गैस की पूरी निकासी सुनिश्चित करने के लिए, सीबीजी प्लांट वाली जगहों के पास गैस पाइपलाइन के बुनियादी ढांचे का विस्तार करने के लिए एक रणनीतिक योजना तैयार की जानी चाहिए। फोटो साभार : डॉ. राहुल जैन, सीएसई
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भारत में अपार हैं कंप्रेस्ड बायोगैस की संभावनाएं, उठाने होंगे ये कदम

Dayanidhi

भारत में कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) को लेकर सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की रिपोर्ट में के आधार पर, हमने पिछले लेख में पूरे भारत में इसकी सम्भावनों और इसके अर्थशास्त्र पर प्रकाश डाला था। इस अंतिम हिस्से में कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) या बायो-सीएनजी में निवेश करने को लेकर क्या होनी चाहिए नीतियां? इसे लेकर सीएसई ने अपनी रिपोर्ट के माध्यम से निम्नलिखित सिफारिशें की हैं

किसानों को शेयरधारक बनाना

रिपोर्ट में कहा गया है कि कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) की प्रक्रिया को सतत रूप से चलाने के लिए किसान-उत्पादक संगठनों को जागरूकता अभियानों के माध्यम से तीसरे पक्ष की निजी संस्थाओं की जगह फीडस्टॉक एग्रीगेटर की भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। इससे परियोजना की हिस्सेदारों के रूप में उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित होगी, जिससे बायोएनर्जी परियोजनाओं से होने वाला फायदा दोनों को होगा।

जिला स्तरीय समिति और अन्य स्थानीय हितधारकों की क्षमता निर्माण

रिपोर्ट के अनुसार, कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) परियोजनाओं की स्थिरता के लिए कचरे या फीडस्टॉक्स को सुरक्षित रखना जरूरी है और जिला समितियां इस संबंध में अहम भूमिका निभा सकती हैं। इन समितियों को जैव ऊर्जा संबंधी पहलों को प्राथमिकता देनी चाहिए और नियमित बैठकें आयोजित की जानी चाहिए, कम से कम महीने में एक बार इस तरह की गतिविधि की जानी चाहिए। उन्हें जिले के भीतर निजी स्वामित्व वाली चीनी मिलों और सब्जी मंडी के कचरे, कृषि-अवशेष और अन्य जैविक कचरा उतपन्न होने वाले जगहों के लोगों के साथ बातचीत को सुविधाजनक बनाने का काम सौंपा जाना चाहिए।

किसानों को एफओएम का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना जरूरी

किसानों को कार्बन-समृद्ध किण्वित जैविक खाद (एफओएम) के उपयोग से होने वाले फायदों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। एफओएम के उपयोग के लिए किसानों के लिए प्रोत्साहन कार्यक्रमों को संस्थागत बनाने की संभावना का पता लगाया जा सकता है। एफओएम के अच्छे प्रभावों के बारे में किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए, कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) शिक्षा और आउटरीच प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

इसके अलावा राजमार्ग निर्माण कंपनियों को सड़क किनारे वृक्षारोपण में उपयोग के लिए आस-पास की सीबीजी परियोजनाओं से एफओएम हासिल करने के लिए अधिकृत किया जा सकता है। इसके अलावा, स्कूलों, गांवों और पंचायतों में स्थानीय भाषाओं में छोटी-छोटी मीडिया क्लिप प्रसारित करना इलाके में एफओएम के उपयोग को बढ़ावा देने और जागरूकता पैदा करने में प्रभावी रूप से योगदान दे सकता है।

