यदि स्थानीय जलवायु अधिक गर्म है, अधिक नमी भरी है, तो ठंडे और शुष्क स्थानों के शहरों की तुलना में यहां अधिक बारिश की विसंगति हो सकती है। फोटो साभार: आईस्टॉक
जलवायु

ग्रामीण इलाकों की तुलना में 60 फीसदी शहरों में हो रही है अधिक बारिश, जानें क्यों?

अध्ययन में दुनिया भर के 1,056 शहरों में बारिश की विसंगतियों के सबूतों की जांच पड़ताल की और पाया कि उनमें से 60 फीसदी से अधिक शहरों में उनके आस-पास के ग्रामीण इलाकों की तुलना में अधिक बारिश होती है।

Dayanidhi

शहर अक्सर अपने आस-पास के ग्रामीण इलाकों की तुलना में अधिक गर्म होते हैं, इसे शहरी ताप द्वीप या अर्बन हीट आइलैंड प्रभाव कहा जाता है। अर्बन हीट आइलैंड के शहरों पर कई तरह के प्रभाव पड़ते हैं, इसके कारण शहरों में बारिश की विसंगति देखी जाती है, भारी बारिश के कारण शहरी विकास पर भारी असर पड़ता है।

अध्ययन में ऑस्टिन में टेक्सास विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने दुनिया भर के 1,056 शहरों में बारिश की विसंगतियों के सबूतों की जांच पड़ताल की और पाया कि उनमें से 60 फीसदी से अधिक शहरों में उनके आस-पास के ग्रामीण इलाकों की तुलना में अधिक बारिश होती है।

कुछ मामलों में ये अंतर बहुत बड़े हो सकते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि ह्यूस्टन में, औसतन, उसके आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में हर साल लगभग पांच इंच अधिक बारिश होती है। इसके भारी प्रभाव हो सकते हैं, जिनमें से सबसे घनी आबादी वाले शहरी इलाकों में अचानक बाढ़ आ सकती है

शहरी बारिश में बदलाव एक ऐसी चीज है जिसके बारे में वैज्ञानिक कई दशकों से जानते हैं, लेकिन दुनिया भर के स्तर पर इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है। अध्ययनकर्ता ने कहा कि पिछले अध्ययनों में केवल कुछ शहरों और तूफान के मामलों को ही देखा गया था। शोधकर्ताओं ने उपग्रहों और रडार प्रणालियों से बारिश के आंकड़ों का गहन अध्ययन किया और 2001 से 2020 तक इन 1,056 शहरों के लिए रजमर्रा के बारिश की विसंगतियों का पता लगाया।

शोधकर्ताओं ने पाया कि इन दुनिया भर के शहरों में से 60 फीसदी से अधिक में (आस-पास के ग्रामीण इलाकों की तुलना में) अधिक बारिश होती है। फिर शोधकर्ताओं ने विभिन्न जलवायु क्षेत्रों के साथ तुलना की और पाया कि यदि स्थानीय जलवायु अधिक गर्म है, अधिक नमी भरी है, तो ठंडे और शुष्क स्थानों के शहरों की तुलना में यहां अधिक बारिश की विसंगति हो सकती है।

प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि ह्यूस्टन के अलावा, सबसे अधिक बारिश की विसंगतियों वाले बड़े शहरों की सूची में हो ची मिन्ह, वियतनाम, कुआलालंपुर, मलेशिया, लागोस, नाइजीरिया, और मियामी-फोर्ट लॉडरडेल-वेस्ट पाम बीच महानगरीय क्षेत्र शामिल हैं।

अध्ययनकर्ता ने अध्ययन के हवाले से बताया कि शहरी इलाके एक जगह से बारिश लेते हैं और इसे दूसरे स्थान पर केंद्रित करते हैं, ठीक वैसे ही जैसे किसी स्पंज को निचोड़ा जाता है।

उन्होंने कहा, यदि स्पंज के एक हिस्से को दबाया जाता है, तो पानी एक तरफ से अधिक जोर से नीचे आएगा। स्पंज में पानी की मात्रा समान है, लेकिन क्योंकि अब आपके पास वायुमंडल को निचोड़ने की वह गतिशील क्षमता है, इसलिए आपके पास उस स्थान से पानी को बाहर निकालने की अधिक क्षमता होती है।

हालांकि यह आम नहीं है, कुछ शहरी इलाकों में वास्तव में उनके आसपास के ग्रामीण इलाकों की तुलना में कम बारिश होती है। यह आमतौर पर घाटियों और निचले इलाकों में स्थित शहरों में होता है, जहां बारिश के पैटर्न पास के पहाड़ों द्वारा नियंत्रित होते हैं। जिन शहरों में यह सबसे अधिक स्पष्ट है उनमें वाशिंगटन के सिएटल, जापान का क्योटो, और इंडोनेशिया का जकार्ता शामिल हैं।

ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से ज्यादातर शहरों में उनके ग्रामीण पड़ोसियों की तुलना में अधिक बारिश होती है। अध्ययनकर्ता ने अध्ययन में कहा कि एक मुख्य कारण ऊंची इमारतों की मौजूदगी है, जो हवा की रफ्तार को रोकती है या धीमा कर देते हैं। इससे शहर के केंद्र की ओर हवा चलती है।

इमारतें हवाओं को धीमा करके इसके बहने को और कम कर देते हैं, जिसके कारण हवा की ऊपर की ओर ज्यादा रफ्तार होती है। ऊपर की ओर तेजी से बहने वाली हवा की वजह से जल वाष्प के संघनन और बादल निर्माण में बढ़ोतरी होती है, जो बारिश के लिए महत्वपूर्ण स्थितियां हैं।

शोधकर्ताओं ने पाया कि अन्य पर्यावरणीय और शहरीकरण के कारणों की तुलना में शहरी बारिश की विसंगतियों के साथ जनसंख्या का सबसे बड़ा संबंध है। शोधकर्ता ने शोध में कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि बड़ी आबादी आमतौर पर अधिक सघन और ऊंचे शहरी इलाकों का निर्माण करती है, साथ ही अधिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन करती है इसलिए गर्मी बढ़ जाती है।

इस घटना का जलवायु परिवर्तन के भविष्य की ओर बढ़ रहे सभी शहरों पर प्रभाव पड़ता है, जो शहरों में बारिश की बढ़ती संभावना और उनके शहरी वातावरण को बनाने वाली सतहें अचानक बाढ़ का कारण बन सकती हैं। शोधकर्ता ने शोध के हवाले से कहा इन दोनों कारणों को मिलाने का मतलब है कि हमें अचानक आने वाली बाढ़ से निपटने के लिए नए तरीके विकसित करने होंगे।