पाकिस्तान के पेशावर में गर्मी के बीच गधे पर सवार बच्चा 
जलवायु

175 वर्षों में भारत-पाकिस्तान ने अब तक के सबसे गर्म अक्टूबर का किया सामना, निचले स्तर पर पहुंची समुद्री बर्फ

एनसीईआई ने जो आउटलुक जारी किए हैं। उनके मुताबिक इस बात की 99 फीसदी से ज्यादा आशंका है कि 2024 जलवायु इतिहास का अब तक का सबसे गर्म वर्ष होगा

Lalit Maurya

नेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल इंफॉर्मेशन (एनसीईआई) ने अपनी रिपोर्ट नई रिपोर्ट में पुष्टि की है कि जहां वैश्विक स्तर पर पिछले 175 वर्षों में अब तक का दूसरा सबसे गर्म अक्टूबर दर्ज किया गया, वहीं भारत पाकिस्तान के लिए पिछला महीना अब तक का सबसे गर्म अक्टूबर था। इतना ही नहीं रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर करीब 12 फीसदी हिस्सों ने अब तक के सबसे गर्म अक्टूबर का सामना किया।

बता दें कि इससे पहले भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने भी पुष्टि की थी कि 1901 के बाद से औसत और न्यूनतम तापमान के लिहाज से 2024 में अक्टूबर का महीना अब तक का सबसे गर्म अक्टूबर था। इसके लिए कहीं न कहीं जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि भी जिम्मेवार है।

दिल्ली की बात करें तो 1951 के बाद से यह पहला मौका है जब अक्टूबर में इतनी ज्यादा गर्मी पड़ी है। हैरानी की बात है कि इस दौरान दिल्ली में बारिश की एक बूंद भी नहीं गिरी।

वैश्विक स्तर पर देखें तो इस दौरान दुनिया के अधिकांश हिस्सों में तापमान औसत से अधिक रहा। बता दें कि भारत-पाकिस्तान की तरह ही उत्तरी अमेरिका के लिए भी यह अब तक का सबसे गर्म अक्टूबर था। अमेरिका से जुड़े आंकड़ों को को देखें तो उसके लिए यह अब तक का दूसरा सबसे गर्म अक्टूबर रहा। इस दौरान वहां करीब 87 फीसदी हिस्से सूखे से जूझ रहे थे। 

सर्दियों के महीनों में पश्चिमी विक्षोभ में आई कमी वातावरण और महासागरों के तापमान में वृद्धि से जुड़ी है, जो वैश्विक स्तर पर मौसम के पैटर्न को प्रभावित कर रही है।

नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के एनसीईआई द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अब तक का दूसरा सबसे गर्म अक्टूबर दर्ज किया गया है, जब तापमान 20वीं सदी में अक्टूबर के दौरान दर्ज औसत तापमान (14 डिग्री सेल्सियस) से 1.32 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा।

यह अब तक के सबसे गर्म अक्टूबर में दर्ज औसत तापमान से महज 0.05 डिग्री सेल्सियस कम है। बता दें कि अब तक का सबसे गर्म अक्टूबर 2023 में दर्ज क्या गया था। जब तापमान औसत से 1.37 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म था।

क्षेत्रीय रूप से देखें तो जहां उत्तरी अमेरिका ने अपने सबसे गर्म अक्टूबर का सामना किया। वहीं दक्षिण अमेरिका और ओशिनिया के लिए यह अब तक का दूसरा सबसे गर्म अक्टूबर था। इस दौरान यूरोप ने जहां अपने अब तक के चौथे सबसे गर्म अक्टूबर का सामना किया। एशिया के लिए यह पांचवा सबसे गर्म अक्टूबर रहा, जबकि अफ्रीका के लिए यह दसवां सबसे गर्म अक्टूबर था। 

1910 के बाद से ऑस्ट्रेलिया ने भी अपने अब तक के दूसरे सबसे गर्म अक्टूबर का सामना किया है।

वहीं इस साल के पहले दस महीनों के दौरान दर्ज तापमान को देखें तो वो 20वीं सदी के औसत से 1.28 डिग्री सेल्सियस अधिक था, जो उसे रिकॉर्ड की सबसे गर्म अवधि बनाता है। इसी तरह अफ्रीका, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, ओशिनिया और दक्षिण अमेरिका के लिए यह पिछले 175 वर्षों में अब तक की सबसे गर्म अवधि थी।

बढ़ता तापमान ही नहीं जलवायु आपदाएं भी ले रही हैं परीक्षा

ऐसा नहीं है कि बढ़ता तापमान सिर्फ धरती को ही तपा रहा है। समुद्र भी जलवायु में आते बदलावों से सुरक्षित नहीं हैं। यही वजह है कि वैश्विक स्तर पर समुद्रों की सतह का तापमान अक्टूबर में दूसरी बार इतना अधिक दर्ज किया गया है।

वैश्विक तापमान को लेकर एनसीईआई ने जो आउटलुक जारी किए हैं। उसके मुताबिक इस बात की 99 फीसदी से अधिक आशंका है कि 2024 जलवायु इतिहास में दर्ज अब तक का सबसे गर्म वर्ष होगा।

इससे पहले कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) से जुड़े वैज्ञानिकों ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि यह करीब-करीब तय है कि 2024 दर्ज जलवायु इतिहास का अब तक का सबसे गर्म वर्ष होगा।

बता दें कि इससे पहले 2023 अब तक का सबसे गर्म वर्ष था, जब बढ़ता तापमान औद्योगिक काल से पहले की तुलना में 1.48 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया था। कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) ने भी अक्टूबर 2024 को पिछले 84 वर्षों में अब तक का दूसरा सबसे गर्म अक्टूबर माना है।

समुद्रों में जमा बर्फ के विस्तार को देखें तो पिछले 46 वर्षों में यह पहला मौका है जब अक्टूबर में इतनी कम बर्फ दर्ज की गई। बर्फ का यह विस्तार 1991से 2020 के औसत की तुलना में 12.5 लाख वर्ग मील कम था।

इसी तरह आर्कटिक में जमा समुद्री बर्फ औसत से छह लाख वर्ग मील कम थी, जो रिकॉर्ड पर चौथी सबसे कम है। ऐसा ही कुछ अंटार्कटिक में भी देखें को मिला जहां समुद्री बर्फ का विस्तार औसत से साढ़े छह लाख वर्ग मील कम था। यह दूसरा मौका है जब अक्टूबर के दौरान अंटार्कटिक में इतनी कम बर्फ दर्ज की गई है।

अक्टूबर के दौरान दर्ज स्पेन में भीषण बाढ़ आई थी। इस बाढ़ ने 200 से ज्यादा जिंदगियों को निगल लिया था। इसी तरह अक्टूबर में आए तूफान ट्रामी की वजह से फिलीपीन्स में भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं दर्ज की गई। इस तूफान ने न केवल वहां संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, साथ ही 125 लोगों की जिंदगियों को भी छीन लिया। दूसरी तरफ दक्षिण अमेरिका में पड़े भीषण सूखे ने भी तबाही मचाई है।

अक्टूबर के दौरान दुनिया भर में 11 उष्णकटिबंधीय चक्रवात सामने आए थे। इस दौरान अटलांटिक बेसिन में पांच उष्णकटिबंधीय चक्रवात सामने आए, जिनमें मिल्टन भी शामिल है। यह श्रेणी-5 का तूफ़ान था। देखा जाए तो अक्टूबर के अंत तक इस साल में दुनिया भर में 70 नामित तूफान आए हैं, जो औसत से छह कम हैं।