मुंबई के एक बाजार में अनाज की सफाई करते श्रमिक; फोटो: अतुल लोके/ एफएओ 
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वैश्विक बाजार में अनाज की कीमतों में आई गिरावट, खाद्य तेल और चीनी का चढ़ा भाव

Lalit Maurya

संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने जानकारी दी है कि जुलाई में लगातार दूसरे महीने खाद्य कीमतों में स्थिरता बरकार रही। हालांकि इस दौरान खाद्य तेलों, मांस और चीनी के भावों में इजाफा देखा गया, लेकिन अनाज की घटती कीमतों ने उसकी भरपाई कर दी।

एफएओ ने अपनी ताजा रिपोर्ट में जानकारी दी है की वैश्विक खाद्य मूल्य सूचकांक जुलाई में औसतन 120.8 अंक दर्ज किया गया, जो जून के मुकाबले थोड़ा कम है। गौरतलब है कि जून 2024 में खाद्य मूल्य सूचकांक के संशोधित आंकड़े 121 दर्ज किए गए थे। वहीं पिछले वर्ष में जुलाई 2023 से तुलना करें तो यह सूचकांक 3.1 फीसदी कम है।

आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2022 में 160.3 अंकों के साथ वैश्विक खाद्य मूल्य सूचकांक अपने शिखर पर पहुंच गया था, लेकिन जुलाई 2024 में यह उससे करीब 24.7 फीसदी नीचे है। यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा जून 2024 के लिए जारी वर्ल्ड फूड प्राइस इंडेक्स (एफएफपीआई) में सामने आई है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एफएओ का यह फूड प्राइस इंडेक्स अंतराष्ट्रीय स्तर पर हर महीने खाद्य कीमतों में आने वाले उतार चढ़ाव को ट्रैक करता है। इंडेक्स के मुताबिक खाने पीने की चीजों की कीमतों में पिछले महीन की तुलना में मामूली गिरावट दर्ज की गई है।

इस दौरान वैश्विक स्तर पर अनाजों के निर्यात मूल्यों में लगातार दूसरे महीने गिरावट आई है। रिपोर्ट के मुताबिक जहां तक अनाज की कीमतों की बात रही उनमें पिछले महीने की तुलना में 3.8 फीसदी की गिरावट आई है।

आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में अनाज मूल्य सूचकांक औसतन 110.8 अंक रहा। यदि एक साल पहले जुलाई 2023 से तुलना करें तो यह 12 फीसदी कम है। इससे पहले मई 2022 में अनाज मूल्य सूचकांक 173.5 अंकों के साथ अपने शिखर पर पहुंच गया था।

इस बारे में एफएओ ने जानकारी साझा करते हुए प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी दी है कि उत्तरी गोलार्ध में सर्दियों के दौरान फसलों की उपलब्धता बढ़ी है। इसके साथ ही कनाडा, अमेरिका में अनुकूल परिस्थितियों के चलते गेहूं की कीमतों में कमी आई है, जो साल के अंत में बसंत के दौरान गेहूं की अच्छी फसल का संकेत है।

अच्छी पैदावर, घटती मांग की वजह से अनाज की कीमतों में आई गिरावट

वैश्विक रूप से बढ़ती प्रतिस्पर्धा और घटती मांग ने भी गेहूं की कीमतों में गिरावट में योगदान दिया है। अर्जेंटीना और ब्राजील में पिछले साल की तुलना में फसलों की कटाई तेजी से होने और अमेरिका में फसलों की मजबूत स्थिति के कारण मक्के की कीमतों में गिरावट आई है।

इसी तरह जुलाई में जौ और ज्वार की कीमतों में भी गिरावट आई है। इसी तरह जुलाई में चावल मूल्य सूचकांक में 2.4 फीसदी की गिरावट आई है। एफएओ के अनुसार इसके पीछे की वजह व्यापारिक गतिविधियों में आई कमी है।

इसके विपरीत एफएओ खाद्य तेल मूल्य सूचकांक जून की तुलना में 2.4 फीसदी बढ़कर डेढ़ साल के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। बता दें कि जुलाई 2024 में यह 135 अंक दर्ज किया गया।

रिपोर्ट के मुताबिक यह वृद्धि पाम, सोया, सूरजमुखी और रेपसीड तेलों की दुनिया भर में बढ़ती कीमतों के कारण हुई। इस दौरान मजबूत वैश्विक मांग और इंडोनेशिया में अपेक्षा से कम उत्पादन के कारण पाम तेल की कीमतों में थोड़ी वृद्धि हुई है। अमेरिका में बायोफ्यूल के लिए मजबूत मांग के चलते सोया तेल की कीमतों में लगातार तीसरे महीने बढ़ोतरी हुई। इसी तरह 2024-25 के दौरान प्रमुख उत्पादक देशो में फसलों की घटती आशंका के कारण सूरजमुखी और रेपसीड तेल की कीमतों में वृद्धि हुई है।

आंकड़ों से पता चला है कि जुलाई 2024 में एफएओ मीट प्राइस इंडेक्स में 1.2 फीसदी की वृद्धि हुई है। हालांकि दूसरी तरफ चीनी मूल्य सूचकांक में जून 2024 की तुलना में 0.7 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है।

जुलाई में एफएओ चीनी मूल्य सूचकांक औसतन 120.2 अंक रहा। हालांकि यह एक साल पहले की तुलना में 17.9 फीसदी  कम है।

यह वृद्धि मानसून के दौरान भारत में बेहतर बारिश और थाईलैंड में अच्छे मौसम के बावजूद ब्राजील में उम्मीद से कम चीनी उत्पादन के कारण हुई। देखा जाए तो ब्राजील में फसल की घटती पैदावार, सूखे मौसम और इथेनॉल की बढ़ती कीमतों ने भी वैश्विक बाजार में चीनी की कीमतों को बढ़ावा दिया है।

वहीं जुलाई 2024 के दौरान एफएओ डेयरी मूल्य सूचकांक में कोई खास बदलाव नहीं दर्ज किया गया। आंकड़ों पर गौर करें तो जुलाई में एफएओ डेयरी मूल्य सूचकांक औसतन 127.7 अंक रहा।

हालांकि एक साल पहले जुलाई 2023 की तुलना में देखें तो इसमें 7.2 फीसदी का इजाफा हुआ है। देखा जाए तो दूध के पाउडर की कीमतों में आई कमी ने मक्खन और पनीर की कीमतों में होती वृद्धि को करीब-करीब संतुलित कर दिया। पश्चिमी यूरोप में घटती मांग और गर्मियों के कारण आई सुस्ती दूध पाउडर की कीमतों में आई गिरावट की वजह बनी।