बैंक से ऋण हासिल करने में आने वाली चुनौतियों से निपटना

एक व्यावहारिक नजरिया यह होगा कि बाहरी आवश्यकताओं की निर्भरता को कम करने के लिए सरकार के द्वारा दी जाने वाली गारंटी कार्यक्रम शुरू किया जाना चाहिए, जिससे वित्तीय संस्थानों को ऋण देने के लिए अधिक तत्परता से प्रोत्साहित किया जा सके। ऋण आवेदन प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को एक केंद्रीकृत ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से सीबीजी परियोजना आवेदनों की देखरेख और निगरानी करनी चाहिए, प्रगति पर नजर रखने के लिए निश्चित समय सीमा को लागू की जानी चाहिए।

रिपोर्ट में इसके अलावा सीबीजी परियोजनाओं के बारे में बैंकरों की समझ बढ़ाने के लिए, वित्तीय संस्थानों के भीतर वरिष्ठ प्रबंधकों के साथ सीबीजी के विभिन्न पहलुओं को कवर करने वाले चार से पांच इलाकों के आधार पर सेमिनार आयोजित करने की सिफारिश की गई है।

गैस की पूरी निकासी सुनिश्चित करना

गैस की पूरी निकासी सुनिश्चित करने के लिए, सीबीजी प्लांट वाली जगहों के पास गैस पाइपलाइन के बुनियादी ढांचे का विस्तार करने के लिए एक रणनीतिक योजना तैयार की जानी चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में मांग को प्रोत्साहित करने के लिए, ट्रैक्टरों और दोपहिया वाहनों को सीएनजी पर चलाने के लिए प्रोत्साहन देना या सीएनजी से चलने वाली कृषि मशीनरी को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।

नवंबर 2023 में, महिंद्रा ट्रैक्टर्स ने अपना पहला सीएनजी से चलने वाला मोनो-फ्यूल ट्रैक्टर का निर्माण किया है, जो मौजूदा डीजल ट्रैक्टरों की तुलना में विभिन्न कृषि और ढुलाई के उपयोग में अधिक कुशल है। एक और महत्वपूर्ण कदम ग्रामीण क्षेत्रों में सीएनजी अपनाने के पर्यावरणीय और आर्थिक फायदों को बढ़ावा देने वाले जागरूकता अभियान शुरू करने चाहिए।

किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और अन्य हितधारकों की क्षमता निर्माण

एफपीओ और जिला स्तरीय अधिकारियों के लिए कार्यशालाओं और प्रशिक्षण सत्रों का आयोजन करना ताकि सीबीजी के विभिन्न पहलुओं और संबंधित चुनौतियों के बारे में उनकी समझ में सुधार हो सके।

हितधारकों के साथ चर्चा के लिए एक समर्पित राज्य-विशिष्ट मंच बनाना, नियमित आधार पर प्रश्नों और कठिनाइयों से निपटा जाना चाहिए। समावेशी चर्चाओं को बढ़ावा देने के लिए इस मंच में विभिन्न राज्य विभागों, किसान सहकारी समितियों, ओजीएमसी और जिला स्तरीय समितियों के सदस्यों की भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।

अलग-अलग कचरे या फीडस्टॉक पर जोर देना

रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में अधिकांश सीबीजी प्लांट प्रेसमड या चीनी निर्माण प्रक्रिया से उत्पन्न होने वाले कचरे, पर निर्भर हैं, लेकिन स्रोतों में विविधता लाने की जरूरत है। ठोस जैविक कचरे के अलावा, डिस्टलरी से निकलने वाले कचरे, कागज और लुगदी निर्माण से औद्योगिक कचरा और अन्य तरल औद्योगिक कचरे जैसे तरल अपशिष्टों के उपयोग की दिशा में प्रयास किए जाने चाहिए।

यदि सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की रिपोर्ट की उपरोक्त सिफारिशों पर गौर किया जाएगा तो, 2070 तक भारत को कुल-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी, साथ ही कूड़े के कारण होने वाले उत्सर्जन पर भी रोक लगाने में सफलता मिलेगी। सबसे अहम वर्तमान में विदेशों से 46 फीसदी आयत की जा रही सीएनजी गैस के आयात में भी लगाम लगेगी।