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जलवायु

2024 में दर्ज हुआ अब तक का दूसरा सबसे गर्म जुलाई, सामान्य से 1.48 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा तापमान

कहीं न कहीं 2024 अब तक के सबसे गर्म वर्ष होने की राह पर है, जब पिछले 12 महीनों में तापमान औसत से 1.64 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया

Lalit Maurya

जलवायु परिवर्तन आज हमारे जीवन की एक ऐसी कड़वी सच्चाई बन चुका है, जिसे हम चाह कर भी झुठला नहीं सकते। इसके प्रभाव अलग-अलग रूपों में हमारे जीवन को प्रभावित कर रहे हैं, उनमें से एक है बढ़ता तापमान और गर्मी। गर्मी ऐसी की इंसान ही नहीं पेड़-पौधे और जानवर तक कुम्हला जाए। ऐसा लगता है कि हर गुजरते दिन के साथ बढ़ते तापमान के रिकॉर्ड की एक होड़ सी लगी है।

जुलाई में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला, जब 22 जुलाई को धरती ने अपने जलवायु रिकॉर्ड के सबसे गर्म दिन का अनुभव किया। हालात यह थे कि 22 जुलाई को तापमान 17.16 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। 23 जुलाई 2024 को भी तापमान करीब-करीब उतना (17.15 डिग्री सेल्सियस) ही रहा।

जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर काम करने वाले संगठन कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) ने पुष्टि की है, इससे पहले अब तक का सबसे गर्म दिन का यह रिकॉर्ड छह जुलाई 2023 के नाम दर्ज था, जब तापमान 17.08 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।

हालांकि 21 जुलाई 2024 को तापमान इस आंकड़े को पार कर 17.09 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। कहीं न कहीं इन दिनों ने स्पष्ट कर दिया था कि जुलाई में तापमान नए शिखर तक पहुंच सकता है।

इस बारे में कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस ने अपनी नई रिपोर्ट में खुलासा किया है, जुलाई 2024, जलवायु इतिहास का अब तक का दूसरा सबसे गर्म जुलाई रहा जब बढ़ता तापमान औद्योगिक काल से पहले (1850-1900) की तुलना में 1.48 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा।

रिपोर्ट के मुताबिक साथ ही यह अब तक का दूसरा सबसे गर्म महीना भी था। आंकड़ों के मुताबिक जुलाई 2024 में सतह के पास हवा का औसत तापमान 16.91 डिग्री सेल्सियस रहा, जो 1991 से 2020 में जुलाई के औसत तापमान से 0.68 डिग्री सेल्सियस ज्यादा है।

बता दें कि अब तक का सबसे गर्म जुलाई, साल 2023 में दर्ज किया गया था, जब तापमान औद्योगिक काल से पहले के औसत की तुलना में 1.52 डिग्री सेल्सियस अधिक था। मतलब की इस साल जुलाई में औसत तापमान रिकॉर्ड से महज 0.04 डिग्री सेल्सियस पीछे है।

देखा जाए तो इसके साथ ही सबसे गर्म महीनों के सामने आने का सिलसिला भी टूट गया। आंकड़ों के मुताबिक जून 2023 से जून 2024 के बीच पिछले 13 महीनों कोई भी महीना ऐसा नहीं रहा, जिसने बढ़ते तापमान ने रिकॉर्ड न बनाया हो। मतलब कि यह वो महीने थे जब बढ़ते तापमान ने नए रिकॉर्ड बनाए थे।

बनते बिगड़ते जलवायु रिकॉर्ड

हालांकि जुलाई 2024 अब तक का सबसे गर्म जुलाई तो नहीं रहा, लेकिन वो अब तक के दस सबसे गर्म जुलाई के महीनों में दूसरे पायदान पर पहुंच गया है। इसके साथ ही जिस तरह से पिछले 12 महीनों से लगातार तापमान डेढ़ डिग्री सेल्सियस के पार था, वो सिलसिला भी थम गया है।

वहीं यदि अगस्त 2023 से जुलाई 2024 के बीच पिछले 12 महीनों की तुलना 1991 से 2020 के बीच इसी अवधि के दौरान दर्ज औसत तापमान से करें तो तापमान 0.76 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। वहीं औद्योगिक काल से पहले की तुलना में यह तापमान 1.64 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया। इस लिहाज से देखें तो यह काफी हद तक स्पष्ट हो गया है कि यह साल 2023 की तुलना में कहीं ज्यादा गर्म रह सकता है।

ऐसे में 2024 को 2023 से अधिक गर्म होने से बचाने के लिए शेष महीनों में तापमान तापमान को 0.23 डिग्री सेल्सियस से कम होना आवश्यक होगा। हालांकि यदि पिछले आंकड़ों के आधार पर देखें तो ऐसा होना करीब-करीब असंभव है।

यूरोप की बात करें तो जुलाई 2024 में तापमान 1991 से 2020 के औसत तापमान की तुलना में 1.49 डिग्री सेल्सियस अधिक था, जो इसे 2010 के बाद रिकॉर्ड का दूसरा सबसे गर्म जुलाई बनाता है। इस दौरान दक्षिणी और पूर्वी यूरोप काफी गर्म रहे, जबकि उत्तर-पश्चिमी यूरोप में तापमान औसत के करीब या उससे कम था।

इस दौरान अमेरिका, कनाडा, अफ्रीका के अधिकांश हिस्सों, मध्य पूर्व, एशिया और पूर्वी अंटार्कटिका में तापमान औसत से कहीं ज्यादा था। वहीं दूसरी तरफ पश्चिमी अंटार्कटिका, अमेरिका के कुछ हिस्सों, दक्षिण अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में तापमान औसत से कम था।

ऐसा नहीं है कि बढ़ता तापमान केवल जमीन पर हावी है, जुलाई 2024 में समुद्र की सतह का औसत तापमान भी 20.88 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था, जो रिकॉर्ड पर दूसरा सबसे अधिक है। हालांकि यह तापमान भी जुलाई 2023 की तुलना में महज 0.01 डिग्री सेल्सियस कम था। इसके साथ ही पिछले 15 महीनों से चल रहा वो सिलसिला टूट गया जब हर महीने समुद्र की सतह का तापमान रिकॉर्ड पर सबसे अधिक था।

इस दौरान आर्कटिक में जमा बर्फ को देखें तो वो औसत से सात फीसदी कम रही। गौरतलब है कि 2020 में बर्फ में आती यह कमी 14 फीसदी के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी। इस दौरान आर्कटिक महासागर के अधिकांश हिस्सों, विशेष रूप से साइबेरिया के उत्तरी तट पर, सामान्य से कम बर्फ देखी गई। इसी तरह जुलाई के दौरान अंटार्कटिका में, समुद्री बर्फ की मात्रा औसत से 11 फीसदी कम रही। जो करीब-करीब 2023 में 15 फीसदी के निचले रिकॉर्ड स्तर के आसपास पहुंच गई।