बद्रीनाथ धाम। फोटो: आईस्टॉक  
चुनाव

क्यों हुई बद्रीनाथ उपचुनाव में भाजपा की हार, क्या जोशीमठ आपदा व बद्रीनाथ मास्टर प्लान का दिखा असर?

बद्रीनाथ धाम के मास्टर प्लान की वजह से जहां भारी तोड़फोड़ की गई और जोशीमठ में भूधंसाव की वजह से 800 से अधिक घरों में दरारें आ गई

Raju Sajwan

हाल ही में विधानसभा के उपचुनावों में बद्रीनाथ विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार की हार के कारणों को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि जानकार हार के लिए भाजपा के अंदरुनी कारणों को जिम्मेवार मानते हैं। लेकिन वे यह भी मानते हैं कि क्षेत्र में आपदाओं के कारण हो रहे नुकसान से नाराजगी ने भी आग में घी का काम किया। उधर, बद्रीनाथ धाम में नए मास्टर प्लान के तहत हो रहे निर्माण कार्यों को भी लोगों की नाराजगी की वजह बताया जा रहा है। 

शनिवार 13 जुलाई 2024 को आए उपचुनाव परिणामों में कांग्रेस के लखपत सिंह राणा को 28,161 मत मिले और भाजपा के राजेंद्र सिंह भंडारी को 22,937 मत मिले। इस तरह राणा को 5,224 मतों से विजयी घोषित किया गया। हालांकि इससे पहले भी यह सीट कांग्रेस के पास ही थी और कांग्रेस की टिकट पर राजेंद्र भंडारी ने ही जीत हासिल की थी। 

बाद में भंडारी कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए और भाजपा ने उन्हें ही टिकट दे दी। यही टिकट उनकी हार का प्रमुख कारण माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि स्थानीय लोग भंडारी के दलबदल से नाराज थे और इसलिए उनके खिलाफ मतदान किया। यहां तक कि भाजपा के कार्यकर्ता भी इस तरह के टिकट वितरण से नाराज थे, इसलिए वे मतदान करने भी नहीं आए!

आपदाओं के खिलाफ जनादेश?

लेकिन यहां सवाल उठता है कि बद्रीनाथ विधानसभा क्षेत्र में शामिल जोशीमठ और उसके आसपास के इलाके के मतदाताओं का रूख क्या रहा? क्योंकि वे पिछले डेढ़ साल से एक अभूतपूर्व आपदा का सामना कर रहे हैं।

भूधंसाव के कारण जोशीमठ का एक बड़ा हिस्सा और आसपास के कुछ गांव में घरों-भवनों में दरारें आ रही हैं, लेकिन अभी तक सरकार की ओर से कोई ठोस इंतजाम नहीं किया गया है। 

खास बात यह भी है कि स्थानीय लोग इस आपदा को प्राकृतिक नहीं मानते, बल्कि सरकारी नीतियों में ढील के कारण हो रहे निर्माणों को दोषी मानते हैं। बावजूद इसके क्या मतदाताओं ने सरकार को चेताने के लिए यह मतदान किया। 

इस सवाल के जवाब में जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती साफ-साफ कहते हैं कि यह मुद्दा प्रमुखता से नहीं उठा और हार का प्रमुख कारण तो दलबदल ही रहा। लेकिन दूसरी वजह जोशीमठ भूधंसाव और उसके बाद सरकार का रवैया भी रहा। चुनाव प्रचार के दौरान बेघर लोगों ने सत्ता पक्ष से सवाल भी किए।

सती ने कहा कि जोशीमठ के भूधंसाव के लिए सरकार पूरी तरह जिम्मेवार है और उसके बाद पुनर्वास और बचाव कार्य को लेकर सरकार का रवैया लोगों की नराजगी का कारण तो बना, लेकिन अफसोस की बात है कि चुनाव में यह प्रमुख मुद्दा नहीं बन पाया। 

