सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा: लोगों को निजी वाहनों की बजाय बस, ट्रेन और मेट्रो जैसी सेवाओं के उपयोग के लिए प्रेरित करना। फोटो साभार: आईस्टॉक
पर्यावरण

आज है विश्व सार्वजनिक परिवहन दिवस, क्या है इस साल की थीम

स्वच्छ पर्यावरण, कम प्रदूषण और समान यात्रा अधिकारों के लिए सतत एवं समावेशी गतिशीलता का संकल्प है सार्वजनिक परिवहन दिवस

Dayanidhi

  • सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा: लोगों को निजी वाहनों की बजाय बस, ट्रेन और मेट्रो जैसी सेवाओं के उपयोग के लिए प्रेरित करना।

  • पर्यावरण संरक्षण: प्रदूषण, ट्रैफिक जाम और कार्बन उत्सर्जन को कम कर स्वच्छ वायु और हरे-भरे शहरों की दिशा में कदम।

  • समान पहुंच: बुजुर्गों, महिलाओं और दिव्यांगों सहित सभी के लिए सुलभ, सुरक्षित और सस्ती यात्रा व्यवस्था सुनिश्चित करना।

  • स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग : इलेक्ट्रिक बसों, ट्रेनों और नवीकरणीय ऊर्जा आधारित परिवहन साधनों को बढ़ावा देना।

  • नीति और निवेश सुधार: सरकारों को बेहतर सार्वजनिक परिवहन नीतियां बनाने और आधुनिक बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाने का आह्वान।

दुनिया भर में हर साल 10 नवम्बर को विश्व सार्वजनिक परिवहन दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को सार्वजनिक परिवहन (पब्लिक ट्रांसपोर्ट) के उपयोग के लिए प्रोत्साहित करना और इसके पर्यावरणीय व सामाजिक फायदों के बारे में जागरूक करना है।

बस, मेट्रो, ट्रेन और ट्राम जैसे साधनों का उपयोग करके हम प्रदूषण, ट्रैफिक जाम और ईंधन की खपत को कम कर सकते हैं।

सार्वजनिक परिवहन क्यों जरूरी है?

सार्वजनिक परिवहन केवल यात्रा का साधन नहीं, बल्कि सतत विकास की दिशा में एक अहम कदम है। इसके कई फायदे हैं:

  • वायु प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन में कमी

  • सड़कों पर ट्रैफिक जाम में कमी

  • जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता घटाना

  • हर वर्ग के लोगों, विशेषकर बुजुर्गों और दिव्यांगों को सस्ती और सुरक्षित यात्रा सुविधा देना

  • इससे शहरों को स्वच्छ, हरा-भरा और रहने योग्य बनाया जा सकता है।

विश्व सार्वजनिक परिवहन दिवस का उद्देश्य

इस दिवस की शुरुआत सन् 2000 के दशक में हुई थी। उस समय तेजी से बढ़ते शहरीकरण के कारण दुनिया को प्रदूषण, ट्रैफिक और संसाधनों की कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य सतत परिवहन के सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय महत्व को लोगों तक पहुंचाना है।

भारत में स्थिति और चुनौतियां

भारत में यातायात क्षेत्र सबसे तेजी से बढ़ते कार्बन उत्सर्जन का स्रोत है। यह देश के कुल कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन का लगभग 15 फीसदी हिस्सा है, जिसमें से 90 फीसदी सड़क परिवहन से आता है। बढ़ती निजी गाड़ियों के कारण प्रदूषण और जाम की समस्या बढ़ती जा रही है।

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) के अनुसार, भारत के 35 बड़े शहरों में से केवल आठ शहरों में ही प्रभावी बस सेवाएं हैं। छोटे शहरों में स्थिति और भी खराब है।

सरकारों के पास अभी तक सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करने के लिए कोई ठोस नीति नहीं है। अधिकतर निवेश मेट्रो जैसी महंगी परियोजनाओं पर होता है, जबकि बस आधारित रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (बीआरटी) सस्ता और प्रभावी विकल्प हो सकता है।

समाधान और आगे की राह

भारत और दुनिया भर में शहर निम्न कदमों के जरिए यातायात व्यवस्था को बेहतर बना सकते हैं:

  • इलेक्ट्रिक बसों और ट्रेनों का प्रयोग बढ़ाना

  • भीड़ शुल्क (कंजेशन प्राइसिंग) और कार-फ्री जोन लागू करना

  • पैदल चलने और साइकिल चलाने के लिए सुरक्षित मार्ग बनाना

  • निजी और सरकारी साझेदारी से फंडिंग बढ़ाना

  • सस्ती, भरोसेमंद और सभी के लिए सुलभ यात्रा प्रणाली बनाना

विश्व सार्वजनिक परिवहन दिवस हमें यह याद दिलाता है कि सतत परिवहन ही स्वच्छ भविष्य की कुंजी है। अगर हम निजी वाहनों की बजाय बसों, मेट्रो और ट्रेनों को अपनाएं, तो न केवल प्रदूषण घटेगा, बल्कि हमारी जिंदगी भी आसान और स्वस्थ होगी। सार्वजनिक परिवहन अपनाएं, पर्यावरण बचाएं।