ओखला पक्षी विहार; फोटो: विकिमीडिया कॉमन्स 
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वन विभाग ने नोएडा के जेपी विशटाउन को दी क्लीन चिट, एनजीटी में जमा की रिपोर्ट

वन विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि ओखला पक्षी विहार से जेपी विशटाउन की हवाई दूरी 4.98 किलोमीटर है, जबकि सड़क के रास्ते यह दूरी करीब 7.9 किलोमीटर है

Susan Chacko, Lalit Maurya

  • नोएडा के सेक्टर 128 से 134 में स्थित जेपी विशटाउन ओखला पक्षी विहार के ईको-सेंसिटिव जोन के बाहर है।

  • वन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, यह टाउनशिप पक्षी विहार से 4.98 किलोमीटर की हवाई दूरी पर है। रिपोर्ट के बाद मामले की आगे की सुनवाई होगी।

उत्तर प्रदेश में नोएडा के सेक्टर 128 से 134 में स्थित जेपी विशटाउन टाउनशिप ओखला पक्षी विहार के ईको-सेंसिटिव जोन (ईएसजेड) के दायरे में नहीं आती। यह जानकारी 17 दिसंबर 2025 को नोएडा के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) की ओर से दाखिल रिपोर्ट में दी गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, ओखला पक्षी विहार से जेपी विशटाउन की हवाई दूरी 4.98 किलोमीटर है, जबकि सड़क के रास्ते यह दूरी करीब 7.9 किलोमीटर है।

यह रिपोर्ट उस याचिका के बाद सामने आई है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड अपने इस टाउनशिप में बड़े बदलाव कर रही है। याचिका में कहा गया है कि ये बदलाव पर्यावरण से जुड़े नियमों का उल्लंघन करते हुए किए जा रहे हैं।

हालांकि, वन विभाग की रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि परियोजना क्षेत्र ओखला पक्षी विहार के ईएसजेड के भीतर नहीं है। अब इस रिपोर्ट के आधार पर मामले में आगे की सुनवाई होगी।

दाहा नदी के कायाकल्प के लिए बिहार सरकार प्रतिबद्ध, 136 किमी में होगी गाद की सफाई

बिहार के जल संसाधन विभाग ने दाहा नदी से गाद निकालने और सफाई की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हुए इसके पर्यावरणीय पुनर्जीवन के लिए ठोस और व्यापक कदम उठाने की बात कही है। विभाग ने कहा है कि वह दाहा नदी के संरक्षण और पुनर्जीवन के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। यह जानकारी 13 दिसंबर 2025 को दायर रिपोर्ट में दी गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के जल संसाधन विभाग ने सारण जिले में सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण और जल निकासी के लिए एक एकीकृत परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की है। यह रिपोर्ट परामर्श एजेंसी वैपकोस लिमिटेड की मदद से बनाई गई है।

इसमें गोपालगंज, सिवान और सारण जिलों से होकर बहने वाली दाहा नदी के 136 किलोमीटर लंबे हिस्से से गाद निकालने की विस्तृत योजना शामिल है।

इस एकीकृत परियोजना के पहले चरण में बाढ़ नियंत्रण से जुड़े हिस्से की डीपीआर को 30 सितंबर 2022 को जल संसाधन विभाग की विभागीय समीक्षा समिति ने मंजूरी दे दी थी। इसके बाद डीपीआर को तकनीकी जांच के लिए पटना स्थित गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग को भेजा गया। आयोग ने 2023 और 2024 में रिपोर्ट की गहन समीक्षा के बाद कुछ सुझाव और आपत्तियां दर्ज कीं।

विभाग के अनुसार, अब विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) में संशोधन का काम चल रहा है और आयोग की सभी टिप्पणियों को शामिल करते हुए अनुपालन रिपोर्ट तैयार की जा रही है। यह काम वैपकोस लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है और 21 जनवरी 2025 को मिली टिप्पणियों के आधार पर इसे अंतिम रूप दिया जा रहा है।

संशोधित डीपीआर और अनुपालन रिपोर्ट जल्द ही दोबारा गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग को भेजी जाएगी, ताकि तकनीकी मंजूरी मिल सके। इसके बाद इस परियोजना को केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की सलाहकार समिति के सामने रखा जाएगा। इतनी बड़ी परियोजना के लिए समिति की सिफारिश और मंजूरी कानूनी रूप से अनिवार्य है।

जल संसाधन विभाग का कहना है कि इन प्रयासों से दाहा नदी के प्रवाह में सुधार होगा, बाढ़ की समस्या घटेगी और क्षेत्र के पर्यावरण को नया जीवन मिलेगा।