भाजपा को चुनाव व बूथ प्रबंधन में निपुण माना जाता है। यही वजह है कि जोशीमठ आपदा को बड़ा मुद्दा नहीं बन पाई। स्थानीय पत्रकार पूरण भिलंगवाल का कहना है कि जोशीमठ आपदा या पिछले कुछ सालों के दौरान क्षेत्र में आई कोई भी आपदा चुनाव का मुद्दा नहीं बन पाई। उन्होंने कहा कि किसी भी उम्मीदवार ने इस मुद्दे को अपने चुनाव प्रचार में जगह नहीं दी।

पूरण भाजपा की हार के दो कारण मानते हैं। एक तो राजेंद्र भंडारी का दलबदल और दूसरा भाजपा जातीय समीकरण नहीं बिठा पाई। हालांकि भाजपा का प्रचार तंत्र लोगों को यह समझाने में सफल रहा है कि स्थानीय समस्याएं चुनावी मुद्दे नहीं रह गए हैं। यही वजह है कि लोकसभा चुनाव में भी लोगों ने जोशीमठ जैसी आपदाओं को लेकर नेताओं से सवाल नहीं किए। 

बावजूद इसके जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के सदस्य प्रकाश नेगी कहते हैं कि हार का तीसरा कारण जोशीमठ आपदा रही। पहला, दलबदल, दूसरा भ्रष्टाचार के आरोप और तीसरा कारण जोशीमठ आपदा के बाद अब तक पुनर्वास का इंतजाम न करना, धंसाव से बचाने के लिए दीवार बनाना, निर्माण कार्यों पर रोक, चार धाम यात्रा का प्रबंधन सही से न होने के कारण व्यापार को नुकसान जैसे स्थानीय मुद्दे भी भाजपा से नाराजगी के कारण रहे। 

वह बताते हैं कि जोशीमठ शहर में मतदाताओं की संख्या 9000 के आसपास है, लेकिन मतदान केवल लगभग 3750 लोगों ने ही किया। मत प्रतिशत कम रहना भी भाजपा की हार का कारण बना। यहां से भाजपा लगभग 450 मतों के अंतर से हारी है, जबकि लोकसभा चुनाव में जोशीमठ शहर से भाजपा प्रत्याशी अनिल बलूनी को लगभग 350 मत ज्यादा मिले थे। नेगी इसे राज्य सरकार के प्रति भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी से जोड़ कर देखते हैं।

बद्रीनाथ मास्टर प्लान का असर? 

यहां यह उल्लेखनीय है कि केदारनाथ की तर्ज पर बद्रीनाथ धाम के लिए एक मास्टर प्लान बना कर निर्माण हो रहा है। इसके लिए आसपास काफी तोड़फोड़ की जा रही है, जिसके चलते क्षेत्र में स्थानीय व्यापारियों को काफी नुकसान हो रहा है। इस पर विस्तार से पढ़ें

बद्रीनाथ नगर पंचायत के अध्यक्ष रह चुके बलदेव मेहता कहते हैं कि भाजपा प्रत्याशी की हार के लिए दलबदल तो प्रमुख मुद्दा रहा ही, लेकिन बद्रीनाथ मास्टर प्लान से जिस तरह लोगों के कारोबार का नुकसान हुआ, उससे लोगों में भाजपा के प्रति गुस्सा था, जो चुनाव में उनके खिलाफ प्रदर्शित हुआ।

मेहता बताते हैं कि बद्रीनाथ धाम में लोग छह महीने रहते हैं और छह महीने अलग-अलग गांवों में चले जाते हैं। इससे वे बेशक संगठित नहीं हैं, लेकिन उनके रोजगार का एकमात्र जरिया धाम ही है। इसलिए युवाओं ने रोजगार छिनने के डर से भाजपा के खिलाफ मतदान किया। 

बर्फबारी के दौरान बद्रीनाथ धाम के ज्यादातर लोग पांडुकेश्वर रहते हैं। बताया जाता है कि पांडुकेश्वर इलाके के मतदान बूथों से भी भाजपा प्रत्याशी को काफी कम मत मिले हैं।