमिका निभा सकते हैं।
सरकार और वैज्ञानिकों की चिंता
फ्रेडरिक लोएफलर इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों का कहना है कि बर्ड फ्लू का यह रूप अत्यंत संक्रामक है और पोल्ट्री फार्मों में तेजी से फैल सकता है। इसलिए सरकार ने किसानों को सख्त जैव-सुरक्षा नियमों का पालन करने के निर्देश दिए हैं। इनमें शामिल हैं -
पोल्ट्री पक्षियों को खुली जगह पर न छोड़ना
उपकरणों की नियमित सफाई और कीटाणुशोधन
संक्रमित फार्मों के आसपास आवाजाही पर प्रतिबंध
मृत पक्षियों का सुरक्षित निपटान
रिपोर्ट के मुताबिक, अगर संक्रमण को जल्द नहीं रोका गया, तो इससे अंडे और पोल्ट्री उत्पादन पर गंभीर असर पड़ सकता है। साथ ही, किसानों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है।
आने वाले समय की चुनौतियां
फ्रेडरिक लोएफलर इंस्टीट्यूट ने चेतावनी दी है कि वास्तविक खतरे का मौसम अभी शुरू होना बाकी है। नवंबर में जब बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी उत्तरी यूरोप से जर्मनी होते हुए दक्षिण की ओर बढ़ेंगे, तब संक्रमण के और फैलने की संभावना है।
इस बीच, जर्मनी अन्य यूरोपीय देशों - जैसे नीदरलैंड्स, डेनमार्क और पोलैंड के साथ समन्वय कर रहा है ताकि संक्रमण को सीमाओं के पार फैलने से रोका जा सके।
बर्ड फ्लू का यह प्रकोप जर्मनी के लिए एक बड़ी चेतावनी है। यह न केवल देश के पोल्ट्री उद्योग बल्कि जैव विविधता और पर्यावरण के लिए भी गंभीर खतरा बन सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक प्रवासी पक्षियों का मौसम समाप्त नहीं होता, तब तक स्थिति पर कड़ी निगरानी बनाए रखना जरूरी है। सरकार और वैज्ञानिक संस्थानों के संयुक्त प्रयास से ही इस महामारी को नियंत्रित किया जा सकता है।
क्या बर्ड फ्लू इंसानों के लिए खतरनाक है?
जर्मनी में फैले बर्ड फ्लू (एच5एन1) के कारण लाखों पक्षियों को मारा जा चुका है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह वायरस अभी इंसानों के लिए बड़ा खतरा नहीं है। जर्मनी के रॉबर्ट कोच इंस्टीट्यूट के अनुसार, यह वायरस केवल बहुत अधिक मात्रा में संपर्क होने पर ही मनुष्यों में फैल सकता है और अब तक किसी मानव संक्रमण की सूचना नहीं मिली है।
हालांकि इसका असर आर्थिक रूप से महसूस किया जा सकता है। बवेरियन पोल्ट्री यूनियन के अध्यक्ष रॉबर्ट श्माक ने चेतावनी दी है कि अंडों की कीमतों में 40 फीसदी तक बढ़ोतरी हो सकती है और सुपरमार्केट में पोल्ट्री उत्पादों की कमी दिख सकती है। दूसरी ओर, सेंट्रल जर्मन पोल्ट्री यूनियन का मानना है कि निकट भविष्य में कीमतों में बड़ी वृद्धि की संभावना नहीं है।
फ्रेडरिक लोएफलर इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने लोगों से अपील की है कि वे मरे हुए पक्षियों को न छुएं और पशुओं के बाड़ों के पास गंदे जूते पहनकर न जाएं।